पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाक़ात कर सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ़) का कार्यक्षेत्र बढ़ाने का विरोध किया। उन्होंने प्रधानमंत्री से कहा है कि बीएसएफ़ का कार्यक्षेत्र अंतरराष्ट्रीय सीमा के अंदर 15 किलोमीटर से बढ़ा कर 50 किलोमीटर करने का निर्णय वापस ले लें।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने नरेंद्र मोदी से कहा है कि यह राज्यों के मामले में दखलअंदाजी है और सहकारी संघवाद के ख़िलाफ़ है।
ममता बनर्जी ने मुलाक़ात के बाद पत्रकारों से बात करते हुए कहा,
“
मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से राज्य से जुड़े कई मुद्दों पर बात करने के लिए मिली। हमने बीएसएफ़ के कार्यक्षेत्र को बढ़ाने के मुद्दे पर भी बात की है और मैंने उनसे आग्रह किया कि वे यह निर्णय वापस ले लें।
ममता बनर्जी, मुख्यमंत्री, पश्चिम बंगाल
त्रिपुरा सरकार की शिकायत
इसके अलावा तृणमूल कांग्रेस की इस नेता ने त्रिपुरा में हुई हिंसा पर भी प्रधानमंत्री से बात की। उन्होंने मोदी से शिकायत की कि बीजेपी के लोग टीएमसी के कार्यकर्ताओं को बेवजह निशाना बना रहे हैं।
उन्होंने कहा कि त्रिपुरा में स्थिति 'भयावह' है और सवाल उठाया कि राज्य के मुख्यमंत्री बिप्लब देव दोषियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई क्यों नहीं करते हैं।
क्या है मामला?
केंद्र सरकार के अक्टूबर में जारी एक आदेश के मुताबिक़, केंद्रीय बलों के जवान देश के तीन राज्यों- असम, पंजाब और बंगाल में सीमा से सटे 50 किलोमीटर के अंदर तक के इलाक़े में गिरफ़्तारी, तलाशी अभियान और जब्त करने की कार्रवाई कर सकेंगे।
इस फ़ैसले के तुरन्त बाद पश्चिम बंगाल के परिवहन मंत्री और टीएमसी नेता फ़िरहाद हाक़िम ने कहा था कि क़ानून व्यवस्था राज्य सरकार का विषय है, लेकिन केंद्र सरकार केंद्रीय एजेंसियों के जरिये इसमें दख़ल दे रही है।
बता दें कि पश्चिम बंगाल के उत्तरी इलाक़े का एक बड़ा हिस्सा बांग्लादेश की सीमा से सटा हुआ है। उत्तर दिनाजपुर, दक्षिण दिनाजपुर, माल्दा, मुर्शिदाबाद और रायगंज ज़िले सीमा से सटे हुए हैं। इन इलाक़ों में तैनात बीएसएफ के जवानों पर ज़्यादती करने के आरोप बहुत से पहले से लगते रहे हैं।
स्वामी से मुलाक़ात
बीजेपी के नेता सुब्रमणियण स्वामी ने भी ममता बनर्जी से मुलाक़ात की है। यह मुलाकात बनर्जी के भतीजे अभिषेक के दिल्ली स्थित घर पर हुई। अभिषेक तृणमूल कांग्रेस के सांसद हैं।
जब स्वामी ने टीएमसी में शामिल होने की बात पूछी गई तो उन्होंने कहा, "मैं तो हमेशा उनके साथ हूं उनकी पार्टी में शामिल होने की कोई ज़रूरत नहीं है।"
यह मुलाक़ात इसलिए अहम है कि स्वामी बीजेपी सरकार, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और स्वयं प्रधानमंत्री को लेकर काफी आक्रामक रहे हैं और उन पर मुखर होकर हमले करते रहे हैं।
ऐसे में बीजेपी और मोदी के धुर विरोधी से उनके मिलने से कई तरह के कयास लग रहे थे और यह स्वाभाविक भी है।