इंडिया गठबंधन के नेताओं ने विपक्षी गुट में शामिल करने के लिए पंजाब के शिरोमणि अकाली दल (SAD) और इंडियन नेशनल लोक दल (INLD) को लाने की कोशिश शुरू कर दी है। कुछ मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक विपक्षी एकता के सूत्रधार नीतीश कुमार अकाली नेताओं से मुलाकात करने वाले हैं।
खबरों के मुताबिक बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, आरजेडी के तेजस्वी यादव और नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता फारूक अब्दुल्ला सहित इंडिया गुट के कई बड़े नेता 25 सितंबर को हरियाणा के कैथल में मंच साझा करेंगे। यहां पर अकाली नेता भी मौजूद होंगे। उस दिन वहां हरियाणा के पूर्व सीएम और आईएनएलडी के संस्थापक चौधरी देवीलाल की जयंती मनाई जाएगी। बादल परिवार और चौटाला परिवार में पुराने पारिवारिक रिश्ते हैं। देवीलाल की जयंती पर होने वाले कार्यक्रमों में बादल परिवार के लोग शामिल होते हैं।
खबरों के मुताबिक इस कार्यक्रम में शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे, तृणमूल कांग्रेस, सपा नेता और एनसीपी प्रमुख शरद पवार के भी शामिल होने की उम्मीद है।
नीतीश कुमार ने शिरोमणि अकाली दल प्रमुख सुखबीर सिंह बादल से 2024 के आम चुनावों के लिए सत्तारूढ़ भाजपा से मुकाबला करने के लिए विपक्षी दलों के गठबंधन में शामिल होने की भी अपील की थी। लेकिन अकाली नेता ने कोई जवाब नहीं दिया। अब जब भाजपा और अकालियों की दूरी बढ़ रही है तो नीतीश ने मुहिम को फिर से छेड़ दिया है। कैथल में 25 सितंबर को होने वाले कार्यक्रम में वो सुखबीर बादल से इस पर चर्चा कर सकते हैं।
समझा जाता है कि आम आदमी पार्टी इसके समर्थन में नहीं है। आप पहले से ही इंडिया में शामिल है। आप नेताओं को डर है कि अगर अकाली दल इंडिया गठबंधन में आता है तो उनके हिस्से में पंजाब में लोकसभा की बहुत कम सीटें आएंगी, क्योंकि कांग्रेस को भी कुछ सीटें मिलेंगी और अकाली भी लड़ेंगे। आप नेता इस स्थिति को अपने अनुकूल नहीं पा रहे हैं।
अकाली-भाजपा की बढ़ती दूरियांः भाजपा इस बात पर नजर रखे हुए है कि अकाली धीरे-धीरे उसके खेमे से दूर जा रहे हैं। अकाली दल प्रमुख सुखबीर बादल ने रविवार को पंजाब में उन लोकसभा सीटों पर भी अपने प्रभारी घोषित कर दिए, जिन सीटों को वो भाजपा के लिए छोड़ती रही है। पंजाब में अकाली और भाजपा गठबंधन पुराना है लेकिन बदलते हालात में अब दूरियां बढ़ रही हैं।
अकाली दल के वरिष्ठ नेता और पार्टी प्रवक्ता दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि विभिन्न संसदीय क्षेत्रों के लिए अभियान और समन्वय प्रभारियों में अनिल जोशी (अमृतसर), गुलजार सिंह राणिके (गुरदासपुर), बिक्रम सिंह मजीठिया (खडूर साहिब), डॉ. सुखविंदर सुखी (जालंधर) और शामिल हैं। प्रेम सिंह चंदूमाजरा (आनंदपुर साहिब) शामिल हैं।
इसी तरह जनमेजा सिंह सेखों को फिरोजपुर, सिकंदर सिंह मलूका (फरीदकोट), इकबाल सिंह झुंडन (संगरूर), हरसिमरत कौर बादल (बठिंडा) और लुधियाना के लिए एन के शर्मा (शहरी क्षेत्रों के लिए) और तीरथ सिंह महला (ग्रामीण क्षेत्रों के लिए) प्रभारी हैं। .
बीजेपी और अकाली दल ने 2019 तक लगातार पांच लोकसभा चुनाव मिलकर लड़े। पंजाब की कुल 13 में से अकाली दल 10 सीटों पर और बीजेपी तीन सीटों पर चुनाव लड़ती थी। बीजेपी अमृतसर और गुरदासपुर के अलावा होशियारपुर से भी चुनाव लड़ती थी। अकाली दल और भाजपा के शीर्ष नेता संभावित गठबंधन की किसी भी बातचीत से लगातार इनकार कर रहे हैं, हालांकि दोनों पक्षों का कहना है कि "राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं है।"
पार्टी के वरिष्ठ नेता सिकंदर सिंह मलूका ने कहा, ''चूंकि बीजेपी के साथ कोई गठबंधन नहीं है, इसलिए पार्टी ने अमृतसर और गुरदासपुर के लिए अभियान प्रभारी नियुक्त करने का फैसला किया है। यदि हम किसी अन्य पार्टी के साथ समझौता करते हैं और उन्हें दो सीटें सौंपते हैं, तो हमारे अभियान प्रभारी उनका समर्थन करेंगे।
अकाली दल ने होशियारपुर के लिए किसी प्रभारी की घोषणा नहीं की है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ''सीट बंटवारे में होशियारपुर सीट बसपा को मिल सकती है।'' अन्य दो सीटें जहां अकाली दल ने प्रभारी की घोषणा नहीं की, वे हैं पटियाला और फतेहगढ़ साहिब।
अकाली दल ने 2020 में रद्द किए गए कृषि कानूनों को लेकर भाजपा से संबंध तोड़ा था। इसके बाद दोनों दलों ने 2022 का पंजाब विधानसभा चुनाव अलग-अलग लड़ा। अकाली दल ने बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के साथ गठबंधन किया, और भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन की पंजाब लोक कांग्रेस से समझौता किया। अकाली दल ने तीन सीटें जीतीं, जो 2017 में जीती गई 15 सीटों से काफी कम है। भाजपा ने सिर्फ दो सीटें जीतीं।
अकाली दल ने हाल ही में भाजपा के शीर्ष नेतृत्व पर “अल्पसंख्यक विरोधी” होने का आरोप लगाया था। उसने भाजपा पर आरोप लगाया है कि वो हरियाणा पर पंजाब के दावों को लगातार कमजोर कर रहा है। जिसमें राजधानी और पानी का मुद्दा प्रमुख है।