रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने मंगलवार को चीन रवाना होने से पहले सोमवार को इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से इजराइल-हमास युद्ध को लेकर फोन पर बात की। उन्होंने नेतन्याहू को क्षेत्र के नेताओं और फिलिस्तीनी प्राधिकरण के साथ अपनी हालिया बातचीत से अवगत कराया। पुतिन ने बातचीत के दौरान ग़ज़ा पट्टी में हिंसा को और बढ़ने से रोकने के लिए रूस द्वारा सक्रिय रूप से उठाए जा रहे कदमों पर जोर दिया। रूस के विदेश मंत्रालय ने ट्वीट कर कहा- "रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इज़राइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू से फोन पर बात की।"
इसके बाद रूसी राष्ट्रपति चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिलने मंगलवार 17 अक्टूबर को चीन पहुंचे। न्यूज एजेंसी एपी ने यह खबर देते हुए कहा कि दोनों नेताओं की बातचीत में इज़राइल-हमास युद्ध प्रमुख मुद्दा है। हालांकि चीन ने इसी हफ्ते विशाल व्यापार और बुनियादी ढांचे बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) सम्मेलन में 130 देशों के प्रतिनिधियों को बुलाया है। पुतिन के आने का कार्यक्रम नहीं था। रूस के विदेश मंत्री को इसमें आना था। लेकिन वैश्विक घटनाक्रम के मद्देनजर पुतिन के आने का कार्यक्रम बन गया। चीन और रूस खुलकर फिलिस्तीन के साथ खड़े हो गए हैं। दोनों देश इस मुद्दे पर ईरान की नीतियों का भी समर्थन कर रहे हैं।
क्रेमलिन ने कहा है कि पुतिन और शी जिनपिंग की अनौपचारिक बातचीत बुधवार को होने वाली है। यह बातचीत ऐसे समय पर होने वाली है जब इजराइल और फिलिस्तीनी लड़ाके हमास के बीच युद्ध जारी है। क्रेमलिन ने एक बयान में विस्तार से बताए बिना कहा, "बातचीत के दौरान अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।"
बीजिंग और मॉस्को दोनों ने ही अब तक कई बार इजराइल की कार्रवाइयों की आलोचना की है और युद्धविराम का आह्वान किया है।
इजराइल-हमास युद्ध से पहले यूक्रेन-रूस युद्ध और पुतिन सुर्खियों में थे। दुनिया का ध्यान अब इजराइल-हमास युद्ध पर है। रूस इस स्थिति के लिए अमेरिका की आलोचना पहले ही कर चुका है। इसलिए पुतिन अब चीन में भी इस मुद्दे को गरमा सकते हैं। उम्मीद की जा रही है कि मॉस्को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में हमास का नाम लिए बिना युद्धविराम के लिए प्रस्ताव पेश करेगा। संयुक्त राष्ट्र के दूत ने शुक्रवार को इजराइल द्वारा हमास के नियंत्रण वाले गाजा पर दिन-ब-दिन होने वाली गोलाबारी की तुलना दूसरे विश्व युद्ध के दौरान लेनिनग्राद की क्रूर घेराबंदी से की थी।
बहरहाल, दोनों देशों के बयान और रुख अमेरिका के विपरीत है। जिसने इज़राइल के लिए अपना समर्थन पहले दिन से ही साफ कर दिया है। इस युद्ध में अभी तक ग़ज़ा में तीन हजार से ज्यादा फिलिस्तीनी नागरिक मारे जा चुके हैं। जबकि हमास के हमले में इजराइल में 1400 लोग मारे गए थे। ग़ज़ा में सैकड़ों बिल्डिंग बमबारी से तबाह हो गई हैं।