बुधवार को हुए एक मीडिया कॉन्क्लेव में शामिल होने पहुंचे गृहमंत्री अमित शाह ने एक बड़ा दावा करते हुए कहा कि फर्जी मुठभेड़ के एक मामले में नरेंद्र मोदी को फंसाने के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) उनपर दबाव डाल रही थी। नरेंद्र मोदी उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे, और केंद्र में उस समय कांग्रेस के नतृत्व वाली यूपीए की सरकार थी।
गृह मंत्री की यह टिप्पणी ऐसे समय पर आई है, जब बीते दिनों नौ विपक्षी दलों ने जांच एजेंसियों के दुरुपयोग को लेकर प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखा था और उनसे संज्ञान लेने को कहा था। बाद में 14 विपक्षी दलों ने जांच एजेंसियों के दुरुपयोग को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका भी दायर की हुई है। याचिका दायर करने वालों में कांग्रेस, टीएमसी, आम आदमी पार्टी, एनसीपी, सपा जैसे प्रमुख दल शामिल हैं।
अमित शाह मीडिया कॉन्क्लेव में मोदी सरकार द्वारा जांच एजेंसियों के दुरुपयोग किये जाने के विपक्ष के आरोपों पर पूछे गये एक सवाल का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा, 'कांग्रेस सरकार के दौरान एक कथित फर्जी मुठभेड़ मामले में मोदी जी को फंसाने के लिए सीबीआई लगातार मुझ पर दबाव बना रही थी।' इसके बावजूद भाजपा ने कभी हंगामा नहीं किया।
गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए नरेंद्र मोदी पर तुलसीराम प्रजापति और इशरत जहां का एनकाउंटर कराने का आरोप है, इस मामले में तबके गुजरात के गृहराज्यमंत्री अमित शाह को सजा हुई थी, सीबीआई ने इस मामले में उन्हें आरोपी बनाया था। बाद में अमित शाह को कोर्ट से बरी कर दिया गया। कोर्ट से बरी होने के बाद शाह पहले बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने और उसके बाद देश के गृह मंत्री। अमित शाह मीडिया कॉन्क्लेव में उसी केस में हुई सीबीआई पूछताछ की बात करे थे।
जांच एजेंसियों के दुरुपयोग पर हर राजनीतिक दल का अपना वर्जन है। लेकिन इसको बेहतर ढ़ंग से समझने के लिए जस्टिस आरएम लोढ़ा की कांग्रेस सरकार के समय की टिप्पणी की ‘सीबीआई पिंजड़े में बंद तोता है’ बहुत मौजू हैं।
बीते मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि कुछ दलों ने एक साथ मिलकर भ्रष्टाचारियों को बचाने के लिए अभियान शुरू किया है। उन्होंने इसे 'भ्रष्टाचारी बचाओ अभियान' की संज्ञा दी थी।
कांग्रेस सहित 14 विपक्षी दलों ने अपने नेताओं के खिलाफ सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के 'मनमाने इस्तेमाल' को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। सुप्रीम कोर्ट 5 अप्रैल को इस याचिका पर सुनवाई करेगा।