कोरोना काल में ‘आम आदमी का मददगार’ की छवि बनाने में कामयाब रहे पूर्व सांसद राजेश रंजन उर्फ़ पप्पू यादव की गिरफ़्तारी नीतीश सरकार को भारी पड़ रही है। नीतीश के सहयोगी और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी से लेकर राष्ट्रीय जनता दल तक पप्पू यादव के समर्थन में उतर आए हैं।
इसके अलावा ट्विटर और फ़ेसबुक पर भी पप्पू यादव को खासा समर्थन मिल रहा है। पप्पू यादव कोरोना काल में ही नहीं पटना में जब बाढ़ आई थी, तब भी आम लोगों की मदद के लिए सबसे आगे आए थे।
जन अधिकार पार्टी के अध्यक्ष पप्पू यादव ने मंगलवार सुबह पटना में हुई गिरफ़्तारी के बाद कहा कि ये तो सरकार को बताना चाहिए कि यह क़दम क्यों उठाया गया। यादव को पटना के गांधी मैदान थाने में रखा गया है। पुलिस ने कहा है कि लॉकडाउन के नियमों को तोड़ने के आरोप में पप्पू यादव को गिरफ़्तार किया गया है। पप्पू यादव ने ट्वीट कर नीतीश कुमार पर हमला बोला है।
आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा है कि नीतीश सरकार हिटलरशाही कर रही है और नीतीश कुमार को इसका जवाब देना पड़ेगा। जन अधिकार पार्टी का कहना है कि पप्पू यादव को जान से मारने की कोशिश की जा रही है।
पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने ट्वीट कर कहा है कि ऐसी घटना मानवता के लिए ख़तरनाक है।
रूडी के घर खड़ी एंबुलेंस दिखाई
राजेश रंजन उर्फ़ पप्पू यादव ने कोरोना काल में पटना, आरा, छपरा सहित कई जगहों के अस्पतालों में जाकर सोशल मीडिया पर दिखाया कि मरीज किस परेशानी से गुजर रहे हैं। इससे शायद नीतीश सरकार परेशान है और सबसे बड़ा धमाका पप्पू यादव ने तब किया जब उन्होंने बीजेपी के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी के घर के पीछे बेकार खड़ी कई दर्जनों एंबुलेंस को मीडिया को दिखाया।
सोशल मीडिया पर इस ख़बर को लेकर जबरदस्त प्रतिक्रिया हुई और बिहार और केंद्रीय स्तर पर बीजेपी से जवाब देते नहीं बना। पप्पू यादव ने इस मामले को और जोर-शोर से उठाने की बात कही थी। लेकिन उससे पहले ही उन्हें गिरफ़्तार कर लिए जाने से यह पता चलता है कि नीतीश सरकार और उसकी सहयोगी बीजेपी को पप्पू यादव की ओर से इस मामले को उठाया जाना रास नहीं आया है।
पप्पू यादव की गिरफ़्तारी की ख़बर मिलते ही उनके समर्थक पटना में जुटने लगे हैं और बिहार के अन्य जिलों में भी लोग सोशल मीडिया पर नीतीश सरकार की इस क़दम के लिए आलोचना कर रहे हैं।
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