तेलंगाना जासूसी मामले में 1200 फोन की टैपिंग का मामला सामने आया है। सरकारी एजेंसी ही इतने लोगों पर नज़र रख रही थी। इसकी जाँच रेवंत रेड्डी की सरकार ने कराई है। इस मामले में हैदराबाद पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की है। चार्जशीट से पता चलता है कि 1200 से ज़्यादा फोन टैप किए गए और आरोपियों ने स्टोरेज डिवाइस को नुकसान पहुंचाकर सबूत नष्ट करने की कोशिश की। चार्जशीट में कई बड़े अफ़सरों को आरोपी बनाया गया है, लेकिन भारत राष्ट्र समिति यानी बीआरएस के किसी नेता का नाम नहीं है। फोन टैपिंग का मामला बीआरएस की सरकार में ही सामने आया था।
स्थानीय अदालत में दायर चार्जशीट में आरोपियों में पुलिस उपाधीक्षक डी प्रणीत राव, अतिरिक्त अधीक्षक भुजंगा राव और तिरुपथन्ना, पूर्व पुलिस उपायुक्त (टास्क फोर्स) राधा किशन राव और दो भगोड़े - पूर्व विशेष खुफिया ब्यूरो प्रमुख प्रभाकर राव और स्थानीय मीडिया संगठन में वरिष्ठ कर्मचारी श्रवण कुमार शामिल हैं।
फोन टैपिंग का मामला तब सामने आया था जब पिछले साल ए रेवंत रेड्डी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने कार्यभार संभाला और जांचकर्ताओं ने पाया कि विपक्षी नेताओं और मशहूर हस्तियों सहित कई हाई-प्रोफाइल लोगों के फोन बीआरएस प्रमुख के चंद्रशेखर राव के पिछले शासन के दौरान टैप किए गए थे। इस ख़बर के बाद यह एक बड़ा विवाद बन गया।
पूर्व पुलिस उपायुक्त (टास्क फोर्स, हैदराबाद सिटी) पी राधाकिशन राव ने कथित तौर पर के चंद्रशेखर सरकार के दौरान फोन टैपिंग में शामिल होने की बात कबूल की है। इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से बताया कि राधाकिशन राव ने तत्कालीन तेलंगाना विशेष खुफिया ब्यूरो (एसआईबी) प्रमुख टी प्रभाकर राव के निर्देशों के तहत राजनेताओं और अन्य लोगों पर निगरानी रखने में अपनी संलिप्तता स्वीकार की थी। हैदराबाद पुलिस की एक शाखा कमिश्नर टास्क फोर्स के पूर्व डीसीपी को शहर की पुलिस ने 29 मार्च को फोन टैपिंग और कुछ कंप्यूटर सिस्टम और आधिकारिक डेटा को नष्ट करने के मामले में गिरफ्तार किया था।
पूछताछ के दौरान पी राधाकृष्ण राव ने पुलिस को बताया कि मीडिया के दिग्गजों और राजनेताओं (बीआरएस के लोगों सहित) के डिवाइस हैक किए गए और उनकी निगरानी की गई। कथित तौर पर यह नवंबर के चुनाव से पहले केसीआर के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों पर नज़र रखने के लिए गठित एक टीम द्वारा किया गया था। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार राव ने कहा कि रियल एस्टेट व्यवसायियों की भी जासूसी की गई। जिन लोगों पर नज़र रखी गई उनमें वर्तमान मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी भी शामिल थे।
कांग्रेस नेता एन उत्तम कुमार रेड्डी ने पहले ही एनडीटीवी से बताया था कि कथित जासूसी बीआरएस नेतृत्व की जानकारी में हुई थी। एक रिपोर्ट के अनुसार, निगरानी में रखे गए लोगों में पूर्व आईपीएस अधिकारी आरएस प्रवीण कुमार, पूर्व बीआरएस नेता और विधायक कादियम श्रीहरि, पूर्व बीआरएस मंत्री टी राजैया, तंदूर के पूर्व विधायक पटनम महेंद्र रेड्डी, कांग्रेस नेता के जन रेड्डी और उनके दो बेटे और कई जिला स्तरीय कांग्रेस नेता भी शामिल हैं।
रिपोर्ट के अनुसार कई उद्योगपतियों, बिल्डरों, व्यापारियों, पत्रकारों और नौकरशाहों की गतिविधियों पर भी नज़र रखी गई, मुख्य रूप से यह पता लगाने के लिए कि वे किससे बात कर रहे हैं या किससे मिल रहे हैं।