चिराग पासवान इधर हैं या उधर हैं। बीजेपी नहीं बता रही कि किधर हैं। नीतीश कुमार ने खूब मशक्कत कर ली। बीजेपी में अपने चहेतों से कहलवाया कि अगर वे केंद्र सरकार की योजनाओं का फायदा चुनाव में बताएंगे या फिर खुद को एनडीए में बताएंगे तो पार्टी चिराग के ख़िलाफ़ चुनाव आयोग जाएगी।
मगर, बीजेपी के बड़े नेता चाहे वो जेपी नड्डा हों या फिर अमित शाह, भूपेंद्र यादव हों या फिर देवेंद्र फडणवीस- यह नहीं बता पाए हैं कि एलजेपी से एनडीए का नाता खत्म हो चुका है या नहीं। सबने यही कहा कि बिहार में एलजेपी एनडीए से बाहर है। नीतीश कुमार को नरेंद्र मोदी से बहुत उम्मीद थी। मगर, वह उम्मीद भी धराशायी हो गयी। नीतीश को जवाब तो कई बीजेपी नेताओं ने दिए, लेकिन प्रश्न यह है कि नरेंद्र मोदी के बिहार आने के बाद एलजेपी-बीजेपी संबंध को लेकर नीतीश को क्या जवाब मिल गया है
बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान 28 अक्टूबर को होना है और उससे पांच दिन पहले चुनाव प्रचार का ‘स्लॉग ओवर’ फेंकने पहुंचे पीएम नरेंद्र मोदी ने वो सबकुछ बोला जो उनसे उम्मीद की जा रही थी मगर एक मुद्दे पर चुप्पी साध गए और यह मुद्दा था- चिराग पासवान की एलजेपी।
सासाराम, गया और भागलपुर की रैली में पीएम मोदी ने एक बार भी चिराग पासवान या लोकजनशक्ति पार्टी का नाम नहीं लिया। यह समझना दिलचस्प है कि ऐसा स्वाभाविक तौर पर हुआ या फिर इस चुप्पी में सियासत के रंग का गुब्बारा है।
मोदी समझते हैं पासवानों की वोट वैल्यू
पीएम की चुप्पी की एक वजह यह भी हो सकती है कि एलजेपी और चिराग को वे इस लायक ही नहीं मानते हों कि चुनाव प्रचार में उनका नाम लिया जाए। मगर, यह वजह वहीं खारिज हो गयी जब उन्होंने एलजेपी के संस्थापक और चिराग के पिता रामविलास पासवान को याद करते हुए उन्हें अंतिम समय तक अपने साथ रहने वाला निकटतम साथी करार दिया।
चुनावी रैली में बगैर ‘वोट वैल्यू’ के कोई नेता एक शब्द भी नहीं बोलता। फिर स्टार प्रचारक पीएम मोदी कभी बेमक़सद कुछ बोलते नहीं सुने गये हैं। याद तो पीएम ने आरजेडी नेता रघुवंश प्रसाद सिंह को भी किया, मगर रामविलास पासवान को याद करने का तरीका अलग था।
चिराग पासवान ने पीएम मोदी की ओर से उनके पिता को दी गयी श्रद्धांजलि के बाद जो ट्वीट किया है उससे पता चलता है कि प्रधानमंत्री ने अपने मित्र को जिस आत्मीय भाव से याद किया, उसने चिराग पासवान को कितना भावुक बना दिया। एक बार उस ट्वीट को पढ़ लीजिए।
बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए के भीतर के घमासान को समझने के लिए चिराग पासवान के उस ट्वीट पर भी ध्यान देना ज़रूरी है जो उन्होंने पीएम मोदी के बिहार पहुंचने से पहले सुबह 9 बजकर 37 मिनट पर किया था। इसमें उन्होंने बहुत विश्वास के साथ लिखा था कि आज पीएम मोदी के लिए नीतीश कुमार का इंतजार भी खत्म हो जाएगा। इसका साफ मतलब यह था कि एलजेपी को लेकर कोई विपरीत बात नरेंद्र मोदी नहीं बोलने जा रहे हैं।
चिराग पासवान ने इसी ट्वीट में अमित शाह की ओर से दिए गये उस बयान की भी याद दिलायी जिसमें उन्होंने एलजेपी को बिहार के चुनाव में एनडीए का हिस्सा नहीं होना बताया था। यानी एलजेपी राष्ट्रीय स्तर पर एनडीए में है। चाहें तो एक दिन पहले अमित शाह को जन्मदिन की बधाई देते चिराग पासवान के ट्वीट को भी देख लें तो तसवीर बहुत साफ नज़र आएगी। इसमें चिराग ने अमित शाह को अभिभावक बताया है और आशीर्वाद बनाए रखने की आकांक्षा व्यक्त की है।
चिराग पासवान ताल ठोककर कह रहे हैं कि जेडीयू को हराना है और बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनानी है। इसका नुकसान किसी और को नहीं, एनडीए को ही हो रहा है और वह भी सबसे ज्यादा नीतीश कुमार को।
बेचैन हैं नीतीश कुमार
नीतीश बेचैन हैं। पूरी जुगत लगा रहे हैं कि एलजेपी को एनडीए से अलग साबित कर दिया जाए। जेपी नड्डा, अमित शाह, देवेंद्र फडणवीस, भूपेंद्र यादव समेत तमाम नेताओं से वे बयान दिलाने में सफल रहे। फिर भी भ्रम कम नहीं हुआ। नरेंद्र मोदी ने तो इस भ्रम को या यूं कहें कि सस्पेंस को और बढ़ा दिया।
देखिए, बिहार चुनाव पर चर्चा-
चिराग पासवान नरेंद्र मोदी के बयान का खुले तौर पर चुनाव में इस्तेमाल कर रहे हैं। नीतीश मन मारकर सबकुछ देखने को विवश हैं। अगर नीतीश ने नरेंद्र मोदी से इतना भी बुलवा लिया होता कि कुछ लोग हैं जो एनडीए को हराना चाहते हैं फिर भी हमारा हनुमान होने का दावा करते हैं और ऐसे लोग किसी के नहीं होते। मगर, पीएम मोदी से कुछ भी कहवा पाने में जेडीयू या नीतीश कुमार फेल रहे।
बीजेपी के लिए हालात मुफीद!
अगर वास्तव में एलजेपी नेता चिराग पासवान से बीजेपी को डर लग रहा होता तो पीएम मोदी खामोश नहीं होते। जहां बीजेपी चुनाव लड़ रही है वहां जेडीयू के पास बीजेपी के अलावा कोई विकल्प नहीं है। लेकिन, जहां जेडीयू चुनाव लड़ रही है वहां बीजेपी के अलावा एलजेपी विकल्प के तौर पर खड़ी है। यह स्थिति बीजेपी को अपने हित में लग रही है।
बीजेपी साफ नहीं कर रही रुख
एलजेपी के लिए बीजेपी की भाषा रणनीतिक अधिक है। खुलकर यह स्पष्ट नहीं किया जा रहा है कि चुनाव बाद बीजेपी एलजेपी का समर्थन लेगी या नहीं। यहां तक कि यह बात भी कोई नेता नहीं कह सका है कि एलजेपी न तो केंद्र में और न ही बिहार में बीजेपी की साझीदार है। इतना ज़रूर है कि जो बात एलजेपी नेता चिराग पासवान बोल रहे हैं उससे अलग बीजेपी नेता नहीं बोल रहे हैं।
बीजेपी और एलजेपी दोनों कह रहे हैं कि एलजेपी बिहार में एनडीए से बाहर है। पर, चिराग कह रहे हैं कि वे चुनाव बाद बीजेपी के साथ सरकार बनाएंगे और वे यह भी कह रहे हैं कि सिर्फ़ बिहार में एनडीए से बाहर होकर चुनाव लड़ रहे हैं।
सासाराम में जहां नरेंद्र मोदी चुनावी रैली कर रहे थे, चुनाव मैदान में एनडीए की ओर से जेडीयू उम्मीदवार लड़ रहे हैं। लेकिन, वहां बीजेपी के बड़े नेता रहे रामेश्वर चौरसिया एलजेपी से ताल ठोंक रहे हैं। फिर भी एलजेपी को हतोत्साहित करने वाली कोई बात पीएम मोदी ने नहीं कही, तो साफ तौर पर हौसला एलजेपी का मजबूत होता है।
अब अगर पूरे परिप्रेक्ष्य में चिराग पासवान के सुबह वाले ट्वीट को याद करें तो उनका आत्मविश्वास सही साबित हुआ कि नीतीश कुमार को एक और सबूत मिल गया है कि एलजेपी की हैसियत एनडीए में क्या है या फिर बीजेपी के साथ उनके रिश्ते कैसे हैं।