ट्रांसफर केस: 'टॉप सीक्रेट' दस्तावेज में उद्धव, पवार के नाम

01:15 pm Mar 24, 2021 | सोमदत्त शर्मा - सत्य हिन्दी

पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा ट्रांसफ़र रैकेट के आरोप लगाए जाने के बाद ‘सत्य हिंदी’ के हाथ ऐसे दस्तावेज़ लगे हैं जिनमें एनसीपी मुखिया शरद पवार से लेकर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे तक के नाम हैं। टॉप सीक्रेट दस्तावेज से यह खुलासा हुआ है कि डीसीपी सचिन पाटिल के नाशिक ट्रांसफर के लिए संतोष जगताप नाम के एजेंट ने आदित्य ठाकरे से लेकर अनिल देशमुख और अजित पवार से लेकर शरद पवार तक मुलाक़ात की थी। इस दस्तावेज के अनुसार, बाद में शरद पवार ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को वाट्सऐप मैसेज कर सचिन पाटिल के ट्रांसफर के लिए कहा था।

यह एक्सक्लूसिव रिपोर्ट 'सत्य हिंदी' के हाथ लगे टॉप सीक्रेट दस्तावेज पर आधारित है। इस दस्तावेज के अनुसार, महाराष्ट्र की तत्कालीन इंटेलिजेंस कमिश्नर रश्मि शुक्ला ने 20 अगस्त 2020 को महाराष्ट्र के डीजीपी को गुप्त जानकारी भेजी थी जिसमें लिखा गया था कि महादेव इंगले नाम के एजेंट, जिसका मोबाइल नंबर 9822291816, 7620385399 है, को 29 जुलाई 2020 से सर्विलांस पर रखा गया था और उसकी हरकत पर नज़र रखी जा रही थी।

जब महादेव इंगले के इंटरसेप्ट किये गए कॉल का विश्लेषण किया गया तो पता चला कि महादेव इंगले अपने राजनीतिक और प्रतिष्ठित व्यक्तियों के दम पर महाराष्ट्र में पुलिस इंस्पेक्टर से लेकर डीआईजी लेवल तक के अधिकारियों से उनकी इच्छा के अनुसार ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर बात कर रहा है। महादेव इंगले ने एसपी से लेकर डीआईजी तक के 29 लोगों के ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर उस समय बात की थी। इसके बाद उनमें से एक दर्जन के आसपास लोगों के ट्रांसफर उनके मन मुताबिक़ हुए।

इस रिपोर्ट के अनुसार, महादेव इंगले ने डीआईजी निसार तंबोली, एसपी दिलीप भुजबल, एसपी विजय कुमार मगर, एसपी श्रीधर जी, एसपी शिवाजी राठौड़, एसपी राकेश कल सागर, एसपी दिगंबर प्रधान, एसपी अतुल झंडे, एडिशनल एसपी संदीप पालवे, एडिशनल एसपी वैशाली करू कर, डीसीपी पराग मेरे, एडिशनल एसपी मिलिंद मोहिते, एडिशनल एसपी राजू भुजबल, डीसीपी अशोक दुधे, डिप्टी एसपी राहुल धस, डीसीपी राहुल खड़े, डीसीपी भरत टंगड़े, एसपी राहुल श्री रामे, एसपी मनोज पाटिल, एसपी चंद्रकांत खांडवी, डिप्टी एसपी गणेश केंद्र, डिप्टी एसपी विवेक पवार, डिप्टी एसपी विकास तोडावल, एसीपी पंकज, एसीपी अशोक वीरकर एसीपी ढोला तेली और एसीपी हेमंत सावंत से उनके मन मुताबिक़ पोस्टिंग के बारे में बात की थी। इसको इंटेलिजेंस विभाग ने इंटरसेप्ट किया था।

इंटेलिजेंस ने जिस दूसरे एजेंट की कॉल इंटरसेप्ट की थी उसका नाम है संतोष उर्फ सागर जगताप। इसके मोबाइल नंबर 9867830003 को इंटेलिजेंस विभाग ने 11 अगस्त 2020 से सर्विलांस पर रखा था। ऑफिसियल सीक्रेट दस्तावेज से यह पता लगा है कि एजेंट संतोष जगताप ने डीसीपी सचिन पाटिल के नासिक में ट्रांसफर के लिए मंत्री आदित्य ठाकरे, गृह मंत्री अनिल देशमुख व उपमुख्यमंत्री अजित दादा पवार से मुलाक़ात की थी, और उसके बाद कांग्रेस और एनसीपी के नासिक के विधायकों को लेकर मुंबई में यशवंतराव चव्हाण ऑडिटोरियम में एनसीपी के मुखिया शरद पवार से भी मुलाक़ात की थी।

डीसीपी सचिन पाटिल के तबादले को लेकर संतोष जगताप को काफ़ी प्रयास करने पड़े। नासिक में शिवसेना का वर्चस्व होने की वजह से अजित पवार के कहने पर शिवसेना के विधायकों की मदद से पार्टी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे की सिफारिश ज़रूरी होने की बात जगताप ने कही थी। पवार से मुलाक़ात कर ट्रांसफर का काम पूरा किया गया और शरद पवार ने उद्धव ठाकरे को वाट्सऐप मैसेज कर सचिन पाटिल का नाम भेजा और आख़िरी ऑर्डर में नाम आएगा ऐसा जगताप ने डीसीपी सचिन पाटिल को बताया। संतोष जगताप की इंटरसेप्ट कॉल में यह बात भी सामने आई है कि वह विपिन कुमार सिंह एडीजी के भी संपर्क में था।

इंटेलिजेंस विभाग द्वारा और भी कई ऐसे एजेंट के नाम सामने लाए गए हैं जिनकी कॉल को इंटरसेप्ट किया गया था। इनमें नवाज मुनेर अजीमुद्दीन, देवानंद भोजे के नाम भी शामिल होने के सबूत मिले हैं। इन लोगों ने भी महाराष्ट्र के अलग-अलग पुलिस अधिकारियों से उनके ट्रांसफर के बारे में संपर्क किया था। रश्मि शुक्ला द्वारा डीजीपी को भेजी गई रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इनमें से कुछ अधिकारियों ने इन एजेंटों को पैसों का भी भुगतान किया था।

रश्मि शुक्ला द्वारा डीजीपी को भेजी गई रिपोर्ट के बाद डीजीपी सुबोध जायसवाल ने यह टॉप सीक्रेट रिपोर्ट महाराष्ट्र के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) सीताराम कुंटे को भेजी थी। डीजीपी ने सीताराम कुंटे को यह रिपोर्ट 26 अगस्त 2020 को भेजी थी उसके बाद सीताराम कुंटे ने यह रिपोर्ट महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को भेजी थी। उद्धव ठाकरे ने यह टॉप सीक्रेट रिपोर्ट गृह मंत्री अनिल देशमुख को भी भेज दी थी। लेकिन उस पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। इंटेलिजेंस की ताज़ा रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई है कि जिन लोगों की कॉल इंटरसेप्ट की गई थी और जिन पुलिस अधिकारियों ने एजेंट से संपर्क किया था उनमें से लगभग एक दर्जन से ज़्यादा लोगों को उनके मनमाफिक ट्रांसफर पोस्टिंग मिल गई है।