जीएसटी परिषद के मामले में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फ़ैसले को विपक्षी शासित राज्यों ने संघवाद को मज़बूत करने वाला क़रार दिया है। विपक्ष शासित राज्यों ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले ने कहा कि जीएसटी परिषद की सिफारिशें राज्यों पर बाध्यकारी नहीं हैं और इस तरह राज्यों और लोगों के संघीय अधिकारों को बरकरार रखा है।
आदेश का स्वागत करते हुए केरल के वित्त मंत्री केएन बालगोपाल ने ट्वीट्स की एक श्रृंखला में कहा है कि 'कराधान और राज्य सरकार के अधिकारों पर जीएसटी परिषद की शक्तियों पर निर्णय एक ऐतिहासिक फ़ैसला है'।
उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा है कि उन्होंने अभी तक पूरा फ़ैसला नहीं देखा है लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला सुनाया है, उसे पढ़ने से मुझे यही लगता है कि यह सहकारी संघवाद के लिए एक बड़ा बढ़ावा होगा।
उन्होंने आगे कहा, 'जीएसटी विधेयक का अध्ययन करने वाली राज्यसभा की चयन समिति के सदस्य के रूप में मेरा विचार था कि जीएसटी संघवाद पर हमला है। हमने हमेशा यह सुनिश्चित किया है कि प्रतिनिधित्व के बिना कोई कराधान नहीं होना चाहिए। सहकारी संघवाद को मजबूत करने के लिए राज्यों की रक्षा की जानी चाहिए।'
तमिलनाडु के वित्त मंत्री पी थियागा राजन ने कहा है कि फ़ैसला उसी के अनुरूप है जैसा कि वह पहले कहते रहे थे। उन्होंने कहा है कि आदेश का अध्ययन करने के बाद आगे वह इस पर चर्चा करेंगे। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने जीएसटी परिषद के कामकाज को सामने लाया है। फ़ैसले के संदर्भ में उन्होंने ट्वीट किया कि जीएसटी में 'एक पूर्ण बदलाव की आवश्यकता है'।
उन्होंने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एक वैधानिक निकाय जीएसटी परिषद के पास केवल सिफारिशें करने की शक्ति है और इसके निर्णय केवल केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा अपने संबंधित कानूनों में उपयुक्त संशोधन करने के बाद ही लागू किए जा सकते हैं।'
राज्यों ने कहा कि इससे भविष्य में जीएसटी परिषद के कामकाज के तौर-तरीक़े पर असर पड़ेगा। ईटी की रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ के वित्त मंत्री टीएस सिंह देव ने कहा, 'यह एक स्वागत योग्य क़दम है। इससे परिषद के कामकाज के तरीक़े में बदलाव आएगा।'
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक फ़ैसले में कहा है कि जीएसटी परिषद की सिफारिशें केंद्र और राज्यों के लिए बाध्यकारी नहीं हैं। जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ ने केंद्र सरकार की इस दलील को खारिज कर दिया कि जीएसटी परिषद की सिफारिशें विधायिका और कार्यपालिका के लिए बाध्यकारी हैं।
सुप्राम कोर्ट ने गुजरात हाई कोर्ट के पहले के फ़ैसले के ख़िलाफ़ केंद्र सरकार की याचिका भी खारिज कर दी। हाई कोर्ट ने फ़ैसला दिया था कि समुद्री माल ढुलाई पर एकीकृत जीएसटी असंवैधानिक है। सुप्रीम कोर्ट ने भी साफ़-साफ़ कह दिया कि संसद और राज्य विधानसभा दोनों के पास जीएसटी पर कानून बनाने की शक्ति है। शीर्ष अदालत ने साफ़ किया कि जीएसटी परिषद सिर्फ़ अप्रत्यक्ष कर प्रणाली तक सीमित एक संवैधानिक निकाय नहीं है, बल्कि संघवाद और लोकतंत्र को बढ़ावा देने के लिए एक अहम कड़ी है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अनुच्छेद 246ए के मुताबिक़ संसद और राज्य विधायिका के पास कराधान के मामलों पर क़ानून बनाने की एक समान शक्तियाँ हैं।