कनाडा में विपक्ष के नेता पियरे पोइलिवरे ने दिवाली कार्यक्रम में भाग न लेने का फैसला किया है। इसकी सूचना उनके कार्यालय ने कनाडाई हिन्दू समुदाय को दी है। यह घटनाक्रम भारत कनाडा संबंधों में खटास के मद्देनजर सामने आया है। कनाडा ने अब भारत के गृहमंत्री और पीएम मोदी के बाद सबसे पावरफुल नेता अमित शाह पर आरोप लगाया है कि वो कनाडा में अलगाववादियों की हत्या की साजिश में शामिल हैं। वॉशिंगटन पोस्ट ने कनाडा के विदेश मंत्री के हवाले से यह खबर प्रकाशित की है। भारत सरकार इस आरोप पर अभी प्रतिक्रिया तक नहीं दे सकी है।
हिंदू कनाडाई समुदाय ने कनाडा के विपक्ष के नेता पियरे पोइलिवरे की आलोचना की है। कनाडा के हिंदुओं ने कहा है कि विपक्ष के नेता द्वारा दिवाली समारोह रद्द करने के कदम से यह उजागर हो गया है कि इस समुदाय को उस देश में "बाहरी" माना जाता है। ऐसा देश जो अपनी बहुसंस्कृतिवाद के लिए गर्व करता है।
ओवरसीज फ्रेंड्स ऑफ इंडिया कनाडा (ओएफआईसी) ने एक पत्र में पियरे पोइलिवरे और उनकी कंजर्वेटिव पार्टी के नेताओं द्वारा पिछले 23 वर्षों से मनाए जा रहे दिवाली कार्यक्रम से हटने के बाद उनके कार्यालय की आलोचना की।
ओएफआईसी के अध्यक्ष शिव भास्कर ने पत्र में लिखा, कार्यक्रम रद्द करने के लिए कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है। ओएफआईसी ने कहा, "कनाडा और भारत के बीच मौजूदा कूटनीतिक स्थिति के कारण इस कार्यक्रम से राजनेताओं के अचानक पीछे हटने ने हमें ठगा हुआ और अन्यायपूर्ण तरीके से अलग किए जाने का एहसास कराया है।"
पोइलिवरे ने दिवाली कार्यक्रम को रद्द करने का निर्णय ऐसे समय लिया है जब कनाडा ने भारतीय राजनयिकों पर वहां जानकारी एकत्र करने और खालिस्तानी नेताओं को निशाना बनाने के लिए आपराधिक गिरोहों का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है। इसके बाद भारत और कनाडा के बीच संबंध अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गए हैं। भारत ने अपने उच्चायुक्त को वापस बुला लिया और छह कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित कर दिया।
कनाडा पर पूर्वाग्रह का आरोपः ओएफआईसी ने पत्र में लिखा है- "यह पत्र इंडो-कनाडाई समुदाय की सामूहिक आवाज है, विशेष रूप से 850,000 हिंदू कनाडाई, एक ऐसा समुदाय है, जो शिक्षित, समृद्ध, कानून का पालन करने वाला है। पोइलिवरे के इस कदम से यह बात सामने आ गई कि कनाडा में भारतीय समुदाय को कैसे "बाहरी" माना जाता है। यह केवल एक रद्द किए गए दिवाली कार्यक्रम या एक ऐसे कार्यक्रम के बारे में नहीं है जिसमें राजनेता शामिल होने की अपनी प्रतिबद्धता से मुकर जाते हैं। यह एक बहुत गहरी और घातक चोट है। कनाडा में नस्लवाद और भेदभाव पनप रहा है, और इस घटनाक्रम ने यहां के सिस्टम के पूर्वाग्रह को उजागर कर दिया है।”
भारत और कनाडा के बीच संबंधों में खटास कनाडा के 2025 वाले आम चुनाव से पहले हुआ है और नई दिल्ली ने देश में खालिस्तानी तत्वों को शरण देने के लिए जस्टिन ट्रूडो की "वोट बैंक की राजनीति" को जिम्मेदार ठहराया है। पियरे पोइलिवरे की कंजर्वेटिव पार्टी के चुनाव जीतने की उम्मीद है। हालाँकि, हिंदू समुदाय ने महत्वपूर्ण चुनाव से पहले सावधान रहने को कहा है। इंडो-कनाडाई संगठन ने पत्र में कहा, "याद रखें, हम अपने मताधिकार का प्रयोग करते समय अपने दोस्तों को याद रखेंगे।"
ओएफआईसी के पत्र में पोइलिवरे से "असंवेदनशील और भेदभावपूर्ण कृत्य" के लिए माफी मांगने को कहा गया, जिसमें कहा गया कि भारत-कनाडाई समुदाय ने कनाडाई समाज के निर्माण में योगदान दिया है। संगठन ने कहा, दिवाली एकता और एकजुटता का उत्सव है और इससे खुद को दूर करके पोइलिवरे और उनकी पार्टी ने इसे विभाजन के क्षण में बदल दिया है।