यूएस सुप्रीम कोर्ट ने 50 साल पुराने एबॉर्शन के अधिकार कानून को खत्म किया

07:50 am Jun 25, 2022 | सत्य ब्यूरो

अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक ऐतिहासिक फैसले में गर्भपात (एबॉर्शन) के अधिकार को खत्म कर दिया। अदालत ने 50 साल पुराने 1973 के "रो बनाम वेड" के फैसले को पलट दिया। इस फैसले से अमेरिकी महिलाओं को एबॉर्शन के हक का कानूनी हक खत्म हो जाएगा। अब अमेरिका के अलग-अलग राज्य खुद अनुमति दे सकते हैं या प्रतिबंधित कर सकते हैं।

अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संविधान गर्भपात का अधिकार नहीं देता है। यह गहरा नैतिक मुद्दा है, जिस पर लोगों के अपने-अपने नजरिए हैं। इसलिए एबॉर्शन को रेगुलेट करने का अधिकार लोगों और उनके चुने हुए प्रतिनिधियों को वापस कर दिया गया है। हर राज्य अपना फैसला ले सकता है।

कोर्ट में नॉर्मा मैककॉर्वी नामक महिला ने इस कानून को चुनौती दी थी। अदालत के दस्तावेजों में उस महिला को जेन रो नाम दिया गया है। नॉर्मा मैककॉर्वी 1969 में एबॉर्शन कराना चाहती थीं। वो टेक्सस में रहती थीं। वहां एबॉर्शन प्रतिबंधित है। वहां तभी अनुमति मिलती है, जब मां की जान को कोई खतरा हो। जाहिर है कि दो बच्चों की मां नॉर्मा को इसकी अनुमति नहीं मिली तो उन्होंने कोर्ट में इस चैलेंज कर दिया। उस मुकदमे में बचाव पक्ष की ओर से अटॉर्नी हेनरी वेड थे। 

इसीलिए इस केस का नाम रो बनाम वेड पड़ा।इस मामले में 1973 में फैसला आया और कोर्ट ने कहा कि एबॉर्शन का अधिकार महिला का है। उसे ही तय करने दिया जाए कि वो एबॉर्शन कराना चाहती है या नहीं। इस फैसले के जरिए अमेरिकी महिलाओं को सुरक्षित एबॉर्शन का अधिकार मिल गया। अमेरिका के तमाम धार्मिक समूहों ने एबॉर्शन के अधिकार को गलत माना। उन्होंने इसका खुलकर विरोध किया। 

उन्होंने कहा कि महिला के अंदर पल रहे भ्रूण को जीवन का अधिकार है। अमेरिका की डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन पार्टी तक इस फैसले पर बंट गए। चूंकि इस फैसले का ड्राफ्ट पहले ही लीक हो गया था, इसलिए अमेरिका के महिला संगठनों ने इसका भारी विरोध किया। राष्ट्रपति जो बाइडन ने भी इस पर अपना विचार रखते हुए कहा था कि एबॉर्शन का अधिकार तो महिला का ही होता है। उसे ही तय करने का अधिकार मिले। 

बहरहाल, अब राज्यों को इसे तय करने का अधिकार मिल गया है। अमेरिका के करीब 24 राज्य एबॉर्शन को अवैध घोषित करने वाले हैं। लेकिन महिला संगठनों ने इसका विरोध शुरू कर दिया है। यह लड़ाई एक तरफ धार्मिक समूहों और दूसरी तरफ महिला अधिकार और अन्य सामाजिक संगठनों के बीच चलेगी।अदालत का यह फैसला गर्भपात कानूनों को आसान बनाने की एक अंतरराष्ट्रीय ट्रेंड के खिलाफ जाता है, जिसमें आयरलैंड, अर्जेंटीना, मैक्सिको और कोलंबिया जैसे देश शामिल हैं जहां कैथोलिक चर्च का काफी प्रभाव है।