जेडीयू के मुखिया नीतीश कुमार सोमवार को एक बार फिर बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेंगे। रविवार को एनडीए विधायकों की बैठक में उन्हें विधायक दल का नेता चुना गया था। नीतीश शाम को 4.30 बजे शपथ लेंगे। मुख्यमंत्री पद के लिए यह उनकी सातवीं और लगातार चौथी शपथ होगी।
विधायक दल के नेता के चुनाव के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पटना पहुंचे थे। एनडीए में बीजेपी और जेडीयू के अलावा हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा और विकासशील इंसान पार्टी भी शामिल हैं। इन सभी दलों के विधायकों की मौजूदगी में ही नीतीश को नेता चुना गया। इससे पहले नीतीश को जेडीयू विधायक दल का नेता भी चुन लिया गया था।
बीजेपी में खलबली
दूसरी ओर, वरिष्ठ नेता सुशील मोदी को बीजेपी विधायक दल का नेता नहीं चुने जाने के बाद राजनीतिक चर्चाओं का बाज़ार गर्म है। उनकी जगह तारकिशोर प्रसाद को नेता चुना गया है जबकि रेणु देवी उप नेता होंगी। अब यह तय माना जा रहा है कि तारकिशोर प्रसाद ही डिप्टी सीएम होंगे। कहा जा रहा है कि बीजेपी राज्य में दो उप मुख्यमंत्री बनाने जा रही है। इसमें वह सवर्ण और दलित-पिछड़े वर्ग के नेताओं को जगह दे सकती है।
सुशील मोदी नाराज़!
तारकिशोर प्रसाद को बीजेपी विधायक दल का नेता चुनने की ख़बर के बाद सुशील मोदी ने ट्वीट कर अपनी नाराज़गी का इजहार किया। ख़ुद को दी गई जिम्मेदारियों के लिए बीजेपी व संघ परिवार का आभार व्यक्त करते हुए सुशील मोदी ने कहा, ‘कार्यकर्ता का पद तो कोई छीन नहीं सकता।’ इसका सीधा मतलब यही है कि सुशील मोदी लोगों को बताना चाहते हैं कि उनसे डिप्टी सीएम का पद छीना गया है।
सुशील मोदी के इस ट्वीट पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह का जवाब आया। गिरिराज ने उनसे कहा, ‘आगे भी आप बीजेपी के नेता रहेंगे, पद से कोई छोटा बड़ा नहीं होता।’
जेडीयू का ख़राब प्रदर्शन
चुनाव से पहले यह सवाल लगातार उठता रहा था कि अगर जेडीयू की सीटें कम हुईं तो तब भी क्या नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री होंगे, बीजेपी नेताओं ने इसके जवाब में नड्डा और अमित शाह का ही बयान दोहराया था। इस बयान में जेडीयू की सीटें कम आने की हालात में भी नीतीश को ही मुख्यमंत्री बनाने की बात कही गई थी। चुनाव नतीजों में जेडीयू बीजेपी से 31 सीटें पीछे रह गई है। जेडीयू को इस बार 43 सीटें मिली हैं, जो 2005 के बाद उसका सबसे ख़राब प्रदर्शन है।इससे ज़्यादा चिंतित करने वाली बात नीतीश कुमार के लिए यह है कि जेडीयू राज्य में तीसरे नंबर की पार्टी बन गई है और बीजेपी और आरजेडी से कोसों दूर है। हालांकि पार्टी के नेता इसके लिए एलजेपी को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान भी तमाम चैनलों की रिपोर्टिंग के दौरान यह बात सामने आई थी कि राज्य में नीतीश कुमार से लोगों की नाराजगी बढ़ी है।
बिहार के चुनाव नतीजों वाले दिन एक-एक सीट को लेकर दिन भर जोरदार लड़ाई चली और देर रात को नतीजे घोषित हो सके। नतीजों में नीतीश कुमार की अगुवाई वाले एनडीए को 125 सीटें मिली हैं, जबकि तेजस्वी की क़यादत वाला महागठबंधन 110 सीटों पर अटक गया। अगर उसे 12 सीटें और मिल जातीं तो महागठबंधन सरकार बना लेता।
देखिए, चुनाव नतीजों पर चर्चा-
तेजस्वी चुनाव आयोग पर हमलावर
बिहार के चुनावी घमासान में बेहद कम अंतर से सरकार बनाने से चूके आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव ने चुनाव नतीजों के बाद चुनाव आयोग पर हमला बोला था। तेजस्वी ने कहा था कि जनता ने अपना फ़ैसला सुनाया है और चुनाव आयोग ने अपना नतीजा सुनाया है। उन्होंने कहा कि जनता का फ़ैसला महागठबंधन के पक्ष में है जबकि चुनाव आयोग का नतीजा एनडीए के पक्ष में है। इससे पहले आरजेडी विधायक दल की बैठक में तेजस्वी यादव को विधायक दल का नेता चुना गया था।
उन्होंने चुनाव आयोग पर कटाक्ष करते हुए कहा था कि बीजेपी के प्रकोष्ठ ने तमाम कोशिशें की लेकिन फिर भी वह आरजेडी को बिहार की सबसे बड़ी पार्टी बनने से नहीं रोक सका।
बिहार में महागठबंधन की मामूली हार का ठीकरा कांग्रेस पर फोड़ा जा रहा है। उसे इस बात के लिए जिम्मेदार बताया जा रहा है कि उसके ख़राब प्रदर्शन के कारण ही महागठबंधन पिछड़ गया और एनडीए को सत्ता में आने का मौक़ा मिल गया। कांग्रेस राजनीतिक विश्लेषकों के निशाने पर भी है।
इसके साथ ही पार्टी नेताओं के भीतर निराशा भी दिखाई देने लगी है। कांग्रेस में फ़ैसले लेने वाली सर्वोच्च संस्था कांग्रेस वर्किंग कमेटी (सीडब्ल्यूसी) के सदस्य तारिक़ अनवर ने इस बात को स्वीकार किया है कि पार्टी के ख़राब प्रदर्शन के कारण ही महागठबंधन बहुमत के आंकड़े से दूर रह गया।