ऐसे समय जब डोनल्ड ट्रंप की अपनी ही रिपब्लिकन पार्टी के कई सदस्य और यहाँ तक कि उनके मंत्रिमंडल के सहयोगी भी उन्हें पद से हटाने की माँग कर रहे हैं, उप राष्ट्रपति माइक पेंस ने ऐसा करने से इनकार कर दिया है। इसके बावजूद अमेरिकी राष्ट्रपति को पद से हटाने की संभावना बहुत ज़्यादा है क्योंकि उनके ख़िलाफ़ पेश महाभियोग प्रस्ताव पर बुधवार को मतदान है।
बता दें कि अमेरिकी संसद के निचले सदन हाउस ऑफ़ रिप्रेज़ेन्टेटिव्स में एक प्रस्ताव कर उप राष्ट्रपति माइक पेंस से माँग की गई थी कि वे संविधान संशोधन 25 की धारा चार का इस्तेमाल करते हुए राष्ट्रपति को पद से हटा दें और उनके तमाम अधिकार व ज़िम्मेदारियाँ ख़ुद ले लें। इस प्रस्ताव का समर्थन करने वालों में ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी के कई सदस्य भी शामिल हैं।
उप राष्ट्रपति का इनकार
बता दे कि इस संविधान संशोधन में कहा गया है कि यदि राष्ट्रपति मानसिक रूप से स्वस्थ न हों या वे अपने कर्तव्यों का पालन करने या अपने अधिकारों का इस्तेमाल करने में सक्षम न हों तो उन्हें पद से हटा कर उप राष्ट्रपति उनके सारे अधिकार ले सकते हैं। इसके बाद हाउस ऑफ रिप्रेज़ेन्टेटिव्स और सीनेट दोनों ही सदनों में दो-तिहाई बहुमत से इस प्रस्ताव को अलग-अलग पारित कराना होगा।
माइक पेंस ने हाउस ऑफ़ रिप्रेज़ेन्टेटिव्स की स्पीकर नैन्सी पलोसी को लिखी चिट्ठी में कहा है, "मैं यह नहीं मानता कि इस तरह का काम देश के हित में है या संविधान के अनुरूप है।"
उन्होंने हाउस ऑफ़ रिप्रेज़ेन्टेटिव्स के स्पीकर से कहा, "आप तामपान कम करने और देश को एकजुट करने में हमारी मदद करें और निर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन अगले राष्ट्रपति के रूप में शपथ लें, इसकी तैयारी करें।"
लेकिन यह मामला यहीं नहीं रुका। नैन्सी पलोसी ने पेंस को एक कड़ी चिट्ठी लिख कर कहा है कि उन्हें हाउस ऑफ रिप्रेज़ेन्टेटिव्स के सदस्यों की इच्छाओं का सम्मान करना चाहिए। पलोसी ने उप राष्ट्रपति को 24 घंटे का समय देते हुए कहा कि उन्हें इस दौरान संशोधन 25 का प्रयोग कर लेना चाहिए।
महाभियोग प्रस्ताव
लेकिन मामला इतना ही नहीं है। चार साल तक अपने सहयोगी रहे माइक पेंस की मदद से ट्रंप भले बच गए गए हों, पर उनके ऊपर बर्खास्तगी की तलवार लटक रही है। उनके ख़िलाफ़ रखे गए महाभियोग प्रस्ताव पर बुधवार को हाउस ऑफ रिप्रेज़ेन्टेटिव्स में मतदान होना है।
संसद के इस निचले सदन में डेमोक्रेट्स का बहुमत पहले से ही है, ऐसे में रिपब्लिकन पार्टी के सदस्यों का हर वोट महाभियोग प्रस्ताव को और मजबूत ही करेगा।
ऐसे में रिपब्लिकन पार्टी के सदस्य का ट्रंप को पद से हटाने की माँग को लेकर मुखर होना राष्ट्रपति के लिए चिंता का सबब है।
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, हाउस ऑफ रिप्रज़ेन्टेटिव्स की सदस्य और रिपब्लिकन पार्टी में नंबर तीन समझी जाने वाली लिज़ चेनी ने कहा,
“
"अमेरिकी इतिहास में किसी राष्ट्रपति ने पद की शपथ लेने के बाद इस तरह का विश्वासघात अब तक नहीं किया है। मैं महाभियोग प्रस्ताव के पक्ष में वोट करूंगी।"
डिक चेनी, रिपब्लिकन सदस्य, हाउस ऑफ़ रिप्रेज़ेन्टेटिव्स
वे उपराष्ट्रपति रह चुके वरिष्ठ नेता डिक चेनी की बेटी हैं।
रिपब्लिकन भी ट्रंप के ख़िलाफ़
इसके अलावा दूसरी तीन रिपब्लिकन सदस्यों ने भी खुले आम कहा है कि वे महाभियोग प्रस्ताव के पक्ष में वोट करेंगे। जॉन कैटको, एडम किंज़िगर और फ्रेड अप्टॉन ने महाभियोग के पक्ष में मतदान करने का एलान कर दिया है।
वरिष्ठ रिपब्लिकन सदस्य मिच मैकॉनल ने कहा कि उन्हें इससे खुशी है कि राष्ट्रपति ट्रंप के ख़िलाफ़ महाभियोग प्रस्ताव लाया गया है। उनका मानना है कि इससे ट्रंप को आसानी से हटाया जा सकेगा।
प्रस्ताव पारित होगा?
हाउस ऑफ रिप्रेज़ेन्टेटिव्स में महाभियोग प्रस्ताव सामान्य बहुमत से पारित होता है और ऐसे में उसे पास करने के लिए 217 वोटों की ज़रूरत है। प्रस्ताव को इससे अधिक वोट मिलने की संभावना है।
प्रस्ताव के वहां से पारित होने के बाद उसे ऊपरी सदन सीनेट को भेजा जाएगा। सीनेट में डेमोक्रेट सदस्यों की संख्या 48 और रिपब्लिकन की संख्या 52 है। लेकिन सीनेट में यह प्रस्ताव सामान्य बहुमत नहीं, दो-तिहाई बहुमत से पारित होता है। इसका अर्थ यह है कि 17 रिपब्लिकन सीनेटरों ने यदि प्रस्ताव के पक्ष में मतदान कर दिया तो वह पारित हो जाएगा।
पर्यवेक्षकों का कहना है कि जिस तरह रिपब्लिकन सदस्यों ने ट्रंप को हटाने की माँग की है और कई ने प्रस्ताव के पक्ष में वोट देने की बात कही है, उससे लगता है कि यह बहुत मुश्किल काम नहीं है।
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