रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने शुक्रवार को एक बार फिर रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट्स की बढ़ोतरी की है। अब रेपो रेट बढ़कर 5.40 फीसद हो गया है। पिछले कुछ महीनों के अंदर रेपो रेट में यह तीसरी बढ़ोतरी है।
मई में रेपो रेट में 40 बेसिस प्वाइंट्स की बढ़ोतरी की गई थी। 8 जून को भी रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट्स की बढ़ोतरी हुई थी।
रेपो रेट के बढ़ने से घर की ईएमआई यानी होम लोन, गाड़ियों के लिए लिए गए लोन और पर्सनल लोन भी महंगे हो जाएंगे।
बता दें कि आरबीआई जिस रेट पर दूसरे बैंकों को लोन देता है उसे रेपो रेट कहा जाता है। रेपो रेट कम होने का मतलब होता है कि बैंक से मिलने वाले सभी तरह के लोन सस्ते हो जाते हैं जबकि रेपो रेट ज्यादा होने का मतलब है कि लोन चुकाने के लिए आपको ज्यादा पैसे देने पड़ेंगे।
रेपो रेट बढ़ने का असर ईएमआई यानी मासिक किस्तों पर भी होगा और इससे उद्योग व अर्थव्यवस्था भी थोड़ा बहुत प्रभावित होती है। रेपो रेट बढ़ने का सीधा असर आम आदमी की जेब पर होगा।
विपक्ष का हल्लाबोल
देश में लगातार बढ़ रही महंगाई को लेकर केंद्र सरकार विपक्षी दलों के निशाने पर है। महंगाई, जीएसटी की दरों में बढ़ोतरी, बेरोज़गारी जैसे बड़े मुद्दों को लेकर संसद के मॉनसून सत्र में जोरदार हंगामा हो चुका है और कांग्रेस भी लगातार प्रदर्शन कर रही है। कांग्रेस ने कहा है कि पिछले कुछ सालों में पेट्रोल, डीजल, एलपीजी सिलेंडर, नमक, अरहर दाल, सोयाबीन तेल, सरसों तेल, चाय जैसी जरूरी चीजों के दामों में अच्छी-खासी बढ़ोतरी हुई है और इससे देश का आम और खास वर्ग बुरी तरह हलकान है।
जून में विश्व बैंक ने भारत का आर्थिक विकास अनुमान घटाकर 7.5 फीसद कर दिया था। यह दूसरी बार था जब विश्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष 2022-23 में भारत के लिए अपने सकल घरेलू उत्पाद के विकास के अनुमान को संशोधित किया था। अप्रैल में उसने इसे 8.7% से घटाकर 8% कर दिया था।
महंगाई पर रोक लगाने के लिए कुछ महीने पहले केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी हटाने, गेहूं के एक्सपोर्ट पर बैन, चीनी के एक्सपोर्ट पर प्रतिबंध, सोयाबीन और सूरजमुखी तेल के ड्यूटी फ्री इंपोर्ट का फैसला लेने जैसे कई कदम उठाए थे।