भारत के सबसे पुराने राजनीतिक दल कांग्रेस के सामने नया अध्यक्ष चुने जाने का प्रश्न बरकरार है। कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया 21 अगस्त से शुरू होनी थी लेकिन पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के रूख की वजह से चुनाव कार्यक्रम जारी नहीं हो सका है।
2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के बाद राहुल गांधी ने पार्टी अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया था। उसके बाद से सोनिया गांधी ही अंतरिम अध्यक्ष के तौर पर यह जिम्मेदारी संभाल रही हैं।
कांग्रेस में वरिष्ठ नेताओं के गुट G-23 की ओर से यह मांग उठाई गई थी कि पार्टी में बड़े बदलाव किए जाने चाहिए और नए अध्यक्ष का चुनाव भी होना चाहिए। उसके बाद कांग्रेस ने एलान किया था कि 20 सितंबर 2022 तक कांग्रेस को नया अध्यक्ष मिल जाएगा और इसकी प्रक्रिया 21 अगस्त से शुरू हो जाएगी। लेकिन ऐसा नहीं हो सका।
कांग्रेस नेताओं का मानना है कि अगस्त के अंत तक कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के कार्यक्रम का एलान हो सकता है।
बिहार कांग्रेस के प्रभारी और वरिष्ठ नेता भक्त चरण दास ने एनडीटीवी को बताया कि राहुल गांधी इस पद पर आने के इच्छुक नहीं हैं लेकिन हम सभी उन्हें इस बात के लिए मना रहे हैं कि वह अध्यक्ष पद संभालें। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ही यह बताएंगे कि इस पद पर कैसे नियुक्ति की जा सकती है। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी कहा कि अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर अभी कुछ नहीं कहा जा सकता।
राहुल गांधी अध्यक्ष बनने के लिए तैयार नहीं हैं। वह इससे पहले भी कई बार पार्टी के तमाम वरिष्ठ नेताओं से कांग्रेस अध्यक्ष के पद पर वापस आने से इंकार कर चुके हैं।
लेकिन सवाल यह है कि अगर राहुल अपनी बात पर अड़े रहे तो कांग्रेस का अध्यक्ष कौन होगा। जाहिर तौर पर पहला नाम प्रियंका गांधी वाड्रा का आता है। चूंकि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी 75 साल की हो चुकी हैं और उनका स्वास्थ्य भी शायद इसकी इजाजत नहीं देता कि वह 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले देश भर में कांग्रेस के लिए सक्रिय रुप से चुनाव प्रचार कर सकें।
प्रियंका गांधी बीते कई सालों से सक्रिय राजनीति में हैं और कांग्रेस नेताओं का एक तबका ऐसा है जो मानता है कि अगर राहुल इस पद पर वापस नहीं लौटते हैं तो प्रियंका गांधी को अध्यक्ष बनाया जा सकता है। एक नाम राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का भी है।
अशोक गहलोत का नाम
यहां बताना जरूरी होगा कि राहुल गांधी कह चुके हैं कि वह गांधी परिवार से बाहर के किसी नेता को ही पार्टी अध्यक्ष के पद पर देखना चाहते हैं। ऐसी स्थिति में सियासत का लंबा अनुभव रखने वाले अशोक गहलोत एक मुख्य नाम हो सकते हैं। मल्लिकार्जुन खड़गे, मीरा कुमार, कमलनाथ, अंबिका सोनी, मुकुल वासनिक के नामों को लेकर भी तमाम तरह की अटकलें हैं लेकिन मुश्किल यह है कि इनके नामों पर कोई आम सहमति नहीं है।
द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, राहुल गांधी के करीबी भी कहते हैं कि अध्यक्ष के चुनाव को लेकर अभी स्थिति कुछ साफ नहीं है। कांग्रेस के एक प्रदेश अध्यक्ष ने अखबार को बताया कि अगले 10 दिन पार्टी के लिए बेहद अहम होंगे और राहुल गांधी को अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने के लिए मनाने का काम जारी है। लेकिन अगर वह अपनी जिद पर अड़े रहते हैं तो अगला विकल्प यही होगा कि सोनिया गांधी से अध्यक्ष पद पर बने रहने के लिए कहा जाए। उन्होंने बताया कि सोनिया गांधी कई युवाओं और उम्र दराज नेताओं को पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना सकती हैं जो उन्हें 2024 के चुनाव से पहले चुनावी कामकाज संभालने में मदद करेंगे।
आज़ाद, आनंद शर्मा का बर्ताव
कांग्रेस हाईकमान को बीते कुछ दिनों में दो बार खराब परिस्थितियों का सामना करना पड़ा है क्योंकि उसके दो बड़े नेताओं ने उन्हें दी गई जिम्मेदारियों से कदम पीछे खींच लिए। पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद ने जम्मू-कश्मीर में चुनाव प्रचार कमेटी का अध्यक्ष बनाए जाने के कुछ ही घंटों बाद इस्तीफा दे दिया तो आनंद शर्मा ने भी ऐसा ही किया।
आनंद शर्मा ने हिमाचल प्रदेश में चुनाव संचालन समिति के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में आने वाले कुछ महीनों के भीतर विधानसभा के चुनाव होने हैं और मार्च में पांच राज्यों में मिली करारी चुनावी हार के बाद कांग्रेस को अपने नेताओं के ऐसे बर्ताव से और झटका लगा है। आज़ाद और शर्मा दोनों ही पार्टी में G-23 गुट के नेता हैं।
G-23 गुट की तैयारी
G-23 गुट के एक नेता ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि एक उम्मीदवार को मैदान में उतारने की तैयारी चल रही है। हम वेट एंड वॉच की स्थिति में हैं। उन्होंने कहा कि जिस तरह एआईसीसी को चलाया जा रहा है उस तरह हम इसे चलाने नहीं दे सकते।
भारत जोड़ो यात्रा
इस सबके बीच, पार्टी के एक नेता ने कहा है कि राहुल गांधी मैदान में उतरकर भारत जोड़ो यात्रा का नेतृत्व करेंगे और हर दिन 15 से 20 किलोमीटर की यात्रा करेंगे। बता दें कि कांग्रेस 7 सितंबर से भारत जोड़ो यात्रा शुरू करने वाली है और इसे लेकर कांग्रेस के केंद्रीय से लेकर तमाम राज्यों के संगठनों के पदाधिकारियों की इन दिनों लगातार बैठक चल रही है।
2024 का चुनाव
साल 2014 से कांग्रेस लगातार चुनावी हार का सामना कर रही है और उसके लिए चुनावी हार का यह अंधकार कब खत्म होगा, कब सूरज निकलेगा इसकी कोई उम्मीद हाल-फिलहाल नजर नहीं आती। पार्टी केवल 2 राज्यों में अपने दम पर सत्ता में है और 2024 का लोकसभा चुनाव नजदीक आ चुका है।
ऐसे में अगर राहुल गांधी अध्यक्ष नहीं बनते हैं तो 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की चुनावी तैयारियों पर इसका असर जरूर पड़ सकता है। देखना होगा कि कांग्रेस क्या गांधी परिवार से बाहर के किसी शख्स को पार्टी का अध्यक्ष बनाती है या एक बार फिर इस पुराने राजनीतिक दल की कमान गांधी परिवार के ही किसी सदस्य के हाथ में जाएगी।
बता दें कि नीलम संजीव रेड्डी से लेकर के. कामराज, एस. निजलिंगप्पा, जगजीवन राम, देवकांत बरुआ, पी.वी. नरसिम्हा राव, सीताराम केसरी सहित गांधी परिवार से बाहर के कई नेता कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभाल चुके हैं।