भारत बायोटेक से कोवैक्सीन सौदे में भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद अब वहाँ के सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति जईर बोसोनारो के ख़िलाफ़ जाँच को हरी झंडी दी है। गंभीर आरोप लगने के बाद ब्राज़ील ने हाल ही इस सौदे को निलंबित कर दिया है। ब्राज़ील ने कोवैक्सीन की दो करोड़ खुराक खरीदने का सौदा किया था। समझा जाता है कि इस खरीद सौदे में लगे भ्रष्टाचार के आरोपों से ब्राज़ील के राष्ट्रपति जईर बोसोनारो की छवि को नुक़सान पहुँचा है और अब उनके ख़िलाफ़ जाँच के लिए सुप्रीम कोर्ट से हरी झंडी मिलने के बाद उनकी मुश्किलें और बढ़ेंगी।
ब्राज़ील की जईर बोसोनारो सरकार की कोवैक्सीन खरीद की यह योजना तब खटाई में पड़ती दिखने लगी जब इस सौदे में अनियमितता के आरोप लगे और फिर ब्राज़ील के अधिकारियों ने कोवैक्सीन खरीद की जाँच शुरू कर दी। रिपोर्ट के अनुसार कोवैक्सीन के लिए ब्राज़ील ने फ़रवरी महीने में क़रीब 320 मिलियन डॉलर यानी क़रीब 24 अरब रुपये का सौदा किया था। इस सौदे में आरोप अब ब्राज़ील के राष्ट्रपति पर भी लग रहे हैं।
यही मामला अब ब्राज़ील के सुप्रीम कोर्ट में पहुँचा है। ऐसा इसलिए कि राष्ट्रपति के ख़िलाफ़ जाँच के लिए सुप्रीम कोर्ट से मंजूरी ज़रूरी होती है। न्यूज़ एजेंसी रायटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, ब्राजील सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति रोजा वेबर ने शुक्रवार देर रात शीर्ष अभियोजक के कार्यालय पीजीआर को राष्ट्रपति जईर बोसोनारो के ख़िलाफ़ जाँच को अधिकृत किया। आरोप है कि भारतीय कोरोना वैक्सीन की खरीद की प्रक्रिया में उन्होंने अपनी ज़िम्मेदारी को ठीक से नहीं निभाया। अदालत ने इसके लिए अधिकारियों को सबूत इकट्ठा करने के लिए 90 दिन का समय दिया है।
बोसोनारो सरकार पर कोरोना टीका खरीद में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार करने का आरोप लगने के बाद लोगों ने सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन किए हैं। इस पूरे मामले की जाँच ब्राज़ील की सीनेट का पैनल भी कर रहा है।
जून के आख़िर में इस सौदे को निलंबित करते हुए ब्राज़ील के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा था, 'सीजीयू (संघीय कंप्ट्रोलर) के प्रारंभिक विश्लेषण के अनुसार, अनुबंध में कोई अनियमितता नहीं है, लेकिन नियमों के अनुपालन के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने अधिक गहन विश्लेषण करने के लिए अनुबंध को निलंबित करने का विकल्प चुना।'
कोवैक्सीन के इस सौदे में सवाल उठाए गए हैं कि तुलनात्मक रूप से क़ीमतें ऊँची हैं, जल्दबाज़ी में सौदा किया गया और नियामक से मंजूरी मिलना लंबित था तभी फ़रवरी में सौदा कर लिया गया।
ब्राज़ील की कंपनी प्रेसिज़ा मेडिकामेन्टोज़ ने इस सौदे में बिचौलिए की भूमिका निभाई थी और भारत बायोटेक व ब्राज़ील सरकार में सौदा करवाया था। हाल ही में ब्राजील के सीनेटर यानी सांसद रेनन कैलेरोज़ ने कहा था कि वे हर घपले की जाँच कराएंगे। वे ब्राज़ील के संसदीय आयोग यानी सीपीआई के प्रमुख बनाए गए हैं।
ब्राज़ील द्वारा उस सौदे को निलंबित किए जाने की ख़बर के बाद भारत बायोटेक ने कोवैक्सीन की खरीद में ब्राज़ील में लग रहे भ्रष्टाचार के आरोपों को खारिज किया था। इसने बयान जारी कर कहा था कि इस सौदे में कुछ भी गड़बड़ी नहीं हुई है। हालाँकि कंपनी पर इस तरह का कोई आरोप नहीं लगा है, लेकिन सौदे में बिचौलिए का हाथ होने के आरोप लगाए जा रहे हैं।
भारत बायोटेक ने बयान में कहा था कि इसने सौदे के लिए क़दम दर क़दम बढ़ाए हैं और ब्राज़ील में नियामक मंजूरी मिली हुई है। इसने बयान में कहा था, 'ब्राजील के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा कोवैक्सीन की खरीद के इस विशिष्ट मामले में नवंबर 2020 से 29 जून के दौरान शुरुआती बैठकों के बाद से इस आठ महीने के दौरान अनुबंधों और नियामक अनुमोदनों के लिए क़दम-दर-क़दम दृष्टिकोण का पालन किया गया है।'
इसने कहा था कि कोवैक्सीन को 4 जून को मंजूरी मिली। इसने दावा किया कि 29 जून तक भारत बायोटेक ने न तो कोई अग्रिम भुगतान प्राप्त किया है और न ही ब्राज़ील के स्वास्थ्य मंत्रालय को कोई टीके की आपूर्ति की है।
भारत बायोटेक ने कहा था कि भारत के बाहर के देशों के लिए कोवैक्सीन की हर खुराक की क़ीमत 15-20 डॉलर रखी गई है और ब्राज़ील के लिए यह 15 डॉलर प्रति खुराक है। कंपनी ने कहा कि इन क़ीमतों पर ही कई अन्य देशों से कंपनी ने अग्रिम भुगतान प्राप्त किया है जिसकी आपूर्ति किए जाने की प्रक्रिया जारी है।