कांग्रेस नेताओं की चिट्ठी को लेकर सोमवार को कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में जमकर बवाल हुआ। दिन भर सभी नेताओं के अपनी बात रखने के बाद यह तय हुआ कि सोनिया गांधी कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष बनी रहेंगी। हालांकि सुबह सोनिया गांधी ने पद छोड़ने की इच्छा जताई थी और नए अध्यक्ष की चुनाव प्रक्रिया शुरू करने के लिए कहा था।
बैठक के बाद कांग्रेस कार्य समिति के सदस्य के.एच. मुनियप्पा ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई से कहा कि नेतृत्व को लेकर अलग-अलग राय नहीं है और ग़ुलाम नबी आज़ाद, मुकुल वासनिक और आनंद शर्मा ने भी लिखकर दिया है कि नेतृत्व को लेकर कोई विवाद नहीं है। उन्होंने कहा कि कार्य समिति ने सर्व सम्मति से यह फ़ैसला लिया है कि सोनिया गांधी अंतरिम अध्यक्ष पद पर बनी रहेंगी और अध्यक्ष पद के लिए जल्द से जल्द चुनाव कराया जाएगा। इससे पहले चिट्ठी को लेकर पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के नाराज़गी जताने की ख़बरों के बाद कपिल सिब्बल ने ट्वीट कर जोरदार पलटवार किया लेकिन थोड़ी ही देर बाद उन्होंने इसे डिलीट कर दिया। वरिष्ठ नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद ने भी अपनी बात रखी।
ख़बरों के मुताबिक़, कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में राहुल ने चिट्ठी की टाइमिंग पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि इस चिट्ठी पर हस्ताक्षर करने वाले लोग बीजेपी के इशारे पर काम कर रहे हैं।
एनडीटीवी के मुताबिक़, राहुल ने कहा कि यह पत्र ऐसे वक्त में क्यों लिखा गया जब पार्टी ख़राब हालात का सामना कर रही थी, जब पार्टी मध्य प्रदेश और राजस्थान के संकट से जूझ रही थी और जब सोनिया गांधी बीमार थीं। राहुल ने पूछा कि ऐसा किसके लिए किया गया। उन्होंने कहा कि इस बात से उनकी मां को दुख पहुंचा है।
राहुल के आरोप पर कपिल सिब्बल ने ट्वीट कर कहा, ‘राहुल गांधी ने कहा है कि हमारी बीजेपी के साथ मिलीभगत है।’ सिब्बल ने गिनाया कि राजस्थान हाई कोर्ट में उन्होंने कांग्रेस पार्टी का सफलतापूर्वक बचाव किया, मणिपुर में बीजेपी सरकार के ख़िलाफ़ पार्टी का बचाव किया।
सिब्बल ने कहा कि पिछले तीस सालों में उन्होंने किसी भी मुद्दे पर एक भी बयान बीजेपी के पक्ष में नहीं दिया। क्या इसके बाद भी हमारी बीजेपी के साथ मिलीभगत है। इसके अलावा पार्टी के वरिष्ठ नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद ने भी कहा है कि अगर कोई यह साबित कर दे कि उनकी बीजेपी के साथ मिलीभगत है तो वह पार्टी के सभी पदों से इस्तीफ़ा दे देंगे।
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी ऐसा ही आरोप लगाया कि पार्टी से कथित रूप से नाराज़ चल रहे लोग बीजेपी के साथ मिल गए हैं। उन्होंने कहा कि यह चिट्ठी लिखा जाना दुर्भाग्यपूर्ण है और आलाकमान और कांग्रेस को कमजोर करने की कोशिश है।
‘राहुल ने ऐसा नहीं कहा’
राहुल के बयान पर बवाल होते ही कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला सामने आए और उन्होने कहा कि कहा कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने इस तरह का एक भी शब्द नहीं कहा है और न ही इस ओर संकेत किया है। सुरजेवाला ने कहा कि मीडिया में चल रही झूठी बातों और ग़लत सूचनाओं से भ्रमित न हों। उन्होंने कहा कि हम सभी को आपस में लड़ने के बजाय मिलकर काम करने की ज़रूरत है।
इसके बाद सिब्बल ने कहा कि राहुल गांधी ने उन्हें फ़ोन कर कहा है कि जिस बयान के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराया जा रहा है उन्होंने ऐसा कोई बयान नहीं दिया है। सिब्बल ने कहा कि राहुल के फ़ोन के बाद वह अपना ट्वीट डिलीट कर रहे हैं।
आज़ाद ने भी रखी अपनी बात
इसके बाद ग़ुलाम नबी आज़ाद ने भी कहा, ‘मीडिया का एक वर्ग बेवजह के आरोप लगा रहा है। कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में मैंने राहुल गांधी से कहा कि यह साबित किया जाए कि हमने यह चिट्ठी बीजेपी के साथ मिलीभगत करके लिखी है।’ कांग्रेस के बहुत पुराने नेता आज़ाद ने ट्वीट कर कहा, ‘मैं यह साफ करना चाहता हूं कि राहुल गांधी ने न तो कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में और न ही बाहर इस बात को कहा कि यह चिट्ठी बीजेपी के कहने पर लिखी गई है।’
आज़ाद ने कहा, ‘कल कुछ कांग्रेस नेताओं ने कहा था कि हमने ऐसा बीजेपी के कहने पर किया और उस संदर्भ में मैंने कहा था कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ लोगों ने हम पर बीजेपी से मिलीभगत का आरोप लगाया है और अगर वे लोग अपने आरोप को साबित कर देते हैं तो मैं इस्तीफ़ा दे दूंगा।’
नया अध्यक्ष चुने पार्टी
सोमवार सुबह यह ख़बर आई कि सोनिया ने पार्टी में अपने करीबी लोगों से कहा है कि अब वह अध्यक्ष पद पर नहीं बने रहना चाहतीं। रविवार को भी ऐसी ही ख़बर आई थी। सूत्रों के मुताबिक़, उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी को गांधी परिवार से बाहर का अध्यक्ष चुनना चाहिए।
शायद सोनिया गांधी इस बात से आहत हुईं कि पार्टी के 20 से ज़्यादा वरिष्ठ नेताओं ने एक पत्र लिखकर कहा कि पार्टी को एक पूर्णकालिक, ‘प्रभावी’ और ‘सक्रिय’ नेतृत्व चाहिए। साथ ही इसमें पार्टी नेतृत्व को आत्ममंथन करने की सलाह भी दी गई है। इस पत्र में गु़ुलाम नबी आज़ाद से लेकर कपिल सिब्बल, शशि थरूर और आनंद शर्मा जैसे वरिष्ठ नेताओं के हस्ताक्षर हैं।
ख़बरों के मुताबिक़, सोनिया ने कांग्रेस के महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल से कहा है कि वह नया अध्यक्ष चुनने की प्रक्रिया को शुरू करें। राहुल से पहले सोनिया गांधी लगातार 19 साल तक पार्टी के अध्यक्ष पद पर रही थीं और उनके ही नेतृत्व में कांग्रेस ने 2004 में एनडीए की सरकार को सत्ता से हटाया था।
गांधी परिवार के पक्ष में उतरे
सोनिया के इस्तीफ़े की ख़बर के बाद ऐसे नेता निशाने पर हैं जिन्होंने आलाकमान को चिट्ठी लिखी है। लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा है कि जो लोग गांधी परिवार पर सवाल उठा रहे हैं वे कांग्रेस को कमजोर करना चाहते हैं। अधीर ने जोर देकर कहा कि कांग्रेस गांधी परिवार के हाथों में सुरक्षित है।
इसी तरह पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी पूरी तरह गांधी परिवार का समर्थन किया है। अमरिंदर सिंह ने कहा कि गांधी परिवार को लेकर सवाल उठाने वाले लोग ऐसे मुश्किल वक्त में पार्टी का नुक़सान कर रहे हैं।