हसन नसरल्लाह और हिजबुल्लाह कौन हैं, जानिये

06:53 pm Sep 28, 2024 | सत्य ब्यूरो

हिजबुल्लाह प्रमुख हसन नसरल्लाह को मारे जाने की सूचना इजराइली मीडिया और इजराइली सेना ने दी है। शनिवार शाम को इसकी पुष्टि हिजबुल्लाह और ईरानी टीवी चैनलों ने कर दी। सीरिया के अलकायदा और आईएस (दाइश) प्रभाव वाले क्षेत्रों में नसरल्लाह को मारे जाने पर खुशी मनाई जा रही है, मिठाई बंट रही है। जबकि ईरान की राजधानी तेहरान में लोग सड़कों पर अमेरिका और इजराइल के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। इन तमाम खबरों के बीच यह सवाल भी पूछा जा रहा है कि पिछले दो दशक से भूमिगत रहने वाला यह शख्स किस चूक की वजह से मारा गया। 

हिजबुल्लाह प्रमुख नसरल्लाह शिया उलेमा भी हैं। उनकी काली पगड़ी यही बताती है। शिया धर्म गुरुओं या मराजा में उनका नंबर अली सिस्तानी (इराक), खामनेई (ईरान) के बाद आता है। भारत, पाकिस्तान और दुनिया के तमाम देशों में अली सिस्तानी और खामनेई का अनुसरण करने वाले शिया मुस्लिम सबसे ज्यादा हैं। नसरल्लाह का अनुसरण करने वाले शिया लेबनान और आसपास के इलाकों में ज्यादा है। लेकिन वो शिया धर्म गुरु से ज्यादा एक हीरो के रूप में शियों मुस्लिमों के बीच मशहूर हैं, क्योंकि उनके संगठन ने इजराइल को चुनौती देने के लिए हमास को ट्रेनिंग दी, तैयार किया। उन्होंने यमन के हूतियों को ट्रेनिंग दी और तैयार किया। लेकिन विचारधारा के तौर पर हिजबुल्लाह और नसरल्लाह ईरान का समर्थन करते हैं। इसीलिए उन्हें ईरान का प्रॉक्सी संगठन भी कहा जाता है।  

हिजबुल्लाह की कमान नसरल्लाह 32 वर्षों से संभाल रहे हैं। जब उन्हें कमान मिली थी तो वो युवा थे और उनकी दाढ़ी काली थी लेकिन अब उनकी दाढ़ी सफेद हो चुकी है। इन 32 वर्षों में 64 साल के नसरल्लाह ने हिजबुल्लाह को एक शक्तिशाली ताकत बनाया है। हिजबुल्लाह एक राजनीतिक संगठन बन गया है जो लेबनान में प्रभाव रखता है और बैलिस्टिक मिसाइलों से लैस एक सेना है जो तेल अवीव को धमकी दे सकती है। लेबनान में जो भी सरकार बनती है, वो हिजबुल्लाह के प्रभाव में होती है, क्योंकि लेबनान की सीमा की रक्षा के लिए हिजबुल्लाह के जवान तैनात रहते हैं।

दरअ.ल, हसन नसरल्लाह को ईरान ने खड़ा किया। ईरान की मदद से नसरल्ला ने अपनी पहुंच लेबनान से काफी आगे तक बढ़ा दी है। हिजबुल्लाह लड़ाकों ने सीरिया में राष्ट्रपति बशर अल-असद की सरकार को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जब 2011 में आतंकी समूह अल कायदा और आईएसआईएस से सीधा खतरा था। हिजबुल्लाह ने ही हमास के लड़ाकों को प्रशिक्षित करने में मदद की है, साथ ही इराक और यमन में मिलिशिया तैयार किये। अरब परंपरा के अनुसार, नसरल्लाह को अबू हादी या हादी के पिता के रूप में जाना जाता है, उनके सबसे बड़े बेटे की सितंबर 1997 में इजराइलियों के साथ लड़ते हुए मौत हो गई थी। उस वक्त उसकी उम्र 18 साल थी। नसरल्लाह के कम से कम तीन अन्य बच्चे हैं।

नसरल्लाह लंबे समय से यरूशलेम की आजादी का आह्वान कर रहें हैं और इज़राइल के "ज़ायोनीवाद" के खिलाफ लगातार अभियान चलाया है। उनका कहना है कि सभी यहूदी प्रवासियों को अपने मूल देशों में लौट जाना चाहिए और मुसलमानों, यहूदियों और ईसाइयों के लिए समानता के साथ एक फिलिस्तीन होना चाहिए। यह बहुत बड़ी बात है। इसीलिए फिलिस्तीन में नसरल्लाह को नई पीढ़ी हीरो मानती है।

नसरल्लाह बहुत सादगी भरा जीवन जीते हैं। वो राजनीतिक नेताओं से बहुत कम मिलते-जुलते हैं। उन्होंने इज़राइल के खिलाफ 2006 के युद्ध के बाद से सार्वजनिक उपस्थिति और टेलीफोन से परहेज किया है। वह युद्ध, जो तब शुरू हुआ जब हिजबुल्लाह ने सीमा पार छापे के दौरान दो इजराइली सैनिकों को पकड़ लिया, 34 दिनों की लड़ाई के बाद दोनों पक्षों ने जीत की घोषणा के साथ इसे समाप्त कर दिया। इसके बाद, हिजबुल्लाह की अरब और दुनिया भर में सराहना की गई कि उसने इस क्षेत्र में हुए संघर्षों में तेजी से सक्रिय भूमिका निभाई।

वो अधिकांश शिया मौलवियों की तुलना में कम साहसी हैं। वो अपनी तकरीर में कई बार चुटकुले भी सुना देते हैं। उन्होंने कभी भी महिलाओं के लिए बुर्का जैसे कठोर इस्लामी नियमों को आगे नहीं बढ़ाया। लेबनान के निर्माण में उन्होंने ईरानी और प्रवासी शिया लोगों से फंडिग करवाकर उसकी मदद की। उस समय लेबनान एक लंबे गृहयुद्ध से उभरने के लिए संघर्ष कर रहा था। हसन नसरल्लाह और हिजबुल्लाह लेबनान में अस्पताल, स्कूल और अन्य सामाजिक सेवाओं के लिए जाने जाते हैं। 1960 में बेरूत में जन्मे नसरल्लाह बहुत गरीबी में ईसाईयों, अर्मेनियाई, ड्रूस, फिलिस्तीनियों और शिया आबादी के बीच पले-बढ़े। उनके पिता की एक छोटी सी फल और सब्जी की दुकान थी।

उन्होंने 1989 में ईरान के कुम शहर में एक हौजा (दीनी शिक्षा का कॉलेज) में अध्ययन किया और ईरान की 1979 की इस्लामी क्रांति को मुस्लिम दुनिया में एक मॉडल के रूप में पेश किया। 1983 में, पहले बेरूत में अमेरिकी दूतावास, फिर अमेरिकी और फ्रांसीसी शांति सैनिकों की बैरक पर आत्मघाती बम हमलों में 241 अमेरिकी सेवा सदस्यों सहित कम से कम 360 लोग मारे गए। जानलेवा हमलों की जिम्मेदारी हिजबुल्लाह से जुड़े संगठन ने ली थी और जिन लोगों पर इसकी योजना बनाने का संदेह था उनमें से कुछ बाद में नसरल्लाह के अधीन हिजबुल्लाह के शीर्ष कमांडर बन गए।

नसरल्लाह ने 19 सितंबर को, टीवी पर पेजर और वॉकी-टॉकी में विस्फोट के लिए इज़राइल को दोषी ठहराया, जिसमें पिछले दिनों उनके दर्जनों पैदल सैनिक मारे गए और कई हजार से अधिक घायल हो गए थे। उन्होंने कहा, ''यह प्रतिशोध लिया आएगा। इसका तरीका, आकार, कैसे और कहां - ये ऐसी चीजें हैं जिन्हें हम तय करेंगे।"

आखिर हिजबुल्लाह क्या है?

द वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट कहती है कि हिजबुल्लाह, जिसका अर्थ है "ईश्वर की पार्टी", एक शिया मुस्लिम राजनीतिक दल और लड़ाका संगठन है । यह लेबनान में राजनीतिक शक्ति रखता है और ईरान द्वारा समर्थित है। यह 1980 के दशक में 15 साल के लेबनानी गृहयुद्ध के दौरान देश के दक्षिणी क्षेत्र पर इज़राइल के कब्जे की प्रतिक्रिया में उभरा था। 1985 के अपने घोषणापत्र में, हिज़्बुल्लाह ने इज़राइल के विनाश को अपने एक प्रमुख लक्ष्य के रूप में रखा है।  

लेबनान में यह समूह देश के ऐतिहासिक रूप से हाशिये पर रहे अधिकांश शिया समुदायों पर प्रभाव रखता है। हिजबुल्लाह लेबनान के अंदर एक ईरानी प्रतिनिधि से एक क्षेत्रीय शक्ति केंद्र के रूप में विकसित हो गया है। सीरिया में जब गृहयुद्ध चल रहा था तब हिजबुल्लाह सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल-असद को अल कायदा और आईएस (दाइश) से बचाने के लिए लड़ रहा था। यमन में हूती विद्रोहियों और इराक में मिलिशिया को यह प्रशिक्षित कर चुका है। इस संगठन का लेबनान में व्यापक राजनीतिक प्रभाव है।

हिजबुल्लाह और हमास के बीच कैसे संबंध हैं?

हमास, इजराइल पर हुए हालिया हमले के लिए जिम्मेदार उग्रवादी संगठन है। यह गाजा पट्टी को नियंत्रित करता है और इज़राइल के स्थान पर फ़िलिस्तीनी राज्य बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। हमास एक सुन्नी फिलिस्तीनी संगठन है, जबकि ईरान समर्थित हिजबुल्लाह एक शिया लेबनानी पार्टी है। हाल के वर्षों में, हमास और हिजबुल्लाह के बीच सीरियाई गृहयुद्ध को लेकर मतभेद रहा है, हिजबुल्लाह सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद का समर्थन कर रहा है और हमास उन्हें सत्ता से बेदखल करने का समर्थन कर रहा है। 

भले ही सीरिया को लेकर दोनों संगठनों के विचार अलग-अलग हैं लेकिन इजरायल को दोनों ही अपना दुश्मन नंबर एक मानते हैं। इज़राइल के अस्तित्व के प्रति उनके साझा विरोध ने ही उन्हें सामरिक सहयोगी बना दिया है। 2020 और 2023 के बीच, दोनों समूहों के नेताओं ने इज़राइल के साथ संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन जैसे अरब देशों के बीच हुए समझौतों का विरोध किया था। दोनों ही संगठनों के नेताओं ने इन समझोतों के बाद उठे बवंडर पर चर्चा करने के लिए कम से कम दो बैठकें कीं थी। हिजबुल्लाह के नेता हसन नसरल्लाह ने हाल ही में अप्रैल में लेबनान में हमास प्रमुख इस्माइल हानियेह से मुलाकात की थी।