सुप्रीम कोर्ट का हेमंत सोरेन को अंतरिम जमानत पर रिहा करने से इनकार

01:42 pm May 22, 2024 | सत्य ब्यूरो

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार, 22 मई को झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अंतरिम जमानत याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। याचिका में कथित भूमि घोटाले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की गिरफ्तारी को चुनौती दी गई थी और लोकसभा चुनाव 2024 में प्रचार के लिए अंतरिम जमानत की मांग की गई थी। .

जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की वैकेशन बेंच ने इस तथ्य को छिपाने के लिए भी हेमंत सोरेन की खिंचाई की कि उन्होंने एक निचली अदालत के समक्ष जमानत याचिका दायर की है। अदालत ने हेमंत सोरेन के वकील से कहा- “आपका आचरण बहुत कुछ कहता है। हमें उम्मीद थी कि आपका मुवक्किल स्पष्टवादिता के साथ आएगा लेकिन आपने महत्वपूर्ण तथ्यों को दबा दिया।''

सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को भी हेमंत सोरेन को इस टिप्पणी का सामना करना पड़ा, जिसमें अदालत ने पूछा कि वह ईडी द्वारा अपनी गिरफ्तारी की वैधता को कैसे चुनौती दे सकते हैं, क्योंकि झारखंड ट्रायल कोर्ट ने पहले ही उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के प्रथम दृष्टया सबूत के अस्तित्व को स्वीकार कर लिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के सीएम केजरीवाल को मिली अंतरिम जमानत और उनके मामले में फर्क को रेखांकित किया। केजरीवाल को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अंतरिम जमानत मिली थी ताकि वह चल रहे लोकसभा चुनावों में प्रचार कर सकें। बेंच ने कहा कि जब 10 मई को अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत दी गई थी, तब उन्होंने ट्रायल कोर्ट से रेगुलर जमानत नहीं मांगी थी, न ही दिल्ली शराब नीति मामले में उनके खिलाफ संज्ञान का कोई न्यायिक आदेश था। इसके उलट इस मामले में झारखंड की ट्रायल कोर्ट ने प्रथम दृष्टया दोषी ठहराने वाली सामग्री के आधार पर हेमंत सोरेन के खिलाफ धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत अपराधों का संज्ञान लिया है और उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी है।

अंतरिम जमानत की मांग करने वाली हेमंत सोरेन की याचिका पर सुनवाई करते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने सोरेन की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल की कानूनी टीम से उनकी चुनौती की वैधता के संबंध में सवाल पूछे। पीएमएलए के तहत अपराधों का संज्ञान लेने वाले न्यायिक आदेश के बावजूद कथित भूमि घोटाले के सिलसिले में ईडी ने गिरफ्तारी की थी।

बेंच ने इस बात पर प्रकाश डाला कि झारखंड की एक अदालत का 4 अप्रैल का संज्ञान लेने का आदेश सोरेन से जुड़ी आपत्तिजनक सामग्री के अस्तित्व पर उसकी प्रथम दृष्टया संतुष्टि पर आधारित है। कोर्ट ने कहा- “एक बार संज्ञान लेने के बाद, एक न्यायिक मंच ने अपना दिमाग लगाया और इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि प्रथम दृष्टया आपकी गिरफ्तारी को उचित ठहराने वाली सामग्रियां हैं। ऐसे में, क्या कोई अन्य अदालत उन्हीं सामग्रियों पर गौर करेगी? एक न्यायिक निर्णय है, और आपको हमें संतुष्ट करने की आवश्यकता है कि ऐसे आदेश के बाद, यह अदालत अभी भी सामग्रियों पर गौर कर सकती है।”