आजम खान के बयान और गतिविधियां बता रही हैं कि समाजवादी पार्टी की अंदरुनी राजनीति में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। समाजवादी पार्टी विधायक दल की बैठक में रविवार शाम को आजम खान और उनका बेटा उबैदुल्लाह खान नहीं पहुंचे। लेकिन दोनों को विधायक के रूप में शपथ लेनी थी, तो सोमवार को विधानसभा सत्र शुरू होने पर लखनऊ जा पहुंचे। आजम खान जो बयान दे रहे हैं, उससे भी हालात का पता चलता है। यूपी की राजनीति में आजम खान अपना महत्व साबित करने को बेकरार लग रहे हैं।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने रविवार शाम को विधायक दल की बैठक बुलाई थी, जिससे विधानसभा के बजट सत्र में पार्टी की रणनीति पर चर्चा की जा सके। आजम खान मीटिंग में नहीं पहुंचे। बताया गया कि उनकी सेहत इतनी अच्छी नहीं है कि वो लखनऊ जाकर पार्टी की बैठक में हिस्सा ले सकें। लेकिन उनके विधायक बेटे उबैदुल्लाह खान को क्या हुआ था। वो तो ठीकठाक हैं। उनके नहीं पहुंचने की वजह क्या है। इसका आसान जवाब है कि जब उनके पिता नहीं गए तो वो ही मीटिंग में जाकर क्या करते। लेकिन यह जवाब गले उतरने वाला नहीं है। लेकिन पिता-पुत्र सोमवार को शपथ लेने विधानसभा पहुंच गए। यह जरूरी भी था। क्योंकि विधायक बनने के बाद दोनों का शपथ लेना जरूरी था। उनका बेटा उबैदुल्लाह खान शपथ ले सकता था लेकिन उसने कसम खाई थी कि जब तक आजम खान शपथ नहीं लेते हैं, वो भी शपथ नहीं लेंगे। रामपुर और आसपास का इलाका इतिहास रच चुका है। उसने दोनों को विधायक बना दिया।
आजम खान के इस एक्शन के मतलब निकाले जा सकते है। इन गतिविधियों से स्पष्ट है कि खान परिवार समाजवादी पार्टी खासकर अखिलेश यादव के रवैए से खुश नहीं है। जेल से जमानत पर आने के बाद आजम ने मीडिया को सबसे पहला इंटरव्यू दिया। उस इंटरव्यू में खान साहब ने फरमाया कि मैं तो गरीब आदमी हूं। मेरा कोई आधार तो है नहीं। मैं भला सपा से क्यों नाराज रहूंगा। आजम खान ने कहा कि मैं सपा से नाराज हूं, इसकी जानकारी मुझे मीडिया से मिल रही है। लेकिन मैं छोटा आदमी हूं, सपा से भला कैसे नाराज हो सकता हूं। आप देखिए मैं कहां रहता हूं। मैं एक पतली सी गली में रहता हूं, जहां कार तक नहीं आ सकती। इतना छोटा आदमी कैसे नाराज हो सकता है। जब उनसे पूछा गया कि वो पार्टी की बैठक में नहीं गए लेकिन विधानसभा जा रहे हैं। आजम ने कहा कि विधानसभा मेरे लिए नई जगह नहीं है। यह दसवीं बार है, जब मैं वहां जा रहा हूं।
विधानसभा में आजम और अखिलेश यादव की कुर्सियां अगल बगल है। इस पर भी आजम ने चुटकी ली। विधानसभा के बाहर उन्होंने कहा कि अखिलेश के बगल बैठने से मेरी ही इज्जत बढ़ेगी, क्योंकि मैं माफिया नंबर 1 हूं। मैं अपने बारे में सदन में चर्चा नहीं करूंगा। अब देखना है कि आजम और अखिलेश के बीच विधानसभा में कितना संवाद होता है। सपा के तेवर बता रहे हैं कि वो विधानसभा में तमाम मुद्दों को उठाएगी, ऐसे में आजम का रुख देखने वाला होगा। अभी तक जो स्थिति है, उससे लग रहा है कि वो पार्टी के संबंध में किसी अनुशासनहीनता के मूड में नहीं हैं लेकिन वो अपना गुस्सा रह-रहकर दिखा रहे हैं।
24 अप्रैल को सपा के वरिष्ठ नेता और विधायक रविदास मेहरोत्रा सीतापुर जेल में मिलने आजम खान से गए थे लेकिन आजम उनसे नहीं मिले। 25 अप्रैल को कांग्रेस नेता प्रमोद कृष्णम सीतापुर जेल मिलने पहुंचे तो आजम ने मुलाकात की। यह एक राजनीतिक संकेत है। शिवपाल सिंह यादव तो खैर कई बार सीतापुर जेल पहुंचे। रामपुर को इंतजार था कि शायद अखिलेश यादव रामपुर आकर आजम खान से मिलेंगे लेकिन इसके बजाय समाजवादी पार्टी का ट्वीट आया। अखिलेश ने ट्वीट तक नहीं किया।
जौहर यूनिवर्सिटी का दर्द
जौहर यूनिवर्सिटी के सवाल पर आजम ने कहा कि अगर यह यूनिवर्सिटी गिराई गई या यहां बुलडोजर चला तो इसकी ईंट-पत्थर इसकी कहानी को जोर-शोर से बताएंगे, बनिस्बत इसके कि जब तक यह खड़ी रहेगी, उसकी कहानी नहीं दोहराई जाएगी। मेरा मिशन है कि हर बच्चे के हाथ में कलम हो। वो मिशन अभी जिन्दा है। बता दें कि आजम पर जौहर यूनिवर्सिटी के लिए किसानों से जबरन जमीन लेने का आऱोप लगा है। इस मामले में केस भी दर्ज किया गया था। कुल मिलाकर बीजेपी की यूपी सरकार ने 2017 में सत्ता में आने के बाद अब तक आजम के खिलाफ 89 केस दर्ज किए, जिनमें सभी में आजम को कोर्ट ने जमानत दी। यूपी सरकार को कई मामलों में फटकार तक लगी। 27 महीने जेल में बिताने के बाद पिछले शुक्रवार को आजम जमानत पर रिहा हो गए।
रविवार रात को एक कार्यक्रम में आजम खान ने 27 महीने जेल में बिताने का दर्द भी बयान किया। आजम ने कहा कि जेल के अंदर मुझे एक इंस्पेक्टर ने धमकी दी कि अंडरग्राउंड हो जाओ, नहीं तो तुम्हारा एनकाउंटर हो जाएगा। आजम ने कहा कि राजनीति में जब आप लंबा वक्त बिता लेते हैं और इस तरह की धमकियां मिलती हैं तो आप हालात का अंदाजा लगा सकते हैं। फिलहाल तो किसी के खिलाफ मैं कुछ भी करने की कोशिश भी नहीं करता। मुझे बकरी चोर, मुर्गी चोर तक बताया जा चुका है। इतना मामूली आदमी किसी के खिलाफ क्या कर लेगा।
सपा के हालात
विधानसभा सत्र शुरू होने पर सपा के विधायक सदन से बाहर महंगाई, कानून व्यवस्था के मुद्दे पर नारेबाजी करते नजर आए लेकिन पार्टी जनता के बीच अभी कहीं नजर नहीं आई, जब यूपी को बहुत सारे मुद्दे प्रभावित कर रहे हैं। पार्टी ने मुसलमानों के वोट पर सत्ता में वापसी की थी। लेकिन यूपी में एक लाख से ज्यादा लाउडस्पीकर उतर गए, काशी, मथुरा के मुद्दे खड़े हो गए, पार्टी मुस्लिमों के साथ कहीं भी खड़ी नजर नहीं आई।
पार्टी के वरिष्ठ नेता और अखिलेश के चाचा भी नाखुश हैं। सपा विधायक दल की बैठक में रविवार को शिवपाल भी नहीं पहुंचे। शिवपाल लगातार अपनी नाराजगी दिखा रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि उन्होंने सपा के कई विधायकों से संपर्क भी किया। लेकिन यह तस्वीर अभी बहुत धुंधली है। पर, ये स्पष्ट है कि सपा में सबकुछ ठीक नहीं है। अखिलेश के रवैए को लेकर नाराजगी बढ़ रही है।