कर्नाटक के राजनीतिक गलियारों में इन दिनों बीजेपी और जेडीएस के बीच उमड़े नये प्यार की चर्चा ज़ोरों पर हैं। अफ़वाह यह भी है कि दोनों पार्टियों के शीर्ष नेता जेडीएस के बीजेपी में विलय के बारे में बातचीत करने लगे हैं। वैसे तो बीजेपी के सबसे बड़े नेता और मुख्यमंत्री येदियुरप्पा और जेडीएस के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने इस अफवाह को खारिज किया है, लेकिन चर्चा है कि दोनों के बीच समझौता तय है।
नयी दोस्ती की बात उस समय शुरू हुई, जब कर्नाटक विधान परिषद में उपसभापति धर्मे गौड़ा को कांग्रेस के कुछ सदस्यों ने जबरन अध्यक्ष की कुर्सी से उतार दिया। धर्मे गौड़ा जेडीएस के नेता हैं।
विधान परिषद में कांग्रेस के विधायकों के रवैये से नाराज़ जेडीएस के नेताओं ने बीजेपी के साथ मिलकर कांग्रेस नेता प्रभात चंद्र शेट्टी को सभापति/अध्यक्ष पद से हटाने का फ़ैसला किया है। यहीं से बीजेपी और जेडीएस के बीच राजनीतिक दोस्ती फिर से शुरू हुई है।
इसी बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जेडीएस नेता कुमारवामी को जन्मदिन पर शुभकामना संदेश भेजा। ट्विटर पर भी जन्मदिन की बधाई दी और श्रेष्ठ स्वास्थ्य और दीर्घायु की कामना की। इसके बाद अटलबाज़ियाँ तेज़ हो गयीं। कहा जाने लगा कि जेडीएस के नेता बीजेपी से विलय के बारे में बातचीत करने लगे हैं।
सरकार के समर्थन में जेडीएस
गौर करने वाली बात यह है कि पिछले कुछ दिनों से जेडीएस कर्नाटक में बीजेपी सरकार के फ़ैसलों का समर्थन कर रही है। इतना ही नहीं, जेडीएस ने कई महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित करवाने में येदियुरप्पा सरकार की मदद की है। कर्नाटक विधान परिषद में बीजेपी के पास बहुमत नहीं है। बिना जेडीएस के समर्थन के वह कोई भी विधेयक पारित नहीं करवा सकती है।
पिछले दो सत्रों के दौरान जेडीएस ने बीजेपी सरकार द्वारा पेश सभी विधेयक पारित करवाने में परोक्ष अथवा अपरोक्ष रूप से मदद की है। एक बिल लटका हुआ है। गो-हत्या पर निषेध लगाने वाला बिल। यह विधानसभा में पारित हो गया है। लेकिन बहुमत न होने की वजह से विधेयक के पारित न पाने की आशंका से बीजेपी सरकार ने इसे विधान परिषद में पेश नहीं किया।
गौड़ा को कुर्सी से उतारा
इसी दौरान बीजेपी ने परिषद में अपनी राह आसान करने के मकसद से अध्यक्ष प्रभात चंद्र शेट्टी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया। इस प्रस्ताव पर चर्चा की अध्यक्षता खुद शेट्टी नहीं कर सकते थे, इस वजह से उपाध्यक्ष धर्मे गौड़ा पीठासीन हुए। लेकिन अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के शुरू होने से पहले ही कांग्रेसी विधायकों ने जबरदस्त हंगामा किया और धर्मे गौड़ा को अध्यक्ष पद की कुर्सी से जबरन खींच कर उतार दिया। परिषद की कार्यवाही स्थगित हो गयी। लेकिन यहीं से जेडीएस और बीजेपी के बीच दोस्ताना शुरू हो गया।
राजनीतिक दुश्मनी ख़त्म
खबर है कि बीजेपी और जेडीएस मिलकर शेट्टी को विधान परिषद के अध्यक्ष पद से हटाएंगे और फिर अपने साझा उम्मीदवार को अध्यक्ष बनाएंगे। सूत्रों का कहना है कि जेडीएस अपने नेता बसवराज होरट्टी को अध्यक्ष बनवाने की कोशिश में है। उधर, बीजेपी के नेता चाहते हैं कि अध्यक्ष उनकी पार्टी का हो और नया अध्यक्ष चुनने में जेडीएस उनका साथ दे। इन सब के बीच इतना तय है कि बीजेपी और जेडीएस में अब राजनीतिक दुश्मनी नहीं है। दोनों करीब आ चुके हैं। विलय की बात अफवाह हो सकती है, लेकिन राजनीतिक गठजोड़ हकीकत है।
सूत्रों के मुताबिक, बात इतनी आगे बढ़ गई है कि येदियुरप्पा सरकार में जेडीएस के शामिल होने को लेकर भी बातचीत शुरू हो गयी है।
जेडीएस नेता बसवराज होरट्टी ने कहा कि कांग्रेस के रवैये ने जेडीएस को बीजेपी के साथ हाथ मिलाने पर मजबूर किया है। राजनीतिक गलियारे में एक अफवाह यह भी उड़ी कि जेडीएस के कई विधायक पार्टी से अलग होकर बीजेपी में शामिल होने जा रहे हैं।
येदियुरप्पा-कुमारस्वामी की सफाई
बहरहाल, मुख्यमंत्री ने अफवाहों का बाज़ार गर्म होता देखकर सफाई दी। येदियुरप्पा ने कहा कि जेडीएस ने विधान परिषद अध्यक्ष मामले में हमारा समर्थन करने का फैसला किया है। ना ही जेडीएस के विधायक बीजेपी में शामिल हो रहे हैं और न ही जेडीएस का बीजेपी में विलय हो रहा है।
उधर, जेडीएस नेता कुमारस्वामी ने भी सफाई देने की कोशिश की। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि जेडीएस के बीजेपी में विलय का सवाल ही नहीं उठता है। भविष्य में भी जेडीएस का किसी पार्टी में विलय नहीं होगा। विलय का मतलब खुदकुशी है और जेडीएस ऐसा कभी नहीं करेंगी।
लेकिन कुमारस्वामी ने कहा कि कुछ मुद्दों पर जेडीएस अपना समर्थन बीजेपी को दे रही है। दूसरी ओर कांग्रेसी नेताओं का भी मानना है कि बीजेपी और जेडीएस में राजनीतिक समझौता हो चुका है।
बीजेपी ने कर्नाटक में कृषि क़ानूनों को लेकर आंदोलन शुरू न हो, इस मकसद से जेडीएस से गठजोड़ किया है। किसान, जेडीएस का वोटबैंक माने जाते हैं और अगर जेडीएस ने कृषि क़ानूनों का विरोध करना शुरू किया, तो कर्नाटक में, विशेषकर मैसूर रीजन में सरकार विरोधी प्रदर्शन तेज़ हो सकते हैं।