लोकसभा चुनाव के आख़िरी चरण के प्रचार अभियान ख़त्म होने के बाद और मतदान से पहले प्रधानमंत्री मोदी ध्यान के लिए जाने से पहले ही विपक्ष के निशाने पर थे, अब पीएम के ध्यान करने की जगह से जो तस्वीरें और वीडियो आए हैं उसपर सोशल मीडिया यूज़र बरस पड़े हैं। लोगों ने सवाल उठाए हैं कि यह आख़िर किस तरह का ध्यान है?
एक यूज़र ने एएनआई द्वारा एक्स पर साझा किए गए वीडियो को शेयर करते हुए तंज कसा है। अंकित मयंक नाम के यूज़र ने लिखा है, "9 कैमरा एंगल। 5 से ज़्यादा कैमरे के साथ ध्यान। तीन बार अपनी स्थिति बदली। दो बार अपना ‘आसन’ बदला। दो बार स्थान बदला। ये सब 28 सेकंड के वीडियो में।'
बता दें कि पीएम मोदी कन्याकुमारी में विवेकानंद रॉक मेमोरियल में ध्यान कर रहे हैं। वह गुरुवार शाम को मेमोरियल में पहुँचे हैं। भाजपा के इस दावे के बावजूद कि यह ध्यान अराजनीतिक है, विपक्षी दलों ने इस यात्रा के समय को लेकर सवाल उठाए हैं। विपक्ष ने पीएम मोदी के 30 मई को तमिलनाडु में ध्यान करने जाने को 'चुनावी स्टंट' क़रार दिया है और इसकी शिकायत चुनाव आयोग से की है।
इसको लेकर अभिषेक मनु सिंघवी के नेतृत्व में कांग्रेस का एक प्रतिनिधिमंडल बुधवार को चुनाव आयोग से मिला था। उन्होंने कहा था कि हमने अपनी शिकायत में चुनाव आयोग से कहा है कि साइलेंट पीरियड में कोई भी नेता प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से चुनाव प्रचार नहीं कर सकता है।
पीएम मोदी की यह यात्रा उत्तराखंड के केदारनाथ में 2019 में किए गए उनके ध्यान की याद दिलाती है। शुक्रवार को पीएम मोदी के विवेकानंद रॉक मेमोरियल में ध्यान की तस्वीरों को उनको समर्थकों ने साझा किए हैं। कई टीवी चैनलों पर तस्वीरें लाइव चलीं। कई न्यूज़ चैनल इस पर विशेष कार्यक्रम कर रहे हैं। लेकिन इसी बीच सोशल मीडिया पर इन तस्वीरों को लेकर तंज कसा जा रहा है। स्टैंडअप कॉमेडियन वरुण ग्रोवर ने तस्वीरों के एक कोलाज को साझा करते हुए लिखा है, 'ये ध्यान लगाना नहीं, ध्यान खींचना है।'
आरजेडी नेता मनोज कुमार झा ने कहा है, 'इसे कैमरा-मुखी ध्यान कहते हैं और इसका आविष्कार स्वयं प्रधानमंत्री जी ने बड़े जतन से किया है। इसकी विशेषता है कि इसमें ध्यान कैमरे पर रखना होता है इस चतुराई के साथ कि लोगों को इसका अहसास ना होने दें। बस यही सत्य है।'
पंस्टर नाम के यूज़र ने लिखा है, 'जीवन में इसी तरह के फोकस की जरूरत होती है। इतने सारे कैमरा एंगल (संभवतः कई कैमरामैन) और फिर भी वह डिस्टर्ब नहीं हैं।'
कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत ने पीटीआई से कहा, 'अगर पीएम मोदी जी ध्यान कर रहे हैं तो हम उनके ध्यान का सम्मान करते हैं। लेकिन अगर वह हजारों कैमरों के सामने ध्यान कर रहे हैं और उनका ध्यान हमेशा टीवी चैनलों पर है। तो ऐसे सवाल ज़रूर उठेंगे। ध्यान एकांत में किया जाता है। केवल पीएम मोदी जी ही कैमरों के सामने ध्यान कर सकते हैं।'
बता दें कि 2014 और 2019 के चुनाव में भी कुछ इसी तरह के नजारे देखे गए थे। तब पीएम मोदी के दौरे का टीवी चैनलों ने लाइव प्रसारण किया था। तब भी सवाल उठे थे। इस बार भी सवाल उठ रहे हैं।
कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल के चुनाव आयोग से मिलने के बाद अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि 'प्रधानमंत्री ने घोषणा की है कि वे 30 मई की शाम से मौन व्रत पर बैठेंगे, लेकिन हम सभी जानते हैं कि साइलेंट पीरियड 30 मई से शुरू होगा और इस बीच ऐसी घोषणा आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है।' इसी को लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी बुधवार को कहा था कि अगर ध्यान का प्रसारण किया गया तो उनकी टीएमसी चुनाव आयोग से शिकायत करेगी।
उन्होंने कहा था, 'क्या कोई भी व्यक्ति कैमरे के सामने ध्यान करता है? वह मूल रूप से लोगों को अपना ध्यान दिखाना चाहता है। यह जगह अच्छी है। स्वामी विवेकानंद को यह जगह बहुत पसंद थी। मोदी वहाँ ध्यान करेंगे। वह कहते हैं कि वह भगवान हैं। फिर उन्हें ध्यान क्यों करना चाहिए…?' टीएमसी सुप्रीमो ने कहा था कि मोदी के ध्यान का प्रसारण करना लोकसभा चुनावों के लिए लागू आचार संहिता का उल्लंघन होगा।