ट्विटर: अनुमति बगैर दूसरे की तसवीर, वीडियो नहीं डाल सकते

02:58 pm Dec 01, 2021 | सत्य ब्यूरो

भारतीय मूल के इंजीनियर पराग अग्रवाल के ट्विटर के सीईओ बनने के एक दिन बाद ही कंपनी ने एक अहम बदलाव किया है, जिससे लोगों की निजता की रक्षा की जा सकती है और नफ़रत फैलाने वाली सामग्री के प्रचार-प्रसार पर रोक लगाई जा सकती है। 

इस सोशल मीडिया प्लैटफ़ॉर्म ने निजी सूचना नियमों में बदलाव करते हुए कहा है कि किसी व्यक्ति की तसवीर या वीडियो को उसकी पूर्व अनुमति बगैर ट्विटर पर नहीं डाला जा सकता है। यदि कोई ऐसा करता है और प्रभावित व्यक्ति शिकायत करे तो उन चीजों को हटा दिया जाएगा। 

ट्विटर ने एक ब्लॉग पोस्ट कर यह जानकारी दी है। इस ब्लॉग में कहा गया है, "निजता व सुरक्षा को ध्यान में रख कर हम जो टूल्स इस्तेमाल कर रहे हैं, उसके तहत निजी सूचना नीति का विस्तार किया जा रहा है।" 

क्या कहना है ट्विटर का?

इसमें कहा गया है, "पहले से चल रही नीति के तहत ही किसी व्यक्ति का टेलीफ़ोन नबंर, पता और पहचान पत्र ट्विटर पर साझा नहीं किया जा सकता है।"

कंपनी ने कहा है कि ऐसा इसलिए किया जा रहा है कि किसी व्यक्ति की निजी जानकारी के प्रति असंवेदनशील होने से रोका जा सके। 

इस ब्लॉग में यह भी कहा गया है कि 

किसी व्यक्ति की निजी बातें, तसवीर, वीडियो अपलोड करने से उसकी निजता का उल्लंघन होता है और इससे उसे मानसिक व शारीरिक नुक़सान उठाना पड़ सकता है।


ट्विटर ब्लॉग

कंपनी ने यह भी कहा है कि यदि कोई व्यक्ति किसी की निजी जानकारी, तसवीर या वीडियो को अपलोड करता है और उसके ख़िलाफ़ शिकायत मिलती है तो उसे ट्वीट से हटा दिया जाएगा। 

ट्विटर ने यह भी कहा है कि इसके दुरुपयोग से किसी को भी क्षति हो सकती है, लेकिन कार्यकर्ताओं, महिलाओं, अल्पसंख्यकों और सरकार के प्रति असंतुष्टों को ख़ास तौर पर निशाने पर लिया जा सकता है।

इसमें सार्वजनिक जीवन में रहने वाले लोगों के मामले में छूट दी गई है यदि यह सार्वजनिक हित में किया गया हो। 

याद दिला दें कि त्रिपुरा में हुई सांप्रदायिक हिंसा को लेकर पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कई ट्वीट्स किए थे। त्रिपुरा पुलिस ने दो हफ़्ते पहले ट्विटर से ऐसे 68 हैंडल्स को ब्लॉक करने और उनके बारे में जानकारी देने के लिए कहा था। 

ट्विटर ने ऐसे 24 हैंडल्स और 57 ट्वीट्स को हटा दिया था। त्रिपुरा पुलिस ने हिंसा को लेकर ट्वीट करने वाले लगभग 70 लोगों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज कर यूएपीए जैसा कठोर क़ानून लगा दिया था। 

‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, जिन हैंडल्स को हटाया गया, उनमें से 12 ऐसे थे, जिनके 10 हज़ार से ज़्यादा फ़ॉलोवर्स थे। हटाए गए इन हैंडल्स में से अधिकतर ऐसे थे जो बीजेपी, इसके नेताओं और इनकी विचारधारा की आलोचना करते थे। इनमें से कुछ हैंडल्स को चलाने वालों ने ख़ुद को पत्रकार बताया था जबकि कुछ ने ख़ुद को विपक्षी दलों- कांग्रेस, टीएमसी आदि से जुड़ा बताया था। इस मामले में चार वकीलों को भी नोटिस जारी किया जा चुका है।