बिहार चुनाव में कांग्रेस के प्रदर्शन को लेकर आरजेडी के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने सीधे राहुल गाँधी पर हमला बोला है। दोनों दल महागठबंध में साथ चुनाव लड़े थे। तिवारी ने राज्य में कांग्रेस के 'ख़राब' प्रदर्शन के लिए कांग्रेस के 'आधे-अधूरे' प्रयास और राहुल गाँधी को ज़िम्मेदार बताया। उन्होंने तो राहुल गाँधी के लिए यहाँ तक कह दिया कि चुनाव के दौरान वह पिकनिक मनाने चले गए थे। हालाँकि, पार्टी के ही एक वरिष्ठ नेता मनोज झा ने तिवारी के बयान को उनका व्यक्तिगत बयान बताया है और कहा है कि उससे पार्टी का लेनादेना नहीं है।
हाल के जिन-जिन चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन ठीक नहीं रहा है अक्सर कांग्रेस आलाकमान और राहुल गाँधी के प्रयासों को नाकाफ़ी बताया जाता रहा है। पर्यवेक्षक कांग्रेस में संगठन की कमज़ोरी और चुनाव के प्रति पार्टी नेतृत्व के रवैये को लेकर सवाल उठाए जाते रहे हैं। उन मौक़ों पर विपक्षी दल राहुल को यह कहकर निशाने पर लेते रहे हैं कि चुनावो के वक़्त राहुल गाँधी छुट्टी पर चले जाते हैं। हालाँकि, इस बार ऐसी आलोचना किसी विपक्षी दल ने नहीं, बल्कि उनके सहयोगी दल के नेता ने ही की है।
आरजेडी नेता शिवानंद तिवारी ने कहा, 'यहाँ चुनाव पूरे शबाब पर थे और राहुल गाँधी शिमला में प्रियंका जी के घर पर पिकनिक मना रहे थे। क्या पार्टी इसी तरह चलती है आरोप लगाया जा सकता है कि जिस तरह से कांग्रेस पार्टी चल रही है उससे बीजेपी को फ़ायदा हो रहा है'
शिवानंद तिवारी ने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस ने आधे-अधूरे मन से चुनाव लड़ा और यही वजह है कि उनका प्रदर्शन ख़राब रहा। महागठबंधन में कांग्रेस 70 सीटों पर चुनाव लड़ी जिसमें से 19 सीटों पर जीत मिली। महागठबंधन में आरजेडी को 75 सीटें मिलीं जबकि वामपंथी दलों को 16 सीटें। यानी महागठबंधन को कुल 110 सीटें ही मिलीं और वह बहुमत से दूर रह गया। जबकि एनडीए 125 जीतने में कामयाब रहा।
इसी प्रदर्शन को लेकर तिवारी ने समाचार एजेंसी 'एएनआई' से कहा, 'महागठबंधन के लिए कांग्रेस एक अड़चन बन गई। उन्होंने 70 उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन 70 सार्वजनिक रैलियां भी नहीं कीं। राहुल गाँधी तीन दिन के लिए आए, प्रियंका आईं भी नहीं। जो बिहार से अपरिचित थे वे आए। यह सही नहीं है।'
हालाँकि ऐसे आरोपों पर कांग्रेस का एक अलग ही तर्क रहा है। वह पहले से कहती रही है कि बिहार चुनाव के लिए सीट-बँटवारे को अंतिम रूप देने में देरी होने की वजह से गठबंधन के प्रदर्शन पर प्रतिकूल असर पड़ा।
बता दें कि जब से चुनाव नतीजे आए हैं तब से कांग्रेस की इस बात के लिए आलोचना की जा रही है कि इतनी ज़्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने के बावजूद इसने सिर्फ़ 19 सीटें ही जीतीं। पहले उम्मीद की जा रही थी कि कांग्रेस का बेहतर प्रदर्शन रहेगा। यह उम्मीद इसलिए भी थी क्योंकि पिछले चुनाव में इसका प्रदर्शन काफ़ी बेहतर रहा था। हालाँकि तब कांग्रेस, आरजेडी और जेडीयू साथ में चुनाव लड़े थे। 2015 के चुनावों में कांग्रेस 41 सीटों पर चुनाव लड़ी थी और इसमें से 27 सीटें जीती थीं। उससे पहले 2010 में कांग्रेस ने सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन उसे सिर्फ़ चार सीटें ही मिल सकी थीं।
वीडियो में देखिए, महागठबंधन क्यों हारा
तिवारी ने कहा, 'मुझे लगता है कि यह केवल बिहार में ही नहीं है। अन्य राज्यों में भी कांग्रेस अधिक से अधिक संख्या में सीटों पर चुनाव लड़ने पर जोर देती है, लेकिन वह अधिक से अधिक संख्या में सीटें जीतने में विफल रहती हैं। कांग्रेस को इस बारे में सोचना चाहिए।'
कांग्रेस और राहुल गाँधी के बारे में शिवानंद तिवारी के बयान पर आरजेडी के ही वरिष्ठ नेता और प्रमुख प्रवक्ता मनोज झा ने कहा है, 'यह उनकी निजी राय है और पार्टी का रुख नहीं। किसी भी विश्लेषण के लिए एक उचित समय और स्थान होना चाहिए जिसकी पहचान की जाएगी कि हमारे पास सहयोग और तालमेल में कहाँ कमी रही।'
तिवारी के इन आरोपों से पहले कांग्रेस में भी बहस छिड़ गई है। बिहार कांग्रेस के बड़े नेता तारीक अनवर ने भी रविवार को कहा है कि बिहार चुनाव परिणाम पर पार्टी के अंदर मंथन होना चाहिए। इधर कपिल सिब्बल ने भी कुछ ऐसी ही बात कही है। उन्होंने कहा कि बिहार ही नहीं, उपचुनावों के परिणाम से भी ऐसा लग रहा है कि देश के लोग कांग्रेस पार्टी को प्रभावी विकल्प नहीं मान रहे हैं। उन्होंने कहा, 'बिहार में विकल्प तो आरजेडी ही है। गुजरात उपचुनाव में हमें एक सीट नहीं मिली। लोकसभा चुनाव में भी यही हाल रहा था। उत्तर प्रदेश के उपचुनाव में कुछ सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशियों को 2% से भी कम वोट आए। गुजरात में हमारे तीन प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई।'