रानिल विक्रमसिंघे श्रीलंका के नए राष्ट्रपति चुने गए हैं। नए राष्ट्रपति के चुनाव के लिए संसद में मतदान हुआ और इसमें सबसे ज्यादा वोट विक्रमसिंघे को मिले। इस पद के लिए तीन उम्मीदवार- रानिल विक्रमसिंघे, दुल्लास अल्हाप्परुमा और अनुरा कुमारा दिसानायके दौड़ में थे। 73 साल के विक्रमसिंघे को गोटाबाया राजपक्षे की पार्टी श्रीलंका पोदुजाना पेरामुना (एसएलपीपी) का समर्थन था। 225 सदस्यीय संसद में एसएलपीपी सबसे बड़ा दल है। यह चुनाव सीक्रेट बैलेट के जरिए हुआ।
राष्ट्रपति के चुनाव में 223 सांसदों ने वोट डाला। चार वोटों को निरस्त कर दिया गया। इस तरह कुल 219 वोट पड़े। विक्रमसिंघे को 134 वोट मिले जबकि दुल्लास को 82 और दिसानायके को 3 वोट मिले। गोटाबाया राजपक्षे के हटने के बाद विक्रमसिंघे को कार्यवाहक राष्ट्रपति चुना गया था।
लेकिन विक्रमसिंघे के राष्ट्रपति बनते ही श्रीलंका के कई इलाकों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं जबकि विक्रमसिंघे के समर्थकों ने कोलंबो में राष्ट्रपति भवन के बाहर उनकी जीत का जश्न मनाया। जीत के बाद विक्रमसिंघे ने कहा कि वह कल से सभी दलों के साथ चर्चा शुरू करेंगे।
बीते कई महीनों से भयंकर आर्थिक और राजनीतिक संकट से जूझ रहे पड़ोसी मुल्क श्रीलंका में नया राष्ट्रपति कौन होगा, इस पर वहां के तमाम लोगों के साथ ही दुनिया के दूसरे देशों की भी नजरें लगी थी।
बता दें कि प्रदर्शनकारियों के जबरदस्त विरोध के बाद गोटाबाया राजपक्षे को राष्ट्रपति पद से इस्तीफा देना पड़ा था और साथ ही देश छोड़कर जाना पड़ा था।
राजपक्षे मालदीव होते हुए सिंगापुर चले गए थे। उनके इस्तीफे का आधिकारिक एलान होने के बाद श्रीलंका में प्रदर्शनकारियों ने जमकर खुशी मनाई थी। प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के दफ्तर को खाली कर दिया था। गोटाबाया राजपक्षे के भाई और प्रधानमंत्री रहे महिंदा राजपक्षे को भी अपना पद छोड़ना पड़ा था।
रानिल विक्रमसिंघे
रानिल विक्रमसिंघे 5 बार श्रीलंका के प्रधानमंत्री रह चुके हैं और श्रीलंका में पिछले दौर में बने खराब हालातों का सामना करने का अनुभव उनके पास है।
लेकिन रानिल विक्रमसिंघे को लेकर श्रीलंका के लोगों में काफी नाराजगी है और बीते दिनों प्रदर्शनकारियों ने उनके दफ्तर पर कब्जा कर लिया था। ऐसी आशंका है कि राष्ट्रपति बनने के बाद विक्रमसिंघे बीते दिनों उग्र प्रदर्शन करने वाले लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई कर सकते हैं।
दुल्लास अलहप्परुमा
विक्रमसिंघे को एसएलपीपी के बागी उम्मीदवार और पूर्व शिक्षा मंत्री दुल्लास अलहप्परुमा से चुनौती मिली थी। दुल्लास अलहप्परुमा पूर्व पत्रकार हैं और उन्हें विपक्ष का समर्थन हासिल था।
अनुरा कुमारा दिसानायके
तीसरे उम्मीदवार अनुरा कुमारा दिसानायके को श्रीलंका में युवा राजनेता के तौर पर जाना जाता है। हाल ही में संसद में दिए गए भाषण में उन्होंने कहा था कि वह श्रीलंका की अर्थव्यवस्था को 6 महीने के भीतर पटरी पर वापस ला सकते हैं।
देखना होगा कि कई महीनों से लंबे पावर कट, दवाइयों, खाने पेट्रोल-डीजल सहित जरूरी चीजों की कमी से जूझ रहे श्रीलंका के लोगों को क्या विक्रमसिंघे राहत दिला पाएंगे।