हिन्दू देवी-देवताओं और केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर कथित अभद्र टिप्पणियों के आरोप में मध्य प्रदेश पुलिस द्वारा पकड़े जाने के बाद 13 जनवरी तक के लिए जेल भेजे गये गुजरात के स्टैंड-अप कॉमेडियन के मामले ने तूल पकड़ लिया है। देवी-देवताओं पर टिप्पणियों को लेकर पुलिस को कोई सबूत नहीं मिल पाया है। उधर कॉमेडियन के वकील ने पुलिस की एफ़आईआर को चुनौती देते हुए सेशन कोर्ट में अर्जी लगाई है। अर्जी पर मंगलवार को सुनवाई की संभावना है।
गुजरात के स्टैंड-अप कॉमेडियन मुनव्वर फारुक़ी को दो जनवरी को इंदौर पुलिस ने गिरफ्तार किया था। आरोप है कि शुक्रवार एक जनवरी की रात इंदौर में आयोजित लॉफ़्टर शो में उन्होंने हिन्दू देवी-देवताओं और केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह के ख़िलाफ़ अभद्र टिप्पणियाँ कीं।
इंदौर की महापौर और स्थानीय विधायक विधायक मालिनी गौड़ के पुत्र एकलव्य गौड़ की शिकायत पर इंदौर पुलिस ने मामला दर्ज करते हुए कॉमेडियन फारुक़ी और चार अन्य स्थानीय लोगों को गिरफ्तार किया था। शनिवार को ही पाँचों को कोर्ट में पेश किया गया था। कोर्ट ने सभी को 13 जनवरी तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया था।
मामले में रविवार को तब एक नया मोड़ आया जब संबंधित थाना के प्रभारी ने हिन्दू देवी-देवताओं के ख़िलाफ़ अभद्र टिप्पणियों को लेकर कोई मीडिया से साक्ष्य ना मिलने की बात कही। यहाँ बता दें कि शिकायत करने वाले बीजेपी नेता के पुत्र एकलव्य ने पुलिस को साक्ष्य तौर पर एक पेन ड्राइव भी उपलब्ध कराई थी।
एकलव्य और उनके साथियों का आरोप था कि कॉमेडियन फारुक़ी ने हिन्दू देवी-देवताओं और केन्द्रीय गृह मंत्री शाह के ख़िलाफ़ गोधरा कांड को लेकर अभद्र, अनर्गल और आपत्तिजनक टिप्पणियाँ की हैं।
एकलव्य और उनके साथी एक जनवरी को शो देखने के लिए पहुँचे थे। कॉमेडियन और आयोजकों के साथ एकलव्य एवं उनके साथियों की जमकर बहस भी हुई थी।
एकलव्य और उनके साथियों ने शो को रुकवा दिया था। आरोप तो यह भी रहा था कि विरोध करने वालों ने कॉमेडियन फारुक़ी के साथ मारपीट भी की।
बहरहाल, बीजेपी नेता के पुत्र की शिकायत पर तुकोजीगंज पुलिस ने मामला दर्ज करते हुए कॉमेडियन और चार अन्य लोगों को गिरफ्तार कर लिया था।
मामले में पेच तब आया जब साक्ष्य के तौर पर उपलब्ध कराई गई पैन ड्राइव को देखने के बाद पुलिस इस निष्कर्ष पर पहुँची कि कॉमेडियन फारुक़ी के ख़िलाफ़ देवी-देवताओं के विरुद्ध अपमानजनक टिप्पणियों के आरोप सिद्ध नहीं हो पा रहे हैं।
एफ़आईआर को फर्जी बताया
उधर मुनव्वर फारुक़ी की ओर से पैरवी कर रहे वकील अंशुमन श्रीवास्तव ने सोमवार दोपहर बाद सेशन कोर्ट में याचिका लगाई है। श्रीवास्तव ने ‘सत्य हिन्दी’ को बताया कि वे फारुक़ी के साथ जेल भेजे गये नलीन यादव की पैरवी कर रहे हैं।
अपनी याचिका में मुनव्वर फारुक़ी और नलीन यादव पर लगायी गई भारतीय दंड विधान की धारा 295 और 188 पर सवाल उठाये गये हैं। एफ़आईआर पूरी तरह से अस्पष्ट है। वर्ग विशेष की भावनाएँ आहत करने को लेकर मामला दर्ज किया गया है, लेकिन यह नहीं बताया गया कि मुनव्वर फारुक़ी ने देवी-देवताओं को लेकर ऐसे कौन से शब्दों और वाक्यों का उपयोग किया जिससे भावनाएँ आहत हुईं?
याचिका में भारतीय संविधान के तहत मिले 91ए के अधिकार का ज़िक्र करते हुए केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह के ख़िलाफ़ कथित टिप्पणियों पर अन्य लोगों द्वारा आपत्तियाँ उठाने पर भी सवाल खड़े किये गये हैं।
आवेदन में साफ़ कहा गया है कि 91ए के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है। किसी व्यक्ति विशेष के ख़िलाफ़ यदि कोई टिप्पणी की जाती है और संबंधित उससे आहत होता है तो आपत्ति करने का अधिकार उसी को है जिसके ख़िलाफ़ टिप्पणी की गई। कोई दूसरा ऐसे मामलों में आपत्ति नहीं कर सकता।
आवेदन में कोरोना प्रोटोकॉल के उल्लंघन संबंधी धारा 188 को लेकर भी आपत्तियाँ उठाई गई हैं। कहा गया है कि इंदौर में शो देने आये कॉमेडियन के ख़िलाफ़ इस धारा का उपयोग भी न्याय संगत नहीं है। कोरोना प्रोटोकॉल का यदि उल्लंघन हुआ है तो इसके आरोपी आयोजक होंगे ना कि कार्यक्रम की प्रस्तुति देने के लिए आने वाला।