पूर्व राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे श्रीलंका लौट आए हैं। इस साल जून और जुलाई में श्रीलंका में राजपक्षे परिवार के खिलाफ हुए जबरदस्त विरोध प्रदर्शनों के बाद गोटाबाया राजपक्षे को देश छोड़कर भागना पड़ा था। श्रीलंका पहुंचने पर गोटाबाया राजपक्षे की पार्टी के नेताओं ने उनका जोरदार स्वागत किया। राजपक्षे सात हफ्ते बाद स्वदेश लौटे हैं।
श्रीलंका छोड़कर जाने के बाद गोटाबाया राजपक्षे पहले सिंगापुर और उसके बाद थाईलैंड होते हुए बैंकॉक भी पहुंचे थे। जबकि उनके भाई और पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के श्रीलंका छोड़ने पर वहां की सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी।
गोटाबाया के एक और भाई और उनकी सरकार में मंत्री रहे बासिल राजपक्षे को भी देश छोड़कर जाना पड़ा था।
जून और जुलाई में लगातार बिगड़ते हालात के बीच श्रीलंका में इमरजेंसी लागू कर दी गई थी। प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति आवास पर कब्जा कर लिया था।
प्रदर्शनकारी कई बार सड़कों पर उतर कर हुकूमत को चेतावनी दे चुके थे कि वह हालात को खराब होने से बचाए लेकिन महीनों बाद भी वहां की हुकूमत हालात को संभाल नहीं सकी।
विक्रमसिंघे बने थे राष्ट्रपति
जुलाई में रानिल विक्रमसिंघे को श्रीलंका का नया राष्ट्रपति चुन लिया गया था। नए राष्ट्रपति के चुनाव के लिए संसद में मतदान हुआ था और इसमें सबसे ज्यादा वोट विक्रमसिंघे को मिले थे। 73 साल के विक्रमसिंघे को गोटाबाया राजपक्षे की पार्टी श्रीलंका पोदुजाना पेरामुना (एसएलपीपी) का समर्थन था। 225 सदस्यीय संसद में एसएलपीपी सबसे बड़ा दल है। यह चुनाव सीक्रेट बैलेट के जरिए हुआ।
नहीं सुधरे हालात
श्रीलंका में बीते कई महीनों से हालात खराब हैं। राजधानी कोलंबो में भी लोग पेट्रोल-डीजल और मिट्टी का तेल लेने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। लंबे-लंबे पावर कट, जरूरी चीजों की किल्लत बनी हुई है।
देखना होगा कि क्या गोटाबाया राजपक्षे को इस बार फिर से जनता के विरोध का सामना करना पड़ेगा या नहीं।