जो बाइडन अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति बन गए, जिसके साथ ही उस देश में एक नए युग की शुरुआत हो गई। बुधवार को वाशिंगटन स्थित कैपिटल हिल पर हुए एक भव्य समारोह में बाइडन ने पद और गोपनीयता की शपथ ली।
उनके साथ ही भारतीय मूल की कमला हैरिस ने उप राष्ट्रपति पद की शपथ ली। वे इस पद पर पहुँचने वाली पहली महिला तो हैं ही, पहली अश्वेत और पहली भारतीय मूल की अमेरिकी नागरिक हैं।
देश को किया संबोधित
अमेरिका के इतिहास में सबसे अधिक उम्र में राष्ट्रपति बनने वाले बाइडन ने शपथ ग्रहण के तुरंत बाद राष्ट्रपति के तौर पर देश को संबोधित किया। एनडीटीवी के अनुसार, भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक विनय रेड्डी ने यह भाषण तैयार किया है।एकता पर जोर
जो बाइडन ने अपने पहले भाषण में एकता पर ज़ोर देते हुए कहा कि देश में एकजुटता की ज़रूरत है। उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन को उद्धृत करते हुए कहा कि हमें एकता की सबसे अधिक ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि हम पूरे देश को एकजुट करें और सही अर्थों में इसे संयुक्त राज्य अमेरिका बनाएं।
उन्होंने कहा कि इसी जगह एक समय अश्वेतों को मतदान के अधिकार के लिए संघर्ष करना पड़ा था और आज समय है कि हमारे बीच अश्वेत महिला कमला हैरिस ने थोड़ी देर पहले ही उप राष्ट्रपति पद की शपथ ली है।
बाइडन ने कहा, "लोकतंत्र में अलग-अलग मत होते हैं, अमेरिका में भी हैं। लेकिन अमेरिका की यह खूबी है कि विचारों के अंतर से फूट नहीं पड़ती है, एक-दूसरे के ख़िलाफ नहीं हो जाते हैं। हम सब अलग-अलग विचारों के साथ मिल कर एक साथ रहते हैं।"
जो बाइडन ने एकता पर ज़ोर देते हुए कहा,
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"मैं आप सब को आश्वस्त करता हूँ कि मैं सबका राष्ट्रपति बनूँगा, सबको साथ लेकर चलूँगा।"
जो बाइडन, राष्ट्रपति, अमेरिका
कोरोना को हराने का संकल्प
जो बाइडन ने कोरोना महामारी की चर्चा करते हुए कहा कि पूरा देश इस रोग के ख़िलाफ़ मिल कर लड़ेगा, हम सब एक साथ काम करेंगे और जल्द ही इस महामारी को ख़त्म करने में कामयाब होगे।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोेदी ने जो बाइडन के शपथ ग्रहण करते ही बधाई दी। उन्होने ट्वीट कर उम्मीद जताई कि वे बाइडन के साथ मिल कर काम करेंगे और भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करेंगे।
राष्ट्रपति बाइडेन ने शपथ ग्रहण के बाद राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा, "हमने जिंदगी में बहुत सारी चुनौतियां देखी हैं। लेकिन अमेरिका की सेना सशक्त है, हर चुनौती के लिए तैयार है।"
लोकतंत्र की जीत
उन्होंने कहा, "आज हम एक उम्मीदवार की नहीं बल्कि लोकतंत्र की जीत का जश्न मना रहे हैं। लोगों को सुना गया है। हमने फिर से सीखा है कि लोकतंत्र अनमोल है, लोकतंत्र प्रबल है।"जो बाइडेन ने कहा कि देश को विभाजित करने वाली ताकतें गहरी हैं और वे वास्तविक हैं, लेकिन कि वो नई नहीं हैं। उन्होंने कहा कि अमेरिका का इतिहास निरंतर संघर्ष का रहा है।
सबसे अधिक उम्र में राष्ट्रपति बनने वाले बाइडन जब 29 साल की उम्र में पहली बार निर्वाचित होकर अमेरिकी सीनेट पहुँचे तो वे सबसे युवा प्रतिनिधियों में से एक थे। बाइडन ने 1988 और 2008 में भी अपनी पार्टी से राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बनने के लिए दावेदारी की थी, लेकिन असफल रहे थे। साल 1972 में हुई कार दुर्घटना में उनकी पहली पत्नी नीलिया और उनकी 13 महीने की बेटी नाओमी की मौत हो गई थी तथा उनके बेटे ब्यू और हंटर गंभीर रूप से घायल हो गए थे।