आगामी 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा के खिलाफ संयुक्त मोर्चे की रणनीति बनाने के लिए 26 दलों के नेता दूसरे दिन 11 बजे बातचीत शुरू करेंगे। वे विचार-विमर्श के दौरान अपने गठबंधन के नाम को अंतिम रूप देंगे और न्यूनतम साझा कार्यक्रम को भी अंतिम रूप देंगे। सभी दलों के कार्यक्रमों, रैलियों और सम्मेलनों का एक संयुक्त विपक्षी कार्यक्रम तैयार करने की भी उम्मीद है।
विपक्षी नेताओं का नारा है "एकजुट हम खड़े हैं।" विपक्षी नेताओं ने दावा किया कि बैठक भारतीय राजनीतिक परिदृश्य के लिए "गेम चेंजर" होगी। सोमवार रात को डिनर बैठक में शामिल होने वालों में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) प्रमुख ममता बनर्जी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी, मुख्यमंत्री एमके स्टालिन, नीतीश कुमार, अरविंद केजरीवाल और हेमंत सोरेन और राजद प्रमुख लालू प्रसाद शामिल थे। नेताओं की मौजूदगी के हिसाब से यह बेहद कामयाब मौजूदगी है। लेकिन सभी की नजरें कांग्रेस की बुजुर्ग नेता सोनिया गांधी पर है।.
एनडीटीवी ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि ऐसी संभावना है कि सोनिया गांधी - जो यूपीए की अध्यक्ष थीं - को मोर्चे का अध्यक्ष और नीतीश कुमार को संयोजक नामित किया जाएगा। सूत्रों ने कहा कि सभी दलों से मोर्चे का नाम सुझाने को कहा गया है, जिसमें "भारत" शब्द होना चाहिए। टैग लाइन होगी "यूनाइटेड वी स्टैंड"। कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के लिए भी सुझाव मांगे गए हैं। यह भी कहा गया कि राज्यों के विषय को अलग रखा जाना चाहिए।
सोमवार रात के डिनर में जो एक खास बात नोटिस की गई है, वो है सोनिया गांधी और ममता की देर तक बातचीत। ताज वेस्ट एंड होटल में ममता बनर्जी और सोनिया गांधी एक-दूसरे के बगल में बैठीं। सूत्रों ने बताया कि बातचीत के दौरान और कोई नहीं था। बातचीत लगभग 20 मिनट तक चली, जिससे डिनर बैठक शुरू होने में देरी भी हुई।
हालांकि दोनों नेताओं के बीच अच्छे संबंध हैं, लेकिन हाल ही में कांग्रेस और ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस के बीच संबंधों में खटास आ गई थी। लेकिन दोनों पार्टियां इससे आगे निकल चुकी हैं और इस बात पर सहमत हैं कि लोकतंत्र को बचाने के लिए अगले साल बीजेपी को हराना पहली प्राथमिकता है।
दरअसल, बेंगलुरू में सोनिया की मौजूदगी बातचीत की प्रक्रिया को और सहज बनाने वाली है। वो पटना की बैठक में नहीं थीं। सोनिया के सभी दलों के नेताओं के साथ मधुर संबंध हैं। ये संबंध तब से हैं जब उन्होंने यूपीए गठबंधन का नेतृत्व किया था।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि सोमवार की डिनर मीटिंग में कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने मंगलवार की बैठक का एजेंडा पढ़ा, जिसमें पार्टियों को बातचीत में अपने सुझाव देने के लिए आमंत्रित किया गया। मोटे तौर पर एजेंडे में छह प्रस्ताव शामिल हैं - 2024 के आम चुनावों के लिए गठबंधन के लिए एक सामान्य एजेंडा और कम्युनिकेशन प्वाइंट्स का मसौदा तैयार करने के लिए अलग-अलग उपसमितियां बनाना; रैलियों, सम्मेलनों और आंदोलनों सहित पार्टियों के लिए एक संयुक्त कार्यक्रम तैयार करना; राज्य दर राज्य आधार पर सीट-बंटवारा तय करना; गठबंधन के लिए एक नाम का सुझाव; इसके लिए एक सामान्य सचिवालय स्थापित करना, ईवीएम पर चर्चा और चुनाव आयोग को सुधारों का सुझाव देना शामिल है।
यह बैठक कांग्रेस ने रणनीतिक रूप से कर्नाटक में जानबूझकर रखी है। हाल के कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत ने न केवल विपक्ष को उत्साहित किया है, बल्कि पार्टी को एक मजबूत स्थिति में भी ला दिया है। इससे कांग्रेस की दूसरे पार्टियों से बातचीत का अंदाज भी बदल गया है।