बांग्लादेश में एक दशक से अधिक समय से आर्थिक विकास दर 6 फ़ीसदी स्थिर है। देश में प्रति व्यक्ति आय भारत से भी ज़्यादा हो गई है। वहाँ प्रजनन दर 7 से 2.03 की नाटकीय गिरावट आई है। शिशु और बाल मृत्यु दर में भारी गिरावट हुई है। पिछले कुछ वर्षों में बांग्लादेश की वैश्विक छवि में एक बड़ा बदलाव आया है।
यह उस देश की विकास की कहानी है जो 50 साल पहले पाकिस्तान का हिस्सा था। उस पाकिस्तान का जहाँ की हालत दयनीय है। उसी से अलग होकर बांग्लादेश एक ऐसा देश बन गया है जो अपनी विकास की नयी कहानी लिख रहा है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने पिछले महीने ही दो देशों के साथ बांग्लादेश को न्यूनतम विकसित देश की श्रेणी से निकालकर विकासशील देशों की सूची में शामिल करने संबंधी एक ऐतिहासिक प्रस्ताव स्वीकार किया है।
बांग्लादेश के विकास को दिखाने वाली यह महत्वपूर्ण उपलब्धि है। संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) ने अपने 76वें सत्र में इस प्रस्ताव को स्वीकार किया।
कोरोना के हालात से उत्पन्न आर्थिक और सामाजिक झटकों के बावजूद महामारी के बाद अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के उपायों को बेहतर तरीक़े से लागू करने के बीच यह दर्जा बढ़ाया गया है।
बांग्लादेश की विकास दर को अब भारत के विकास दर से तुलना कर देखा जा रहा है। पिछले 50 सालों में जिस तरह की आर्थिक तरक्की भारत ने देखी है उससे कहीं बेहतर तरक्की बांग्लादेश में हुई है। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, विश्व बैंक के आँकड़ों के मुताबिक़ भारत का सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी 1971 में 67.35 अरब डॉलर थी, जबकि 2020 में यह 2620 अरब डॉलर थी। इस हिसाब से औसत वार्षिक वृद्धि दर 7.7 फीसदी और 49 सालों में इसमें 38 गुना वृद्धि हुई। जबकि 1971 में बांग्लादेश की जीडीपी 8.75 करोड़ डॉलर थी, जो पिछले साल 2020 तक 324 अरब डॉलर हो गयी थी। इस हिसाब से उसकी औसत वार्षिक वृद्धि दर 7.71 फीसदी और 49 सालों में 38.1 गुना वृद्धि हुई।
साल 2019 में भारत की जीडीपी 2870 अरब डॉलर थी और 2020 में भारत की प्रति व्यक्ति आय 1900 डॉलर थी। साल 2019 में बांग्लादेश की जीडीपी 302 अरब डॉलर थी और 2020 में प्रति व्यक्ति आय 1968 डॉलर थी। यानी बांग्लादेश में प्रतिव्यक्ति आय भारत से ज़्यादा थी।
पाकिस्तान से अलग होकर स्वतंत्र देश बनने वाला बांग्लादेश तो कई मायनों में पाकिस्तान से कहीं आगे निकल गया है। पाकिस्तान की जीडीपी 1971 में 10.6 अरब डॉलर थी, जो पिछले साल तक 263 अरब डॉलर थी यानी औसत वार्षिक विकास दर 6.68 फीसदी थी और 49 सालों में इसमें 23 गुना वृद्धि हुई। साल 2019 में पाकिस्तान की जीडीपी 278 अरब डॉलर थी। 2020 तक पाकिस्तान में प्रति व्यक्ति आय 1193 डॉलर थी। यह बांग्लादेश से काफी कम है।
इस बांग्लादेश को कभी ग़रीबी और भूख के प्रतीक के रूप में देखा जाता था। 1971 में पाकिस्तान से आज़ादी के बाद बांग्लादेश ने कई त्रासदियों को झेला है। इसने 1974 में भयानक अकाल देखा, भयावह ग़रीबी, प्राकृतिक आपदा और अब भी शरणार्थी संकट से बांग्लादेश जूझ रहा है। लाखों की संख्या में रोहिंग्या मुसलमान पड़ोसी बर्मा से बांग्लादेश में रह रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र ने 1975 में जब बांग्लादेश को न्यूनतम विकसित देश की श्रेणी में शामिल किया था तो वहाँ की गरीबी दर 83 प्रतिशत थी। पिछले कुछ वर्षों में गरीबी दर में भारी गिरावट आई है। 1991 में गरीबी 44.2% से घटकर 2016-17 में 13.8% हो गई। जीवन प्रत्याशा और साक्षरता दर में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।अब ग़रीबी दूर करने में बांग्लादेश की स्थिति कैसी है, यह इससे भी समझा जा सकता है कि वैश्विक भूख सूचकांक में बांग्लादेश भारत से भी आगे रहा। वैश्विक भूख सूचकांक 2021 में नेपाल 76 वें, बांग्लादेश 76 वें, म्यांमार 71 वें और पाकिस्तान 92 वें स्थान पर है। इसमें भारत 101 वें स्थान पर है।
अब इस दक्षिण एशियाई देश को भविष्य के 'एशिया के टाइगर' के रूप में पेश किया जा रहा है। इसे एशिया के टाइगर के रूप में इसलिए भी पेश किया जा रहा है कि 2020 में जब कोरोनो महामारी ने दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाओं को हिलाकर रख दिया, बांग्लादेश इससे ज़्यादा प्रभावित नहीं हुआ। इसने तब भी 2.3% की वृद्धि दर्ज की। उस वर्ष पड़ोस में ही भारत की अर्थव्यवस्था 7.9% सिकुड़ गई।