नगालैंड के छह प्रशासनिक जिलों में दोपहर डेढ़ बजे तक न के बराबर वोटिंग हुई। हालाँकि, बाक़ी ज़िलों में सामान्य मतदान हो रहा है। राज्य में दोपहर 1 बजे तक 38.83 फीसदी वोटिंग हुई थी। राज्य में कुल 16 प्रशासनिक जिले हैं। अधिक वित्तीय स्वायत्तता के साथ एक अलग प्रशासन की मांग कर रहे ईस्टर्न नगालैंड पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन यानी ईएनपीओ ने 'सार्वजनिक आपातकाल' की घोषणा की और स्थानीय लोगों से इस चुनाव का बहिष्कार करने का आह्वान किया। इसके बाद वहाँ क़रीब शून्य मतदान दर्ज किया गया है। उत्तर-पूर्वी राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी ने चुनावी प्रक्रिया को बाधित करने के लिए ईएनपीओ को नोटिस जारी किया है।
30 मार्च को ईएनपीओ ने 20 विधायकों और अन्य संगठनों के साथ बंद कमरे में एक लंबी बैठक की थी, जिसमें उन्होंने लोकसभा चुनाव से पूरी तरह दूर रहने का फैसला दोहराया। 20 विधायकों वाले संगठन पूर्वी नगालैंड विधायक संघ ने ईएनपीओ से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा था।
ईएनपीओ ने पिछले साल के विधानसभा चुनाव से पहले भी बहिष्कार का आह्वान किया था, लेकिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आश्वासन के बाद इसे वापस ले लिया गया था।
बहरहाल, अब चुनाव बहिष्कार के बाद एक बयान में शीर्ष चुनाव अधिकारी ने कहा कि समूह ने पूर्वी नगालैंड क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के स्वतंत्र रूप से मतदान करने के अधिकार में हस्तक्षेप किया और ग़लत प्रभाव का इस्तेमाल करने का प्रयास किया। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार अधिकारी ने कहा, इसलिए ईएनपीओ को कारण बताने का निर्देश दिया गया है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 171सी की उपधारा के तहत कार्रवाई क्यों न शुरू की जाए।
इस उपधारा में कहा गया है, 'जो कोई भी किसी चुनावी अधिकार के स्वतंत्र प्रयोग में स्वेच्छा से हस्तक्षेप करता है, या हस्तक्षेप करने का प्रयास करता है, वह चुनाव पर ग़लत प्रभाव डालने का अपराध करता है'।
रिपोर्ट के अनुसार ईएनपीओ ने जवाब दिया है कि सार्वजनिक अधिसूचना का मुख्य लक्ष्य पूर्वी नगालैंड क्षेत्र में गड़बड़ी की संभावना को कम करना था, जो हमारे अधिकार क्षेत्र में है, और असामाजिक तत्वों के जमावड़े से जुड़े जोखिम को कम करना है। संगठन ने कहा है कि यह हितधारकों के साथ परामर्श के बाद घोषित किया गया था।
ईएनपीओ ने कहा कि यह लोगों द्वारा एक स्वैच्छिक पहल थी। इसने तर्क दिया है कि इसी वजह से धारा 171सी के तहत कार्रवाई लागू नहीं होती है क्योंकि किसी भी चुनाव में अनुचित प्रभाव से संबंधित कोई अपराध नहीं किया गया है।
बयान में कहा गया है, 'यह देखते हुए कि बंद लोगों द्वारा एक स्वैच्छिक पहल थी, ईएनपीओ या किसी अन्य प्राधिकारी द्वारा जबरदस्ती या ताक़त का कोई सवाल ही नहीं था।' बयान में यह भी कहा गया है कि वह चुनाव आयोग के साथ सहयोग करने को तैयार हैं, कोई ग़लतफ़हमी हुई है'।