ग़ज़ा अस्पताल पर हमास के हमले का कथित सबूत और बीबीसी रिपोर्टर की कहानी

05:18 pm Oct 18, 2023 | सत्य ब्यूरो

ग़ज़ा में ईसाई मिशनरी द्वारा संचालित अल अहली अरब अस्पताल पर हमले में मारे गए 500 से ज्यादा लोगों को लेकर पूरी दुनिया में गुस्सा फैल गया है। इजराइली डिफेंस फोर्स (आईडीएफ) ने बुधवार तड़के विश्व मीडिया के सामने कहा कि अस्पताल पर हमला इजराइल की ओर से नहीं हुआ है, बल्कि यह हमास के अल जिहाद ग्रुप की कथित करतूत है। आईडीएफ ने कुछ कथित सबूत भी पेश किए। आईडीएफ प्रवक्ता डैनियल हगारी के कथित सबूतों को इजराइल अखबार हारेत्ज, जेरूशलम पोस्ट, टाइम्स ऑफ इजराइल के अलावा सीएनएन, बीबीसी आदि ने भी प्रसारिक किया है। 

इजराइल के हारेत्ज, जेरूशलम पोस्ट ने बताया कि आईडीएफ के प्रवक्ता डैनियल हगारी ने बुधवार तड़के विदेशी प्रेस से कहा कि हमारा आकलन "कई स्रोतों से मिली खुफिया जानकारी" पर आधारित है। आईडीएफ के ऑपरेशन सिस्टम के विश्लेषण से पता चला है कि एक दुश्मन रॉकेट बैराज को इज़राइल की ओर लॉन्च किया गया था और जब वह हिट हुआ तो अस्पताल के आसपास से गुजरा।"

डैनियल हगारी ने एक ऑडियो रिकॉर्डिंग पेश की जिसमें इस्लामिक जिहाद के सदस्य कथित तौर पर ज़ोर-जोर से कह रहे हैं कि वे विस्फोट के लिए ज़िम्मेदार हैं। हागारी ने एक और वीडियो पेश किया जिसमें रॉकेट के प्रक्षेपण के विभिन्न चरणों और हिट होने वाले अस्पताल के लेआउट को दिखाया गया है।


हगारी ने कहा कि "कुछ स्रोतों से मिली खुफिया जानकारी से संकेत मिलता है कि इस्लामिक जिहाद हमास उस असफल रॉकेट प्रक्षेपण के लिए जिम्मेदार है जिसने ग़ज़ा के अस्पताल को निशाना बनाया। मैं दोहराता हूं, यह इस्लामिक जिहाद हमास की जिम्मेदारी है जिसने ग़ज़ा के अस्पताल में निर्दोष लोगों की जान ले ली।" 

आईडीएफ प्रवक्ता हगारी ने कहा- ''शाम 6:15 बजे हमास की ओर से इजराइल पर रॉकेटों की बौछार की गई। शाम 6:50 बजे, पास के कब्रिस्तान से इस्लामिक जिहाद द्वारा 10 रॉकेट दागे गए। इसके अलावा, शाम 6:59 बजे अस्पताल में विस्फोट की खबरें आईं। उन्होंने कहा, हमारी खुफिया जानकारी के अनुसार, हमास ने रिपोर्टों की जांच की और खुद ही समझ लिया कि यह इस्लामिक जिहाद रॉकेट के मिसफायर होने जैसा था और जो कुछ हुआ उसे छिपाने के लिए ग्लोबल मीडिया अभियान शुरू करने का फैसला किया।

इजराइल के इन आरोपों का फिलिस्तीन के यूएन में राजदूत रियाद मंसूर ने खंडन किया और जवाब दिया है। हमास और इस्लामिक जिहाद ने भी आरोपों का खंडन किया है। लेकिन इस सारी कड़ी में बीबीसी रिपोर्टर ने मंगलवार शाम को जब अस्पताल पर हमला हुआ, उससे पहले के हालात का जिक्र करते हुए एक रिपोर्ट लिखी है, जो सोचने पर मजबूर करती है। इस रिपोर्ट को बीबीसी डॉट कॉम की साइट पर सीधे भी पढ़ा जा सकता है। 

बीबीसी रिपोर्टर की आपबीती

ग़ज़ा में बीबीसी रिपोर्टर रुश्दी अबू अलौफ़ ने बीबीसी वेबसाइट पर लिखा है-  मंगलवार को 3 बजे मैं बीबीसी टीवी न्यूज़ पर लाइव होने की तैयारी कर रहा था, उसी समय मेरी पत्नी का फोन आया - वो रो रही थी, बच्चों के रोने की भी आवाज आ रही थी। उन्हें उस अपार्टमेंट को छोड़ने के लिए कहा गया था जिसमें हम रह रहे थे। उन्हें चेतावनी गई थी कि इजराइली वायु सेना अगली बिल्डिंग पर बमबारी करने वाली थी। मैंने पत्नी से कहा कि वो बच्चों को लेकर वहां से तुरंत चली जाए। मैंने अपने सहकर्मी महमूद को मदद के लिए फोन किया।...ग़ज़ा में  पाँच दिनों में दूसरी बार, मेरा परिवार भाग रहा था - बमबारी से बचने के लिए भाग रहा था। अभी शुक्रवार को हमने ग़ज़ा शहर में अपना पिछला घर छोड़ा था, जब इजराइलियों ने उत्तरी ग़ज़ा में सभी को अपनी सुरक्षा के लिए दक्षिण की ओर जाने के लिए कहा था।

मैं अपने ससुर, मेरी पत्नी, उसकी बहन और उनके परिवारों के साथ दक्षिणी इलाके खान यूनिस शहर की ओर चल पड़े। नया ठिकाना तलाशना आसान नहीं था। 400,000 लोगों की पहले से ही भीड़भाड़ वाला खान यूनिस शहर दस लाख से अधिक लोगों से भर चुका था।आख़िरकार, हमें एक घर मिला जहाँ उसके मालिक ने हमें दूसरे परिवार के साथ रहने के लिए शरण दी। हमने सोचा कि वहां एक बेकरी और फार्मेसी है। बहुत सारे लोग रह रहे हैं, यहां हम सुरक्षित रहेंगे। इस बिल्डिंग के अन्य परिवारों के साथ मिलकर, हमने पानी और भोजन तलाशने में एक-दूसरे की मदद की। लेकिन तभी बिल्डिंग मालिक ने आकर बताया कि उन्हें एक फोन आया था। फोन करने वाले ने खुद को इजराइली सैनिक बताया। उसने मालिक के नाम की पड़ताल की और कहा कि इमारत को खाली कर दिया जाए क्योंकि बगल की इमारत (सिर्फ एक मीटर दूर) नष्ट होने वाली है।

ग़ज़ा में यह जानना नामुमकिन है कि इज़राइल कब बमबारी करेगा, पाँच मिनट में या अगले दिन। मैंने परिवार को भरोसा देते हुए कहा कि वो लोग 700 मीटर की दूरी पर रेड क्रॉस (आईसीआरसी) अस्पताल में चले जाएं। अब हम फिर बेघर हैं।


सही बात तो यह है कि मैं असहाय हूं। मैं नहीं जानता कि क्या करना चाहिए। मैं कहां जाऊं, परिवार को कैसे सुरक्षा दूं। मैंने ग़ज़ा में इससे पहले के संघर्षों को कवर किया है, लेकिन यह पहली बार है कि जब मेरा परिवार भी बाकी ग़ज़ा वालों की तरह ही प्रभावित हुआ है। मैं खतरे का सामना अकेले तो कर सकता हूं लेकिन जब परिवार साथ हो तो आप अपराध बोध का अनुभव करते हैं।

हमास का जवाब

हमास के सबसे बड़े नेता इस्माइल हनिएह ने इस हमले के लिए अमेरिका को जिम्मेदार ठहराया और इस बात पर जोर दिया कि वाशिंगटन ने इज़राइल को जो मदद दी है, यह उसका नतीजा है। हनियेह ने एक टीवी चैनल पर कहा, "अस्पताल में हुआ नरसंहार दुश्मन की क्रूरता और उसकी हताशा की पुष्टि करता है।" उन्होंने सभी फिलिस्तीनी लोगों से "बाहर निकलने और ग़ज़ा पर कब्ज करने वाले और वहां आकर बसने वालों (सेटलर्स) का मुकाबला करने" को कहा। इस्माइल हनिएह सभी अरबों और मुसलमानों से इज़राइल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने का आह्वान किया। 

हमास के सहयोगी इस्लामिक जिहाद ने एक बयान में कहा- "ज़ायोनी दुश्मन (इजराइल) अपने झूठ के माध्यम से हॉस्पिटल पर बमबारी करके किए गए क्रूर नरसंहार के लिए अपनी ज़िम्मेदारी से बचने की पूरी कोशिश कर रहा है। इसीलिए हमास के इस्लामिक जिहाद आंदोलन पर दोष मढ़ा गया है। अस्पताल में इजराइली बमबारी के पुख्ता सबूत बिखरे हुए हैं। अंतरराष्ट्रीय मीडिया ग़ज़ा में मौजूद है। यूएन के लोग ग़ज़ा में मौजूद हैं। हर सबूत इस नरसंहार की गवाही है।"


फिलिस्तीन का जवाब

यूएन में फिलिस्तीनी राजदूत रियाद मंसूर ने इजराइल के दावों का जोरदार खंडन करते हुए कहा कि "नेतन्याहू झूठे हैं, उनके डिजिटल प्रवक्ता ने ट्वीट किया कि इज़राइल ने यह सोचकर हमला किया कि इस अस्पताल के आसपास हमास का आधार (बेस) था, और फिर उन्होंने वो ट्वीट हटा दिया। हमारे पास उस ट्वीट की कॉपी है... अब उन्होंने फ़िलिस्तीनियों पर दोष मढ़ने की कोशिश करने के लिए कहानी बदल दी है।"

फ़िलिस्तीनी राजदूत ने कहा, “इजराइली सेना के प्रवक्ता ने बमबारी से पहले एक बयान दिया था जिसमें उसने कहा था कि ग़ज़ा में अस्पतालों को खाली कर दें… उनका इरादा खाली कराना था या अस्पतालों पर हमला करना था...वे उस अपराध के लिए जिम्मेदार हैं और वे इससे निपटने के लिए कहानियां नहीं बना सकते।” बहरहाल, दुनिया के तमाम देशों के लोग इजराइल और वहां की सेना के बयान और कथित सबूत पर विश्वास करने को तैयार नहीं हैं। तमाम देशों में इजराइल विरोधी प्रदर्शन हो रहे हैं। जिनमें यूरोप और अमेरिका भी शामिल है।