अब फ्रांस के लियोन में चर्च के बाहर पादरी को गोली मारी

02:23 pm Nov 01, 2020 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

शार्ली एब्दो के कार्टून विवाद और हिंसा की ख़बरों के बीच ही फ्रांस के लियोन शहर में एक चर्च के बाहर पादरी को गोली मार दी गई। इस हमले में वह गंभीर रूप से घायल हो गए। लेकिन न तो हमलावर की पहचान हो पाई है और न ही हमले के पीछे की वजह का पता चल पाया है। फ्रांस के नीस शहर में दो दिन पहले ही एक चर्च में चाकू से किए गए हमले में तीन लोगों की जान चली गई थी। यह हमला ऐसे समय में हुआ है जब फ्रांस में पैगंबर मुहम्मद साहब के कार्टून बनाने का विवाद चल रहा है। इसको लेकर फ्रांस और मुसलमान व मुसलिम देश आमने-सामने आ गये हैं।

ताज़ा हमले में घायल पादरी को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। एएफ़पी की रिपोर्ट में पुलिस सूत्र और प्रत्यक्षदर्शियों के हवाले से कहा गया है कि 52 वर्षीय एक ग्रीक नागरिक निकोलोस काकावलाकी शनिवार को मध्य दोपहर लियोन में अपने चर्च को बंद कर रहे थे। तभी एक बंदूक़धारी ने पादरी के सीने में दो गोलियाँ दागीं। 

रिपोर्टों में कहा गया कि तब हमलावर भाग गया लेकिन लियोन के सरकारी वकील ने बाद में घोषणा की कि एक संदिग्ध को गिरफ्तार किया गया।

रिपोर्टों में यह भी कहा गया है कि हमलावर अकेला था और उसने शिकार करने वाली राइफल से गोली चलाई। फ़िलहाल हमले के पीछे की वजहों का पता नहीं चल पाया है।

लियोन मेयर ग्रेगरी डकेट ने घटनास्थल पर संवाददाताओं से कहा कि वह न तो किसी भी सिद्धांत के पक्ष में हैं और न ही वह किसी भी सिद्धांत को खारिज करते हैं। उन्होंने कहा, 'हम इस स्तर पर इस हमले का मक़सद नहीं जानते हैं।'

पुलिस ने चर्च के आसपास के इलाक़े को बंद कर दिया है और लोगों को घरों में ही रहने की हिदायत दी गई। इस मामले में पुलिस ने हमलावर को पकड़ने के लिए तलाशी अभियान चलाया। ट्विटर पर लोगों ने पुलिस कार्रवाई के वीडियो भी डाले हैं। एमी मेक नाम की एक ट्विटर यूज़र ने वीडियो पोस्ट करते हुए ऐसी हत्याओं पर चिंता जताई है।

इससे पहले गुरुवार को एक चर्च में चाकू से किए गए हमले में तीन लोगों की मौत हो गई थी। एएफ़पी के मुताबिक़, नीस शहर के हमलावर की पहचान ट्यूनीशिया के नागरिक के रूप में हुई है। हमलावर फ्रांस के चर्च में हाथ में कुरान की कॉपी और चाकू लेकर घुसा था और फिर उसने तीन लोगों की हत्या कर दी थी। 

रिपोर्टों में कहा गया है कि हमलावर एक ट्यूनीशियाई नागरिक है जो 1999 में पैदा हुआ था। वह हमला करने के लिए हमलावर इटली के रास्ते आया।

फ़्रांस में हाल के दिनों में ऐसे हमले को लेकर आशंकाएँ बढ़ी हैं। यह इसलिए कि शार्ली एब्दो के पैगंबर मुहम्मद साहब के कार्टून बनाने के बाद से फ़्रांस और मुसलिम देश आमने सामने हैं। दोनों के अपने-अपने तर्क हैं- अभिव्यक्ति की आज़ादी का और धार्मिक भावनाएँ आहत होने का। इसकी शुरुआत शार्ली एब्दो के कार्टून से हुआ था। यह एक फ्रांसीसी व्यंग्य छापने वाली साप्ताहिक पत्रिका है। इसने मुहम्मद साहब का कार्टून छापा था। क़रीब 9 साल पहले इस कार्टून के छपने का विवाद हिंसा का रूप ले चुका है। ऐसा लगता है कि अब इसलाम और ईसाई धर्म आमने-सामने आ गए हैं। अब चिंता की बात पूरी दुनिया के लिए है। 

देखिए वीडियो, इस्लाम के नाम पर हत्या जायज कैसे

इस मामले में न तो फ़्रांस झुकने को तैयार है और न ही मुसलिम। फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों ने कहा कि देश में हर व्यक्ति को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है। उन्होंने कहा कि हम किसी भी तरह के कार्टून और डिज़ाइन पर रोक नहीं लगाएँगे, यह देश का क़ानूनी अधिकार है। फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने साफ़ किया कि वह कार्टून और डिज़ाइन का त्याग नहीं करेंगे और संगीत, साहित्य, कला, व संस्कृति को लगातार इसी तरह आगे बढ़ाते रहेंगे जिस तरह से फ्रांस की संस्कृति रही है। इधर, पत्रिका शार्ली एब्दो का स्वभाव उत्तेजक है। यह घोर वामपंथी पत्रिका है। इसमें इसी तरह की उत्तेजक सामग्री छपती रही है। इसमें न सिर्फ़ इसलाम के लिए बल्कि कैथोलिक के लिए भी ऐसी ही सामग्री छपती रही है और मज़ाक़ भी उड़ाया जाता रहा है। 

दूसरी तरफ़ मुसलमान और मुसलिम देश हैं जो यह तर्क दे रहे हैं कि अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर धार्मिक भावनाओं को आहत नहीं किया जा सकता है। ऐसे तर्क रखने के संदर्भ में ही कई जानी-मानी हस्तियों ने तो हिंसा तक का समर्थन कर दिया है। हिंसा का समर्थन करने वाले मलेशिया के पूर्व प्रधानमंत्री महाथिर मोहम्मद के विवादित ट्वीट को ट्विटर को हटाना पड़ा। फ़्रांस में हो रहे इन घटनाक्रमों को लेकर भारत सहित कई देशों में तो मुसलिम प्रदर्शन कर रहे हैं।