कोरोना से होने वाली मौतों की संख्या केंद्र सरकार ही नहीं, राज्य सरकारें भी छिपा रही हैं और इस पर झूठ बोल रही हैं। ताज़ा घटनाक्रम में यह पता चला है कि झारखंड में अप्रैल-मई में मरने वाले लोगों की तादाद पिछले साल की अवधि में हुई मौतों से लगभग डेढ़ गुणे ज़्यादा है। और यह सरकार के आँकड़ों से ही साबित होता है।
झारखंड सरकार ने घर-घर जाकर एक सर्वे किया और पाया कि अप्रैल-मई के दौरान 25,490 लोगों की मौत हो गई। लेकिन अप्रैल-मई 2019 में 17,819 लोगों की मौत हुई थी। सरकार का कहना है कि उसके पास 2020 के आँकड़े नहीं है क्योंकि अभी उस पर काम पूरा नहीं हुआ है।
मौत की वजह पर चुप है सरकार
यह सर्वे राज्य के 24 ज़िलों में हुआ और इसमें 2.56 करोड़ लोगों को शामिल किया गया। यह कुल जनसंख्या 3.50 करोड़ का लगभग 85 प्रतिशत है।
झाकखंड के अतिरिक्त मुख्य सचिव अरुण सिंह ने कहा कि इस साल अप्रैल-मई में 25,000 लोगों की मौत हुई है, लेकिन हम यह नहीं बता सकते कि ये मौतें किस वजह से हुई हैं।
यानी सरकार मौत की बात तो मानती है, पर यह नहीं मान रही है कि ये मौतें कोरोना से हुई हैं, पर वह इससे इनकार भी नहीं कर रही है।
हैदराबाद
दूसरी ओर दक्षिण भारत के राज्य तेलंगाना से भी इसी तरह की खबर है। तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में कोरोना से मौतों की जो संख्या सरकार बता रही है, लोगों का कहना है कि उससे 10 गुणे ज़्यादा लोगों की मौत उससे हुई है।
ग्रेटर हैदराबाद म्युनिसपल कॉरपोरेशन का कहना है कि अप्रैल-मई 2021 में कोरोना से 3,275 मौतें हुई हैं। लेकिन अनुमान है कि 32,752 अतिरिक्त मौतें हुई हैं।
क्या कहना सरकार का?
इस इलाक़े में अप्रैल- दिसंबर में 18,420 हुई है, जबकि जनवरी-मई में 14,332 मौतें हुई हैं। मृत्यु प्रमाण पत्र जितने लोगों को जारी किए गए, उसके आधार पर अनुमान लगाया है कि इस दौरान 36,041 लोगों की मौतें हुईं।
हैदराबाद विश्वविद्यालय के महामारी विशेषज्ञ डॉक्टर बी. आर. शमन्ना ने 'द हिन्दू' अख़बार से कहा, 'तेलंगाना में सभी मौतों का रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है और वहाँ केसलोड मौतों की संख्या से मेल नहीं खाता है। हमें इन संख्याओं का मिलान कर देखना होगा।'