महाराष्ट्र में जब से शिवसेना ने साथ छोड़ा है भारतीय जनता पार्टी के नेता उसके हिंदुत्व की विचारधारा को लेकर सवाल खड़े करते रहे हैं। बार-बार बालासाहब ठाकरे का भी हवाला देकर शिवसेना को घेरा जाता है कि वे आज होते तो इस मुद्दे पर यह कहते और उस मुद्दे पर उनकी राय यह रही होती। लेकिन शिवसेना ने भी अब हिंदुत्व के मुद्दे पर बीजेपी और संघ परिवार को घेरना शुरू कर दिया है। शिवसेना प्रवक्ता और सांसद संजय राउत ने बीजेपी के साथ-साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को भी निशाने पर लिया है। राउत ने कहा, 'गंगा नदी में बहते हुए शव भी हिंदुत्व का ही मुद्दा है और यह राम मंदिर जितना ही महत्वपूर्ण भी है।’
उन्होंने कहा कि हमें अपेक्षा थी कि स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत इस बारे में अपना मत व्यक्त करते, लेकिन अभी तक वे खामोश हैं। उन्होंने कहा कि मोहन भागवत जी का हम सम्मान करते हैं वे आदरणीय हैं ,लेकिन हम यह भी अपेक्षा रखते हैं कि गंगा में बहाए गए शवों के बारे में भी वे अपनी राय व्यक्त करें।
राउत ने कहा ‘कि विगत दिनों गंगा नदी में हजारों शव बहते हुए देखे गए। इन शवों का हिन्दू धर्म या रीति रिवाजों के अनुसार अंतिम संस्कार नहीं हुआ। ये हिंदुत्व का एक बड़ा मुद्दा है। और इसका महत्व राम मंदिर जैसा ही है। इस मुद्दे पर देश भर के हिंदुत्ववादी नेताओं को अपने विचार रखने चाहिए। हम चाहते हैं कि मोहन भागवत प्रखरता से इस मुद्दे को उठाएँ। उन्हें इस मुद्दे पर बेझिझक अपने विचार रखने चाहिए।’ दरअसल, संजय राउत महाराष्ट्र के राज्यपाल द्वारा 12 विधान परिषद के सदस्यों के नामांकन के मुद्दे पर पत्रकारों से बात कर रहे थे। इसी दौरान उन्होंने भागवत से यह अपील भी की। संजय राउत ने कहा कि राजभवन के सचिवालय से विधान परिषद के सदस्यों वाली सूची के ग़ायब होने और अब मिल जाने की ख़बरें बहुत कुछ इशारा करती हैं। उन्होंने कहा कि यह ख़ुशी की बात है कि सूची मिल गयी। हम उम्मीद करते हैं कि उस पर जल्द ही दस्तखत भी हों।
संजय राउत ने आज गंगा में बहते शवों को लेकर भले ही मोहन भागवत पर निशाना साधा है लेकिन दो दिन पहले उन्होंने इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी कड़ी टिप्पणी की थी। राउत ने एक लेख के माध्यम से कोरोना को लेकर केंद्र सरकार की रणनीति की जमकर खिंचाई की। उन्होंने कहा था कि गंगा की लहरों पर तैरते पाप की ज़िम्मेदारी तो लो। राउत ने कहा, ‘गंगा की लहरों पर तैरते शवों को शायद ऑक्सीजन और वैक्सीन नहीं मिली, लेकिन उन्हें गौ मूत्र तो मिलना ही चाहिए था।’
उन्होंने कहा कि बीजेपी की सांसद प्रज्ञा सिंह कहती हैं कि गौ मूत्र की वजह से कोरोना उन तक पहुँचा नहीं। सांसद का यह संदेश शायद उन लोगों तक नहीं पहुँचा अन्यथा गंगा में फेंकने की नौबत नहीं आयी होती।
संजय राउत ने कहा, 'गंगा में बहती इन लाशों की वजह से देश का एक अलग चेहरा दुनिया के सामने आया वह ठीक बात नहीं है। जीवित व्यक्ति शायद सच नहीं बोले लेकिन इन शवों ने मोदी सरकार का सच सबके सामने ला दिया। सरकार कोरोना से होने वाली मौत के आँकड़े छुपा रही है, लेकिन गंगा में बहते शव कुछ और ही कहानी बता रहे हैं। वो बता रहे हैं कि जलाने के लिए लकड़ियाँ नसीब नहीं हुई तो उन्हें पानी के प्रवाह में प्रवाहित कर दिया गया। शव लहरों पर तैर रहे हैं और देश डूब रहा है।’
फ़ोटो साभार: ट्विटर/प्रियंका गांधी/वीडियो ग्रैब
उन्होंने कहा- सभी तरफ़ हाहाकार मचा हुआ है और हमारे यहाँ क्या चल रहा है? सीबीआई और अन्य एजेंसियों के माध्यम से सरकार विरोध के स्वर दबाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा, ‘पश्चिम बंगाल में सीबीआई विधान सभा अध्यक्ष की इजाजत के बिना मंत्रियों को गिरफ्तार कर रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों का दौरा किया, क्या हासिल हुआ? हमारे देश में बनी वैक्सीन का सौदा अमेरिका जैसे देशों ने पहले ही बड़े पैमाने पर कर लिया। वैक्सीन पहले उनके पास पहुँच गयी और हमारा देश शवों से पट रहा है। पूरी दुनिया कोरोना से लड़ाई कैसे लड़ी जाए यह सोच रही थी और हमारी सरकार इस बात में व्यस्त थी कि चुनाव कैसे जीता जाए।’
उन्होंने कहा, 'मोदी जी हमारे देश के बच्चों की वैक्सीन विदेश क्यों भेज दी, यह सवाल ग़लत नहीं है। राष्ट्रवाद, मुर्दों के रूप में गंगा की लहरों पर बहते हुए सभी देख रहे हैं और इस पर सवाल उठाने वालों को देशद्रोही कहा जा रहा है। अमेरिका मास्क मुक्त हो गया, इजराइल कोरोना मुक्त, चीन ने भी कोरोना पर विजय पा ली, यूरोप के अनेक देशों में कोरोना नियंत्रित हो गया, लेकिन हमारे देश में सीबीआई और ईडी के खेल से ही फुरसत नहीं मिल रही। कोरोना की तीसरी लहर आने की बात कही जा रही है, लेकिन हमारे देश के नेतृत्व के पास इन लहरों से कैसे मुक़ाबला किया जाए, इसका कोई मार्ग नहीं है। गंगा, पाप शुद्धिकरण के लिए थी, लेकिन अब लगता है कि गंगा भी पाप छुपाने या धोने को तैयार नहीं है। राजनीति से बाहर निकलकर जो इन बातों को देखेंगे उन्हें इनके निदान का रास्ता भी मिलेगा, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है।’