एमपी: बीजेपी का खेल बिगाड़ने चुनाव मैदान में उतरी शिव सेना 

07:24 pm Oct 16, 2020 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

शिव सेना ने तय कर लिया है कि अब उसे बीजेपी से खुलकर दो-दो हाथ करने हैं। जिस तरह बीजेपी महाराष्ट्र में ठाकरे सरकार को घेर रही है, इसका बदला शिव सेना राज्य के भीतर और बाहर भी लेगी। हिंदुत्व की राजनीति का दम भरने वाले ये दोनों दल लंबे वक्त तक साथ रहे। दोनों की एक ही जैसी राजनीतिक बोली थी और महाराष्ट्र में अटूट गठबंधन था। 

लेकिन शिव सेना इसे भांप गयी थी कि 2014 में मोदी सरकार बनने के बाद से ही बीजेपी महाराष्ट्र में उसके सियासी वजूद को ख़त्म कर देना चाहती है। इसलिए, फडणवीस सरकार में साथ रहने और मोदी सरकार में भागीदारी के बाद भी वह बीजेपी पर तीख़े हमले करती रही। 

टूट गया गठबंधन

अंत में, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद के लिए चले लंबे संघर्ष के बाद 2019 में यह गठबंधन टूट गया और शिव सेना हिंदुत्व की राजनीति से निकलकर सेक्युलर राजनीति करने वाले दलों से बात करने पहुंची। शिव सेना ने अपनी धुर विरोधी कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बनाई और तीनों दलों का संकल्प है कि उनकी सरकार 5 साल का कार्यकाल पूरा करेगी। 

लेकिन जिस दिन से शिव सेना की सरकार बनी है, बीजेपी इससे खासी परेशान है। बीजेपी जानती है कि इन तीन दलों के गठबंधन को अगर नहीं तोड़ा गया तो उसका महाराष्ट्र की सत्ता में आना लगभग नामुमकिन है। इसलिए वह शिव सेना को हिंदू विरोधी बताने से लेकर उसे सोनिया सेना बताने तक से नहीं चूकती। सुशांत सिंह राजपूत प्रकरण में उसने ठाकरे सरकार का जीना हराम कर दिया था। 

भिड़ रही शिव सेना 

लेकिन शिव सेना भी अपनी राजनीतिक हैसियत के हिसाब से बीजेपी को खुलकर जवाब देती रही है और केंद्रीय एजेंसियों का डर दिखाकर ठाकरे सरकार को गिराने के आरोप लगा चुकी है। इसके अलावा वह महाराष्ट्र से बाहर जहां-जहां भी बीजेपी को राजनीतिक नुक़सान पहुंचा सकती है, वहां चुनाव लड़ने पहुंच रही है। 

पहले उसने एलान किया कि वह बिहार में 50 सीटों पर चुनाव लड़ेगी और स्टार प्रचारकों की लिस्ट भी जारी कर दी। इस लिस्ट में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, उनके बेटे और कैबिनेट मंत्री आदित्य ठाकरे, प्रवक्ता संजय राउत, अनिल देसाई, राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी सहित कई नाम शामिल हैं। 

शिव सेना के इन बड़े चेहरों के बिहार के चुनाव में उतरने से साफ पता चलता है कि वह बीजेपी को अधिकतम नुक़सान पहुंचाने की रणनीति पर काम कर रही है।

बीजेपी पर धमकाने का आरोप

अब शिव सेना ने मध्य प्रदेश की 28 सीटों पर होने वाले उपचुनाव में भी सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारने का बिगुल बजा दिया है। शिव सेना की मध्य प्रदेश इकाई ने बीजेपी पर आरोप लगाया है कि वह उसके उम्मीदवारों को डरा-धमका रही है। बताया जा रहा है कि शिव सेना के कुछ बड़े नेता मध्य प्रदेश के उपचुनाव में भी प्रचार करने आ सकते हैं। 

क्या ठाकरे सरकार को निशाना बनाने के पीछे कोई साज़िश है। देखिए, चर्चा- 

कांग्रेस ने लगााया पूरा जोर

इस साल मार्च में कमलनाथ सरकार का तख़्ता पलट कर राज्य में सरकार बनाने वाली बीजेपी के लिए उपचुनाव में 10 सीटों पर जीत हासिल करना बेहद ज़रूरी है। 230 सीटों वाली मध्य प्रदेश की विधानसभा में बहुमत के लिए 116 विधायकों की ज़रूरत है। कांग्रेस ने अपनी सरकार गिराने का बदला लेने के लिए पूरा जोर लगाया हुआ है और अधिकतर सीटों पर कांटे का मुकाबला है। 

ऐसे में शिव सेना का चुनाव मैदान में कूदना बीजेपी की मुश्किलों को निश्चित रूप से बढ़ाएगा। हालांकि शिव सेना राज्य में कोई राजनीतिक ताक़त नहीं है लेकिन अगर वह इतने वोट काटने में सफल हो जाती है, जितने में बीजेपी-कांग्रेस के बीच हार-जीत का अंतर हो तो ऐसे में वह चुनावी नतीजों को प्रभावित कर सकती है। 

बहरहाल, शिव सेना का साफ संदेश है कि भले ही बीजेपी राष्ट्रीय पार्टी है और केंद्र के साथ कई राज्यों में उसकी सरकार है लेकिन वह भी पूरे दम-खम के साथ उससे लड़ेगी, भिड़ेगी और सिर क़तई नहीं झुकाएगी।