महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने कहा है कि महायुति गठबंधन को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद के लिए अपने उम्मीदवार की घोषणा करने की जरूरत नहीं है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री अजित पवार के साथ एक संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने बुधवार 16 अक्टूबर को कहा, "हमारा मुख्यमंत्री यहीं बैठा है।" उनका इशारा शिंदे की तरफ था। यानी महायुति ने यह साफ कर दिया कि चुनाव जीतने पर शिंदे ही सीएम होंगे।
फडणवीस के निशाने पर दरअसल महाविकास अघाड़ी (एमवीए) का सीएम चेहरा था, जिस पर एमवीए में राय बंटी हुई है। फडणवीस ने शरद पवार का नाम लेते हुए कहा कि एमवीए अपने सीएम उम्मीदवार की घोषणा करके दिखाए। ऐसा वे कर नहीं सकते क्योंकि उन्हें अपने नेतृत्व पर भरोसा नहीं है।
पिछले महीने, शरद पवार ने कहा था कि एमवीए को चुनाव से पहले मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा करने की कोई जरूरत नहीं है और गठबंधन सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ेगा। पवार ने कहा था, "सीएम के चेहरे की घोषणा न करने से कहीं कोई बाधा नहीं है। अभी इस बारे में सोचने की जरूरत नहीं है। किसे नेतृत्व करना है यह संख्या के अनुसार तय किया जाना चाहिए। चुनाव से पहले कोई व्यवस्था करने की जरूरत नहीं है।" हालांकि शिवसेना यूबीटी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने दो मौकों पर कहा कि एमवीए के सीएम चेहरे की घोषणा कर देनी चाहिए। उद्धव ने यह भी कहा था कि जो भी नाम घोषित होगा, उसे वो पूरा समर्थन देंगे।
महाराष्ट्र में 20 नवंबर को एक ही चरण में मतदान होगा और नतीजे 23 नवंबर को घोषित किए जाएंगे।
अपना रिपोर्ट कार्ड पेश करते हुए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि पिछले दो वर्षों में उनकी सरकार का काम और प्रदर्शन महायुति गठबंधन का चेहरा है। उन्होंने भी एमवीए को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित करने की भी चुनौती दी। उन्होंने कहा, "हम अपना दो साल का प्रदर्शन कार्ड पेश कर रहे हैं। अपनी सरकार के दो साल बाद अपना रिपोर्ट कार्ड पेश करना आसान बात नहीं है क्योंकि इतना विस्तृत रिपोर्ट कार्ड तैयार करने के लिए सरकार को अच्छा प्रदर्शन करना होगा।"
फडणवीस ने पिछली उद्धव ठाकरे की सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कटाक्ष किया। उन्होंने महायुति की उपलब्धियों और चुनावों के लिए योजनाओं के बारे में भी बात की, पहले से मौजूद कई योजनाओं और वित्तीय प्रावधानों को सूचीबद्ध किया। उन्होंने कहा, "हमने पहले ही कई योजनाएं शुरू की हैं, वित्तीय प्रावधान किए हैं और इन कार्यक्रमों के लिए बजट निर्धारित किया है।"
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2019 के विधानसभा चुनाव में, बीजेपी को 26.1% वोट मिले, जबकि कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना के एमवीए गठबंधन को क्रमशः 16.1%, 16.9% और 16.6% वोट मिले। उस समय शिवसेना एक थी। उद्धव सीएम बने। लेकिन उसके बाद एनसीपी और शिवसेना में तोड़फोड़ करवा कर भाजपा ने एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में महायुति गठबंधन की सरकार बनवा दी।
आगामी चुनाव शिवसेना और एनसीपी दोनों में विभाजन के बाद इन गठबंधनों के बीच पहला सीधा मुकाबला होगा। इस चुनाव में एमवीए की स्थिति बेहतर बताई जा रही है। दोनों ही गठबंधनों ने अभी तक सीट शेयरिंग का ऐलान नहीं किया। मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि दोनों ही गठबंधनों में सीट शेयरिंग को लेकर तमाम विवाद हैं।
महाराष्ट्र में हाल ही में अपराध बढ़ने से शिंदे सरकार विवादों के घेरे में है। पूर्व मंत्री बाबा सिद्दीकी की हत्या विवाद के केंद्र में है। शिंदे सरकार धारावी प्रोजेक्ट में कई जमीनें अडानी समूह की कंपनी को देने की आलोचना का भी सामना कर रही है। शिवसेना यूबीटी ने उस पर महाराष्ट्र को आर्थिक नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया है। उसका यह भी कहना है कि महाराष्ट्र के लिए आये कई प्रोजेक्ट गुजरात भेज दिये गये।