मंदिर खोलने पर गवर्नर कोश्यारी ने ठाकरे से पूछा- अचानक सेक्युलर कैसे बन गये?

10:42 pm Oct 13, 2020 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

महाराष्ट्र में जब से उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में महा विकास अघाडी की सरकार बनी है, उसे एक साथ दो मोर्चों पर लड़ना पड़ रहा है। पहले बीजेपी से और दूसरा राज्यपाल से। ताज़ा विवाद यह है कि महाराष्ट्र कोरोना संक्रमण को लेकर देश का सबसे ज़्यादा प्रभावित राज्य है, इसलिए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अभी तक मंदिरों को खोलने की इजाजत नहीं दी है लेकिन बीजेपी को यह रास नहीं आ रहा है। 

बीजेपी ने मंगलवार को सड़क पर उतरकर प्रदर्शन किया है और उसका कहना है कि जब रेस्तरां खोलने की इजाजत दे दी गई है तो मंदिरों को खोलने की अनुमति क्यों नहीं दी जा रही है। मुंबई के अलावा पुणे व अन्य दूसरे शहरों में भी बीजेपी के नेता सड़क पर उतरे हैं और वहीं पर पूजा-आरती कर रहे हैं। बीजेपी को इसमें समर्थन मिला है, महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी का। 

कोश्यारी ने उद्धव ठाकरे को बेहद तीखी चिट्ठी लिखी है। उन्होंने उद्धव पर तंज कसते हुए लिखा है कि आप हिंदुत्व के मजबूत पक्षधर रहे हैं और ख़ुद को भगवान राम का भक्त बताते हैं। लेकिन क्या अब आप सेक्युलर हो गए हैं उद्धव ने भी चिट्ठी का जवाब देते हुए लिखा है कि उन्हें हिंदुत्व के लिए किसी के सर्टिफिकेट की ज़रूरत नहीं है। 

कंगना के मामले में एंट्री 

महाराष्ट्र में राज्यपाल और मुख्यमंत्री के रिश्ते अच्छे नहीं रहे हैं। कुछ दिन पहले महाराष्ट्र सरकार और कंगना रनौत के बीच चले घमासान में भी राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने एंट्री ले ली थी। बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) द्वारा कंगना के ऑफ़िस में तोड़फोड़ करने पर कोश्यारी ने नाराज़गी जताई थी और इसे लेकर केंद्र सरकार को रिपोर्ट भेजी थी। 

रिश्तों में रही है कड़वाहट

पिछले साल नवंबर में लोग तब अवाक रह गए थे जब एक दिन सुबह यह पता चला कि राज्यपाल कोश्यारी ने राज्य में लगा राष्ट्रपति शासन रात को ही हटा दिया और तड़के देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री और अजीत पवार को उप मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिला दी थी। शिवसेना-एनसीपी और कांग्रेस ने राज्यपाल के इस फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। कोर्ट के फ़ैसले के तुरंत बाद फ़्लोर टेस्ट किया गया और फडणवीस सरकार को इस्तीफ़ा देना पड़ा था। तब शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने राज्यपाल को लेकर तीख़े बयान दिए थे। 

इसके बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के विधान मंडल का सदस्य बनने के वक्त भी राज्यपाल कोश्यारी अड़ गए थे। ठाकरे को मुख्यमंत्री बने रहने के लिए विधानसभा या विधान मंडल में से किसी एक सदन का सदस्य निर्वाचित होना था और तब विधान परिषद में मनोनयन कोटे की दो सीटें रिक्त थीं। राज्य मंत्रिमंडल ने राज्यपाल से इन दो में से एक सीट पर ठाकरे को मनोनीत किए जाने की सिफ़ारिश की थी। लेकिन राज्यपाल अड़ गए थे और शिवसेना ने उन पर राजभवन को राजनीतिक साज़िशों का केंद्र बना देने का आरोप लगाया था।