जिस पंजशिर घाटी से तालिबान को जबरदस्त विरोध का सामना करना पड़ रहा है वहाँ पास में तालिबानी लड़ाके पहुँच गए हैं। तालिबान ने दावा किया है कि उसने पंजशिर के आसपास के तीन ज़िलों पर फिर से कब्जा कर लिया है। पहले बागलान के उत्तरी प्रांत में इन तीन ज़िलों- बानो, देह सालेह, पुल ए-हेसर को लेकर ख़बर आई थी कि स्थानीय लड़ाके समूहों ने इन पर कब्जा कर लिया था।
हालाँकि आगे की लड़ाई के बारे में कोई पुष्टि नहीं हुई है। रायटर्स ने ख़बर दी है कि प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद के ट्विटर अकाउंट के अनुसार, सोमवार तक तालिबान के लड़ाकों ने उन ज़िलों में कब्जा कर लिया था और वे पंजशिर घाटी के पास बदख्शां, तखर और अंदराब में जम गए हैं। तालिबान ने रविवार को कहा था कि इसके सैकड़ों लड़ाके पंजशिर घाटी की ओर बढ़े हैं।
तालिबान के लिए पंजशिर घाटी बड़ा सिरदर्द बन गयी है। यह अफ़ग़ानिस्तान के उन हिस्सों में से एक है जहाँ तालिबान अभी तक कब्जा नहीं कर पाया है। पंजशिर से तालिबान को खुली चुनौती मिल रही है।
यह पंजशिर घाटी लंबे समय से तालिबान विरोधी ताक़तों के गढ़ के रूप में जाना जाता रहा है। अफ़ग़ानिस्तान का यही एक प्रांत है, जहाँ पर तालिबान तो छोड़िए, सोवियत संघ से लेकर अमेरिका तक पूरी तरह कब्जा नहीं कर पाए। पंजशिर से अमरूल्लाह सालेह और अहमद मसूद अब तालिबान को चुनौती दे रहे हैं।
तालिबान विरोधी समूह के एक प्रमुख नेता अमरूल्लाह सालेह ने एलान किया है कि पंजशिर पर किसी का कब्जा नहीं होने दिया जाएगा। अमरूल्लाह सालेह के साथ ही तालिबान विरोधी समूह के एक और नेता अहमद मसूद ने तालिबान का डटकर सामना करने की बात कही है। अहमद मसूद, अहमद शाह मसूद के बेटे हैं। अहमद शाह मसूद तालिबान के ख़िलाफ़ बनी मिलिशिया के नेता थे। अहमद शाह मसूद ने ही तालिबान के ख़िलाफ़ नॉर्दन एलायंस बनाया था। 11 सितंबर 2001 के हमले से दो दिन पहले ही अल क़ायदा ने अहमद शाह मसूद की हत्या कर दी थी। इसके बाद अहमद मसूद ने मिलिशिया की कमान संभाली।
अल अरबिया टीवी चैनल ने रविवार को मसूद के हवाले से कहा कि वह अपने नियंत्रण वाले इलाके का तालिबान को आत्मसर्पण नहीं करेंगे।
अहमद मसूद ने तालिबान की भागीदारी के साथ देश पर शासन करने के लिए एक व्यापक सरकार का आह्वान किया है और कहा है कि अगर तालिबान वार्ता से इनकार करता है तो युद्ध 'अपरिहार्य' होगा। यानी युद्ध को टाला नहीं जा सकता है।
मसूद ने कहा है कि तालिबान का विरोध करने वाले सरकारी बल विभिन्न प्रांतों से निकले और उसके गढ़ पंजशीर घाटी में जमा हो गए।
अहमद मसूद कहते हैं कि वे अफ़ग़ानिस्तान में लोकतंत्र को बचाने, महिलाओं और आम लोगों के हक़ों की हिफ़ाजत के लिए लड़ेंगे। मसूद ने इस बार भी दुनिया के देशों से मदद मांगी है। इन दिनों पंजशिर में नॉर्दन एलायंस के झंडे लहराते दिखते हैं। अफ़ग़ानिस्तान के राजदूत ने भी कहा है कि पंजशिर लगातार तालिबान का विरोध करता रहेगा।
जब से तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान पर कब्जा जमाया है तब से पूर्व में अफ़ग़ान सेना में रहे सैनिक पंजशिर में इकट्ठे होने लगे हैं। मसूद ने एक मीडिया इंटरव्यू में कहा है कि अफ़ग़ान राज्यों की सरकारी ताक़तें पंजशिर में जुटी हैं।
रिपोर्ट के अनुसार मसूद ने कहा है, 'अगर तालिबान इस रास्ते पर चलता रहा तो वह लंबे समय तक नहीं टिकेगा। हम अफ़ग़ानिस्तान की रक्षा के लिए तैयार हैं और हम रक्तपात की चेतावनी देते हैं।'