शौविक को जिन आरोपों में जेल भेजा वे उनपर लागू नहीं होते: कोर्ट

04:06 pm Dec 09, 2020 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

रिया चक्रवर्ती के भाई शौविक चक्रवर्ती उन मामलों में तीन महीने जेल में रहे जिन्हें अदालत ने कोई आरोप ही नहीं माना है। एक हफ़्ते पहले ही विशेष अदालत के आदेश के बाद शौविक को जेल से रिहा किया गया है और अब कोर्ट का विस्तृत फ़ैसला आया है। इस आदेश में कोर्ट ने कहा है कि ड्रग्स की तस्करी के लिए धन मुहैया कराने के सख़्त आरोप उनके मामले पर लागू ही नहीं होते हैं। जबकि उनपर जो आरोप लगाए गए थे उसमें 20 साल की सज़ा का प्रावधान था। यही वह आधार था जिस पर शौविक की ज़मानत याचिका को पहले खारिज कर दिया गया था।

यानी अब जो एनडीपीएस की विशेष अदालत का विस्तृत फ़ैसला आया है वह नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो यानी एनसीबी के लिए तगड़ा झटका है। इससे उन आरोपों को भी बल मिलता है जिसमें कहा जा रहा था कि क्या एनसीबी किसी दबाव में रिया और शौविक के ख़िलाफ़ काम कर रही थी

एनसीबी के पूर्व प्रमुख बी वी कुमार ने पहले ही इस मामले में एनसीबी की हर कार्रवाई पर सवाल उठाया था। उन्होंने कहा था कि एनसीबी जो कर रही है वह दरअसल उसका काम ही नहीं है। सितंबर महीने में एक टीवी कार्यक्रम में बी वी कुमार ने कहा था कि एनसीबी के गठन का उद्देश्य बड़े ड्रग तस्कर की जानकारी जुटाना, अंतरराज्यीय स्तर पर ड्रग की तस्करी का भंडाफोड़ करना और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ड्रग माफिया के ख़िलाफ़ कार्रवाई करना था। 

नारकोटिक्स से जुड़ी धारा 27 में ड्रग्स के इस्तेमाल के लिए सज़ा का प्रावधान है और धारा 27 ए में ड्रग्स की तस्करी के लिए धन मुहैया कराने पर सज़ा का प्रावधान है। क्या इन दोनों में से किसी भी मामले के दायरे में रिया चक्रवर्ती, शौविक या दूसरे एक्टर आते हैं 

इस पर बी वी कुमार ने कहा था कि ड्रग्स जितनी मात्रा में (59 ग्राम हशीश) जब्त होना बताया गया है उससे इसकी सज़ा एक साल तक की हो सकती है। उन्होंने कहा था कि इसके लिए एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा था कि इस मामले में ज़मानत मिल जानी चाहिए। सामान्य तौर पर 3 साल से कम सज़ा होने पर तुरंत ज़मानत का प्रावधान है और इस बारे में सुप्रीम कोर्ट का ही साफ़ तौर पर निर्देश है। 

जिस तरह की कार्रवाई एनसीबी कर रही थी उसकी आलोचना एनसीबी के पूर्व अधिकारी भी कर रहे थे। और अब जो एनडीपीएस की विशेष अदालत का फ़ैसला आया है उसमें भी इसी एनसीबी की कार्रवाई पर सवाल उठते हैं।

एनसीबी ने शौविक चक्रवर्ती को सितंबर महीने में गिरफ़्तार किया था। उसने आरोप लगाया था कि शौविक ड्रग्स की तस्करों की कड़ी का एक हिस्सा थे। एजेंसी ने उनके ख़िलाफ़ 27 ए के तहत केस दर्ज किया था। 

अदालत ने कहा, 'वर्तमान प्रार्थी की कथित भूमिका को ध्यान में रखते हुए मुझे लगता है कि... एनडीपीएस अधिनियम की धारा 27A आवेदक के मामले पर लागू नहीं होती है।' विशेष अदालत ने बॉम्बे हाई कोर्ट की उस टिप्पणी पर भरोसा किया जिसमें उसने अक्टूबर में रिया को जमानत देते हुए टिप्पणी की थी।

उच्च न्यायालय ने तब कहा था कि अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के लिए ड्रग्स की खरीदने का रिया पर आरोप लगाया गया है, इसका मतलब यह नहीं हो सकता है कि उन्होंने अवैध व्यापार या ड्रग्स से जुड़े कारोबार में पैसा लगाया।

अदालत ने यह भी ग़ौर किया कि शौविक के पास से ड्रग्स नहीं मिला और कहा कि सह आरोपियों के पास प्रतिबंधित ड्रग्स की व्यावसायिक मात्रा मिलना शौविक से नहीं जुड़ता है।

अदालत ने इस पर विचार किया कि शौविक के ख़िलाफ़ जाँच पूरी हो गई थी और एनसीबी ने केवल पाँच सह-आरोपियों के बयानों के रूप में साक्ष्य प्रस्तुत किया था, जिसमें रिया और उसका अपना इकबालिया बयान शामिल था। ये बयान इसलिए स्वीकार नहीं किए गए क्योंकि पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश दिया था जिसमें कहा गया है कि आरोपियों को सिर्फ़ ऐसे इकबालिया बयानों के आधार पर दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। 

बता दें कि बॉलीवुड में ड्रग्स मामले में गिरफ़्तार रिया चक्रवर्ती के भाई शौविक चक्रवर्ती को मुंबई की एक विशेष अदालत ने दो दिसंबर को जमानत दे दी है। शौविक को तीन महीने तक जेल में रहना पड़ा। 7 अक्टूबर को बॉम्बे हाई कोर्ट ने रिया को जमानत दे दी थी लेकिन शौविक को जेल में ही रहना पड़ा था।

शौविक को नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो यानी एनसीबी ने 4 सितंबर को गिरफ्तार किया था। सुशांत सिंह राजपूत की मौत मामले में ड्रग्स एंगल मिलने पर एनसीबी ने जाँच शुरू की थी और इसी मामले में रिया और शौविक का नाम सामने आया था। इनके अलावा सुशांत के हाउस मैनेजर सैमुअल मिरांडा को भी गिरफ्तार किया गया था। एनसीबी ने ड्रग्स मामले में कई धाराओं के तहत मुक़दमा दर्ज किया था।