चिंतन शिविर के आख़िरी दिन रविवार को कांग्रेस पार्टी की शीर्ष निर्णय लेने वाली संस्था कांग्रेस कार्य समिति यानी सीडब्ल्यूसी ने एक परिवार, एक टिकट के नियम को मंजूर कर लिया है। हालाँकि, इस नियम में एक छूट भी दी है जिससे कुछ राजनीतिक परिवारों को इसका फायदा मिल सकता है।
यह छूट किसको मिली है, यह जानने से पहले यह जान लें कि आज बड़े-बड़े फ़ैसले क्या लिए गए हैं। सीडब्ल्यूसी सहित सभी स्तरों पर 50 वर्ष से कम आयु वालों के लिए 50 प्रतिशत प्रतिनिधित्व और सभी स्तरों पर पदों पर रहने वालों के लिए पांच साल की सीमा तय होगी।
सीडब्ल्यूसी ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता में हुई बैठक में उदयपुर नव संकल्प शिविर की घोषणा को स्वीकार कर लिया है। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, 'एक परिवार, एक टिकट' के नियम को जो स्वीकार किया गया है उसमें एक छूट की भी घोषणा की गई है। चुनाव लड़ने के इच्छुक कांग्रेस नेताओं के बेटे, बेटियों और अन्य रिश्तेदारों को कम से कम पांच साल तक पार्टी के लिए काम किया हुआ होना चाहिए।
यानी कांग्रेस पार्टी में उन लोगों के परिवार में दो लोगों को टिकट दिए जा सकते हैं जिनमें दोनों लोगों ने कम से कम 5-5 साल पार्टी के लिए काम किया हो। इस नियम के तहत गांधी परिवार के सोनिया, राहुल और प्रियंका तीनों चुनाव लड़ सकते हैं। इनके अलावा कुछ और परिवार भी इस नियम के छूट का लाभ ले सकते हैं।
रिपोर्ट के अनुसार बागी अधिक समावेशी निर्णय लेने की प्रक्रिया के लिए एक संसदीय बोर्ड चाहते थे। लेकिन इस विचार का काफी विरोध हुआ क्योंकि इसे पार्टी प्रमुख की शक्तियों में कटौती के रूप में देखा गया।
एक अन्य मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि सीडब्ल्यूसी ने संगठनात्मक और नीतिगत मुद्दों पर निर्णय लेने में कांग्रेस अध्यक्ष की सहायता के लिए निकाय के भीतर से एक छोटा राजनीतिक सलाहकार समूह स्थापित करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी है। माना जाता है कि संसदीय बोर्ड तंत्र के प्रस्ताव को खारिज कर ही एक छोटा समूह स्थापित करने का फ़ैसला लिया गया है।
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि सभी राज्यों में राजनीतिक मामलों की समिति का गठन किया जाएगा। नेताओं को प्रशिक्षित करने के लिए एक राष्ट्रीय स्तर का प्रशिक्षण संस्थान स्थापित किया जाएगा। रिपोर्ट है कि चुनाव प्रबंधन के लिए भी एक विशेष निकाय का गठन किया जाएगा।
'सौहार्दपूर्ण समाधान मिला'
इससे पहले शशि थरूर ने आज सुबह कहा था कि उदयपुर के चिंतन शिविर में अलग-अलग विचारों पर जोरदार बहस हुई और एक सौहार्दपूर्ण समाधान मिल गया है। उन्होंने कहा है कि चर्चाओं में पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र की शानदार मिसाल दिखी।
उन्होंने एक तसवीर को साझा करते हुए ट्वीट किया है, 'कल रात हमारे विचार-विमर्श के स्थगित होने के बाद राजनीतिक समिति के कुछ सदस्य ग्रुप फोटो के लिए जुटे। चर्चाएँ आंतरिक-पार्टी लोकतंत्र का एक मजबूत मिसाल थीं: विचार जोश-खरोस से भरे हुए थे और सौहार्दपूर्ण समाधान मिले।'
जनता से जोड़ने का आह्वान
बता दें कि उदयपुर में तीन दिवसीय चिंतन शिविर के आख़िरी दिन राहुल गांधी ने पार्टी के सदस्यों को संबोधित किया। उन्होंने कांग्रेस पार्टी को जनता से जोड़ने का आह्वन किया है।
राहुल ने कहा कि जो कांग्रेस पार्टी का कनेक्शन जनता से टूटा है, उसे फिर से जोड़ना होगा। उन्होंने पार्टी सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा, 'हमें यह स्वीकार करना होगा कि जनता से हमारे संबंध टूट गए हैं, लोग जानते हैं कि कांग्रेस ही देश को आगे बढ़ा सकती है।' कांग्रेस पार्टी ने फैसला लिया है कि पूरी की पूरी पार्टी अक्टूबर से जनता के बीच जाएगी।
उन्होंने जोर देकर कहा कि लोगों से दोबारा जुड़ने का कोई शॉर्टकट नहीं है और पार्टी को इसके लिए पसीना बहाना पड़ेगा। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं से अपील की कि वे किसानों और मजदूरों के बीच सिर्फ एक या दो दिन नहीं, बल्कि महीनों बिताएँ।