विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ ने मंकीपॉक्स वायरस से सबसे अधिक प्रभावित समूह पुरुषों के लिए बेहद अहम सुझाव दिए हैं। इसने कहा है कि अलग-अलग पुरुषों के बीच शारीरिक संबंध बनाने से बचना चाहिए। पिछले शनिवार को मंकीपॉक्स को वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करने वाले डब्ल्यूएचओ के प्रमुख टेड्रोस अदनोम घेब्रेयसस ने कहा है कि संक्रमण से बचाव का सबसे अच्छा तरीक़ा वायरस के संपर्क में आने के जोखिम को कम करना है।
इसके साथ ही घेब्रेयसस ने कहा है कि मंकीपॉक्स के प्रकोप से यूरोप और अमेरिका सबसे ज़्यादा प्रभावित हुए हैं। इन दो क्षेत्रों में कुल मामलों में से 95 प्रतिशत मामलों की सूचना मिली है।
डब्ल्यूएचओ को 78 देशों से 18,000 से अधिक मंकीपॉक्स के मामलों की जानकारी मिली है। उन्होंने कहा कि मई के बाद से इस प्रकोप में पांच लोगों की मौतें हुई हैं और लगभग 10 प्रतिशत संक्रमित लोगों को अस्पताल जाना पड़ता है। डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने कहा है कि संक्रमितों में से 70 प्रतिशत से अधिक यूरोपीय क्षेत्र से और 25 प्रतिशत अमेरिका से हैं।
घेब्रेयसस ने कहा है कि रिपोर्ट किए गए मंकीपॉक्स के मामलों में से 98 प्रतिशत लोग पुरुषों के साथ यौन संबंध रखने वाले पाए गए हैं। हालाँकि, इसके साथ ही उन्होंने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि कलंक और भेदभाव किसी भी वायरस की तरह ख़तरनाक हो सकता है और प्रकोप को बढ़ावा दे सकता है।
पिछले हफ्ते न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया था कि 98 प्रतिशत संक्रमित लोग समलैंगिक या बाइसेक्सुअल पुरुष थे, और 95 प्रतिशत मामले शारीरिक संबंध के माध्यम से फैले थे। विशेषज्ञों ने कहा है कि बीमारी मुख्य रूप से निकट, शारीरिक संपर्क फैलती है। हालाँकि मंकीपॉक्स को अब तक यौन संचारित संक्रमण यानी एसटीआई नहीं कहा गया है।
विशेषज्ञों ने इस बात पर जोर दिया है कि यह नियमित रूप से त्वचा से त्वचा के संपर्क के माध्यम से या दूषित बिस्तर या तौलिये को छूने से भी फैलता है।
बहरहाल, डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने कहा है, 'जैसा कि हमने कोरोना की गलत सूचना को देखा है, यह तेजी से ऑनलाइन फैल सकता है, इसलिए हम हानिकारक सूचनाओं को रोकने और उनका मुकाबला करने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, तकनीकी कंपनियों और समाचार संगठनों को हमारे साथ काम करने के लिए आग्रह करते हैं।'
पिछले शनिवार को डब्ल्यूएचओ ने आधिकारिक तौर पर मंकीपॉक्स को सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित कर दिया। डब्ल्यूएचओ देशों से मंकीपॉक्स के प्रकोप को गंभीरता से लेने के लिए, संक्रमण को रोकने और कमजोर समूहों की सुरक्षा के लिए ज़रूरी कदम उठाने का आग्रह करता रहा है।
बता दें कि दुनिया भर में मंकीपॉक्स के मामले आने के बीच भारत में भी चिंताएँ बढ़ी हैं। सरकार ने मंकीपॉक्स वायरस के ख़िलाफ़ टीका विकसित करने के लिए रुचि रखने वालों से आवेदन मांगे हैं। सरकार का यह निर्णय तब आया है जब भारत में मंकीपॉक्स के कम से कम 4 मामलों की पुष्टि हो चुकी है।
मंकीपॉक्स को लेकर केंद्र सरकार ने रविवार को ही एक समीक्षा बैठक की थी। दिल्ली में 34 वर्षीय व्यक्ति में मंकीपॉक्स के लक्षण पाए जाने के बाद यह उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक बुलाई गई।
रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले से कहा गया था कि केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव, डीजीएचएस और निदेशक एनसीडीसी ने संयुक्त निगरानी समूह के साथ यह बैठक की। राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को कड़ी निगरानी की सलाह दी गई। दिल्ली सरकार को मंकीपॉक्स केस के कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग की सलाह दी गई।
मंकीपॉक्स की वैक्सीन
डेनमार्क स्थित एक कंपनी बवेरियन नॉर्डिक ने मंकीपॉक्स के लिए एक टीका विकसित किया है, लेकिन यह कितना प्रभावी है, इसका आँकड़ा नहीं है। डब्ल्यूएचओ की प्रमुख वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन ने कहा है कि "बवेरियन नॉर्डिक में 16 मिलियन खुराक हैं, जो अमेरिकी भंडार का हिस्सा हैं। अमेरिका ने उनमें से कुछ खुराक कुछ अन्य देशों को दान कर दी हैं।'
इस वैक्सीन के आने से पहले तक कुछ रिपोर्टों में कहा गया था कि मंकीपॉक्स के ख़िलाफ़ चेचक वाले टीके का इस्तेमाल किया जाता रहा। उन रिपोर्टों में चेचक वाले टीके को 85% सुरक्षा प्रदान करता बताया गया क्योंकि दोनों वायरस काफी समान हैं। हालाँकि, ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में पहले कहा गया था कि इसके भी मामले सामने आए हैं जिसमें स्मॉलपॉक्स की वैक्सीन लगाए व्यक्ति को मंकीपॉक्स का संक्रमण हो गया।