गांबिया में मौत से जुड़े सीरप को भारत में नहीं बेचा गया: केंद्र

10:35 pm Oct 06, 2022 | सत्य ब्यूरो

भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय ने गुरुवार को कहा है कि जिस कफ सीरप से गांबिया में बच्चों की मौत हुई है उसको केवल निर्यात के लिए बनाया गया था और उसे भारत में नहीं बेचा गया। इस मामले में भारत सरकार ने भी उस कफ सीरप के मामले की जाँच के आदेश दिए हैं। भारत की एक कफ सीरप कंपनी द्वारा बनाए गए उस कफ सीरप को गांबिया ने हटाना शुरू कर दिया है। रिपोर्टों में दावा किया गया है कि वहाँ घर घर जाकर उस कफ सीरप को अब इकट्ठा किया जा रहा है। वह कफ सीरप कथित तौर पर गांबिया में 60 बच्चों की मौत से जुड़ा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ द्वारा चेतावनी देने के बाद यह फ़ैसला लिया गया है। 

भारत में जाँच के आदेश के बाद हरियाणा सरकार ने सोनीपत स्थित एक फर्म द्वारा निर्मित चार कफ सीरप के नमूने जांच के लिए कोलकाता में केंद्रीय औषधि प्रयोगशाला को भेजे हैं। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने गुरुवार को यह जानकारी दी है। 

डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस अदनोम घेब्येयियस ने बुधवार को संवाददाताओं से कहा कि यूएन एजेंसी भारत के दवा नियामक और दवा निर्माता के साथ उन मौतों की जाँच कर रही है। रिपोर्टों में कहा गया है कि गुर्दे को हुए नुक़सान के बाद वे मौतें हुई हैं।

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, डब्ल्यूएचओ की ओर से ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया को बीती 29 सितंबर को इन कफ सीरप को लेकर अलर्ट भेजा गया था। इसके बाद सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन ने इस मामले में जांच शुरू की। 

भारत मेडेन फार्मास्यूटिकल्स द्वारा उत्पादित कफ सीरप के नमूनों का परीक्षण कर रहा है। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार डब्ल्यूएचओ ने कहा कि मेडेन कफ सीरप के प्रयोगशाला विश्लेषण ने डायथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल की 'अस्वीकार्य' मात्रा की पुष्टि की थी, जो विषाक्त हो सकती है और इससे गुर्दे को गंभीर नुक़सान हो सकता है।

डब्ल्यूएचओ की ओर से 23 सैंपल की जांच की गई और इनमें से 4 सैंपल में डायथाइलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल होने की बात सामने आई है।

ये पदार्थ इंसानों के लिए जहरीले होते हैं और बेहद नुकसानदेह भी साबित हो सकते हैं। इनके जहरीले असर से पेट में दर्द, उल्टी, दस्त, पेशाब ना हो पाना, सिर दर्द, दिमाग का घूमना और किडनी को नुकसान पहुंचना भी शामिल है और इससे मौत भी हो सकती है। डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि जब तक इनकी किसी सक्षम प्राधिकरण से जांच नहीं की जाती, इन उत्पादों को पूरी तरह असुरक्षित समझा जाना चाहिए। 

हालांकि डब्ल्यूएचओ की ओर से इन प्रोडक्ट्स को लेकर अभी पूरी जानकारी नहीं दी गई है और यह भी नहीं बताया गया है कि यह मौत कब हुई हैं और सीरप से ही मौत हुई है, इस संबंध में किसी तरह के दस्तावेज भी नहीं साझा किए गए हैं। 

रिपोर्ट के अनुसार मेडेन फार्मास्यूटिकल्स के निदेशक नरेश कुमार गोयल ने रॉयटर्स को बताया कि उन्होंने गुरुवार सुबह ही मौतों के बारे में सुना और इसका और पता लगाने की कोशिश कर रहे थे। उन्होंने कहा, 'हम खरीदार के साथ यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि वास्तव में क्या हुआ है। हम भारत में कुछ भी नहीं बेच रहे हैं।'