महाराष्ट्र में चल रहे तमाम घटनाक्रमों को लेकर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बुधवार शाम को कैबिनेट की बैठक बुलाई। बैठक में सर्वसम्मति से फैसला लिया गया है कि मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह और पूर्व इंटेलिजेंस कमिश्नर रश्मि शुक्ला पर सरकार कार्रवाई करे।
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के इस फ़ैसले के बाद एक बार फिर से महाराष्ट्र की सियासत गरमा सकती है। वैसे, गृहमंत्री अनिल देशमुख की एक चिठ्ठी "सत्य हिंदी" के पास है जिसमें उन्होंने लिखा है कि अगर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे परमबीर सिंह द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच कराते हैं तो वे उसका स्वागत करेंगे। देशमुख ने यह चिठ्ठी 21 मार्च को लिखी थी।
सूत्रों के मुताबिक़, जैसे ही कैबिनेट की बैठक शुरू हुई, एनसीपी के एक मंत्री ने पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह का मामला उठा दिया। मंत्री ने कहा कि परमबीर सिंह ने जिस तरह से बेबुनियाद आरोप गृह मंत्री पर लगाये हैं और उसके बाद इस पूरे मामले को विपक्ष के कहने पर उठाया, इससे ना केवल सरकार की छवि खराब हुई बल्कि पुलिस विभाग में काम करने वाले पुलिस अधिकारियों के मनोबल पर भी असर पड़ा है।
महाराष्ट्र को लेकर देखिए संजय राउत से बातचीत-
मंत्री ने आगे कहा कि अगर परमबीर के पास कुछ सुबूत थे तो उन्हें इनको मुख्यमंत्री के साथ साझा करना चाहिए था ना कि मीडिया में चिट्ठी लीक करके। इसलिए परमबीर पर ऐसी कार्रवाई की जाये जिससे आगे कोई इस तरह की अनुशासनहीनता का परिचय ना दे सके।
इसके बाद शिव सेना के एक मंत्री ने पूर्व इंटेलिजेंस कमिश्नर रश्मि शुक्ला द्वारा की गयी फोन टैपिंग का मामला उठाया। इस मंत्री ने मुख्यमंत्री से कहा कि रश्मि शुक्ला महाविकास आघाडी सरकार की शुरुआत से ही मंत्रियों, नेताओं और कुछ बड़े पुलिस के अधिकारियों के फोन टैप कर रही थीं।
रश्मि शुक्ला यह सब बगैर अनुमति के कर रही थीं और इसकी जानकारी बीजेपी के बड़े नेताओं तक पहुंचा रही थीं। इसके अलावा रश्मि शुक्ला ने टॉप सीक्रेट रिपोर्ट को सार्वजनिक करके ना केवल महाराष्ट्र सरकार की साख के साथ खिलवाड़ किया है बल्कि सीक्रेट एक्ट का भी उल्लंघन किया है। इसलिए रश्मि शुक्ला के ख़िलाफ़ सरकार को कड़ा एक्शन लेना चाहिए।
प्रस्ताव पर सभी सहमत
दो मंत्रियों द्वारा इस तरह के प्रस्ताव पर कैबिनेट मीटिंग में मुख्यमंत्री सहित सभी मंत्रियों ने एक सुर में सहमति जताई और इन दोनों अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई करने पर हामी भर दी है। सूत्रों से पता चला है कि इन दोनों अधिकारियों पर बहुत जल्द कार्रवाई की जा सकती है।
रिटायर्ड न्यायाधीश करेंगे जांच
इसके अलावा महाराष्ट्र सरकार ने परमबीर सिंह द्वारा गृह मंत्री अनिल देशमुख पर लगाए गए वसूली के आरोपों की जांच रिटायर्ड न्यायाधीश से कराने का फैसला किया है जिसकी कमेटी की घोषणा बहुत जल्द होगी।
परमबीर सिंह की सुप्रीम कोर्ट में याचिका के बाद महाराष्ट्र सरकार हरकत में है। दरअसल, उद्धव सरकार नहीं चाहती है कि मामला सीबीआई के हाथ में जाए, लिहाजा उद्धव सरकार अपने स्तर पर इसकी जांच करना चाहती है। यही कारण है ठाकरे सरकार ने अनिल देशमुख वसूली मामले की जांच रिटायर्ड न्यायाधीश से कराने का फैसला किया है।
परमबीर सिंह ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखे पत्र में दावा किया था कि गृहमंत्री देशमुख ने सचिन वाजे से बार और होटलों से हर महीने 100 करोड़ रुपये की वसूली करने को कहा था। हालांकि, देशमुख ने आरोपों से इनकार किया था।