पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान की क्या आज कुर्सी चली जाएगी? यह सवाल इसलिए कि आज ही उनके ख़िलाफ़ पाकिस्तान की नेशनल एसेंबली में अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग है। इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी यानी पीटीआई ने पिछले हफ्ते 342 सदस्यीय विधानसभा में क़रीब-क़रीब अपना बहुमत खो दिया जब गठबंधन के एक प्रमुख सहयोगी ने कहा कि उसके सात विधायक विपक्ष के साथ मतदान करेंगे। रिपोर्ट है कि पीटीआई के कुछ सदस्य भी अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में हैं।
अविश्वास प्रस्ताव से पहले इमरान ख़ान ने ट्वीट किया है, 'कर्बला में एक ऐसे दुश्मन का सामना करते हुए जो संख्या में उनसे बहुत अधिक थे, इमाम हुसैन, उनके परिवार और अनुयायियों ने लोगों को हक (सही / सच) और बातिल (झूठ) के बीच अंतर दिखाने के लिए अपना जीवन कुर्बान कर दिया। आज हम झूठ और देशद्रोह के ख़िलाफ़ सच्चाई और देशभक्ति के लिए लड़ रहे हैं।'
इमरान ख़ान इस अविश्वास प्रस्ताव को लेकर किस तरह का महसूस कर रहे हैं यह इससे भी समझा जा सकता है कि उन्होंने शनिवार को ही पाकिस्तान की अवाम से सड़कों पर उतरने को कह दिया।
इमरान इस बात पर लगातार जोर दे रहे हैं कि विदेशी साजिशकर्ता इस्लामाबाद में नेतृत्व बदलना चाह रहे हैं। इमरान ने अपने समर्थकों, पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा कि मैं योजना बना रहा हूं कि उनका सामना कैसे किया जाए। उन्होंने कहा, 'मैं चाहता हूं कि मेरे लोग सतर्क रहें, जिंदा रहें। अगर यह कोई और देश होता जहां ऐसी चीजें हो रही थीं, तो लोग सड़कों पर चले गए होते। मैं आप सभी से आज और कल सड़कों पर आने का आह्वान करता हूं। आपको अपने विवेक के लिए, इस देश के हित में ऐसा करना चाहिए। आपको अपने बच्चों के भविष्य के लिए सड़कों पर उतरना चाहिए।'
इमरान खान ने इससे एक दिन पहले ही कहा था कि उनकी जान को ख़तरा है। उन्होंने पाकिस्तानी न्यूज़ चैनल एआरवाई न्यूज़ को दिए इंटरव्यू में यह बात कही। इमरान ने कहा है कि वह खामोश नहीं बैठेंगे।
उनको हटाने के लिए सोमवार को संसद में अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया। यदि अविश्वास प्रस्ताव पास हो जाता है तो इमरान ख़ान प्रधानमंत्री नहीं रह पाएँगे। इस अविश्वास प्रस्ताव पास होने का मतलब होगा कि बहुमत या सदन ने अपने उस नेता में विश्वास खो दिया है। विपक्षी दलों को भरोसा है कि उन्हें सरकार को गिराने के लिए 342 के सदन में 172 सदस्यों का समर्थन मिल सकता है। हालाँकि सरकार का दावा है कि इस प्रयास को विफल करने के लिए उसे सदन में आवश्यक समर्थन प्राप्त है। इमरान ख़ान की पार्टी पीटीआई के पास 155 सांसद हैं।
बुधवार को इमरान को बड़ा झटका तब लगा था जब पीटीआई के सहयोगी दल मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट पाकिस्तान ने उसका साथ छोड़ दिया था। विपक्षी दलों के गठबंधन पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट यानी पीडीएम ने इमरान को हुकूमत से हटाने के लिए पूरा जोर लगाया हुआ है।
बाजवा बना इमरान?
उस पाकिस्तान में जहाँ राजनीतिक नेतृत्व को सत्ता में बने रहने के लिए सेना का समर्थन बेहद अहम माना जाता है वहाँ अब पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल क़मर जावेद बाजवा की राय अब प्रधानमंत्री इमरान ख़ान से अलग दिख रही है। बाजवा ने यूक्रेन में रूसी हमले की आलोचना की है जबकि इमरान ख़ान हमले के बीच ही रूस पहुँच गए थे और इसे रूस का समर्थन माना गया। बाजवा ने अमेरिका के साथ पाकिस्तान के बेहतर रिश्ते होने का पक्ष लिया जबकि इमरान हाल में इसका विरोध करते रहे हैं। कश्मीर जैसे मसले को भी पाकिस्तानी सेना प्रमुख ने आपसी बातचीत से हल करने की बात कही। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान-भारत-चीन के बीच बातचीत ज़रूरी है जिससे क्षेत्र में शांति आए और इस क्षेत्र का विकास हो।
बाजवा की दिल्ली में नए सिरे से पहुँच की कोशिश ऐसे समय में हो रही है जब इमरान खान का पीएम पद से जाना तय लग रहा है। यह बेहद महत्वपूर्ण है।