19 जुलाई से शुरू होने जा रहे संसद के मानसून सत्र में कांग्रेस की क्या रणनीति रहेगी, इस पर चर्चा के लिए पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बुधवार को संसदीय मामलों से संबंधित कमेटी की बैठक बुलाई है। कहा जा रहा है कि इस बैठक में लोकसभा में कांग्रेस के नए संसदीय दल के नेता के नाम का भी एलान हो सकता है। ताज़ा हाल में अधीर रंजन चौधरी संसदीय दल के नेता हैं।
संसदीय दल के नए नेता की दौड़ में कई नेताओं के नाम शामिल हैं और पार्टी काफ़ी दिनों से अधीर रंजन चौधरी के विकल्प की तलाश कर रही है। अधीर के विकल्प के रूप में शशि थरूर, मनीष तिवारी, गौरव गोगोई और रवनीत सिंह बिट्टू का नाम सामने आ रहा है। कहा जा रहा है कि राहुल गांधी इस पद की जिम्मेदारी नहीं संभालेंगे।
हालांकि अधीर ने कहा है कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है और पार्टी उन्हें जो जिम्मेदारी देगी, वह उसे निभाएंगे। अधीर को हटाने की चर्चा के पीछे एक वजह ‘एक व्यक्ति एक पद’ का सिद्धांत होना भी बताया जा रहा है। क्योंकि अधीर वर्तमान में पश्चिम बंगाल कांग्रेस कमेटी के भी अध्यक्ष हैं।
शशि थरूर और मनीष तिवारी कांग्रेस के G-23 गुट से संबंध रखते हैं, ऐसे में कांग्रेस आलाकमान इन्हें इतनी अहम जिम्मेदारी देगा या नहीं, यह एक बड़ा सवाल है। G-23 गुट ने ही बीते साल सोनिया गांधी को पत्र लिखकर बेहद गंभीर सवाल खड़े किए थे और उसके बाद लंबे वक़्त तक कांग्रेस में बवाल चला था। हालांकि अभी भी कांग्रेस कई राज्यों में पार्टी के क्षत्रपों के झगड़ों से जूझ रही है और आलाकमान इन्हें सुलझाने में अपनी ऊर्जा खपा रहा है।
चिट्ठी लिखने वाले प्रमुख नेताओं में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद, कपिल सिब्बल, भूपेंद्र सिंह हुड्डा, मनीष तिवारी सहित कई नेता थे।
संसदीय कमेटी की बैठक में कोरोना की दूसरी लहर में बने हालात, टीकाकरण की रफ़्तार, महंगाई, बेरोज़गारी, अर्थव्यवस्था की ख़राब हालत पर भी चर्चा हो सकती है।
राफ़ेल पर होगा हंगामा!
यह भी कहा जा रहा है कि कांग्रेस संसद सत्र के दौरान राफ़ेल लड़ाकू विमान सौदे की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति बनाने की मांग कर सकती है। कांग्रेस कई बार पहले भी इस मामले में संयुक्त संसदीय समिति बनाने की मांग कर चुकी है। राहुल गांधी इस मुद्दे को जोर-शोर से उठा चुके हैं और हालिया कुछ घटनाक्रमों के बाद यह मुद्दा फिर से जिंदा हो गया है। संसद सत्र के दौरान इस मुद्दे पर हंगामा हो सकता है।
फ़्रांस के एक ऑनलाइन पोर्टल मीडियापार्ट ने अपनी हालिया रिपोर्ट में बताया है कि फ़्रांस के एक जज को इस मामले में चल रही जांच के लिए नियुक्त किया गया है।
संदीप दीक्षित, शशि थरूर, कपिल सिब्बल उन नेताओं में से हैं, जो कांग्रेस में अध्यक्ष न चुने जाने के मसले को कई बार उठा चुके हैं। राहुल गांधी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दे दिया था और तब से लेकर अब तक पार्टी को स्थायी अध्यक्ष नहीं मिल सका है। यह भी एक बड़ा मुद्दा है और पार्टी को इसका भी हल निकालना है।