बंगाल : राज्यपाल ने ममता पर क्यों लगाया तुष्टीकरण का आरोप, चुनाव पर है नज़र?

10:23 pm Apr 24, 2020 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्यपाल जगदीप धनकड़ की लड़ाई खुल कर सबके सामने तो आ ही गई, और तेज़ भी हो गई है। राज्यपाल ने शुक्रवार को एक लंबी और बेहद कड़ी चिट्ठी लिख कर उन पर कई तरह के आरोप लगाए हैं। अमूमन इस तरह के आरोप राजनीतिक दल एक दूसरे पर लगाते हैं, संवैधानिक पद पर बैठा आदमी ऐसे आरोप नहीं लगाता।

क्या हैं आरोप?

राज्यपाल जगदीप धनकड़ ने अपने 14 पेज की लंबी चिट्ठी में 35 बिंदुओं पर चर्चा की है। उन्होंने मुख्यमंत्री पर कोरोना की रोकथाम में नाकाम रहने का आरोप तो लगाया ही है, उन पर तुष्टीकरण की नीति अपनाने का आरोप भी मढ़ दिया है।

राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को लिखा, 

'निज़ामुद्दीन मरकज़ के मामले में अल्पसंख्यक समुदाय की तुष्टीकरण की आपकी नीति बिल्कुल साफ़ और अजीब थी। यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है और इसे सही नहीं कहा जा सकता।'


जगदीप धनकड़, राज्यपाल, पश्चिम बंगाल

'कोरोना पर नाकामी छिपाई'

ममता बनर्जी की कल की चिट्ठी पर धनकड़ ने कहा कि 'कोरोना संक्रमण रोकने में अपनी नाकामी छिपाने के लिए आपने यह बहाना ढूंढा है।'

उन्होंने तृणमूल कांग्रेस की नेता से यह भी कहा कि वह कोरोना महामारी पर राजनीति करना बंद कर दें और केंद्र सरकार के साथ टकराव के रास्ते पर न चलें। ऐसा कर वह राज्य की जनता की दिक्क़तें और बढ़ा रही हैं।

पत्र-युद्ध!

राज्यपाल ने इस पर पलटवार करते हुए चिट्ठी लिखी थी। उन्होंने मुख्यमंत्री से कहा था कि इस तरह की बातें कर वह अपना अज्ञान ही उजागर करती हैं।

इसके बाद उन्होंने शुक्रवार को एक बार फिर चिट्ठी लिख मारी।

इसके पहले केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल सरकार पर लॉकडाउन का उल्लंघन करने का आरोप लगाया था। उसने इस पर रिपोर्ट देने के लिए दो टीमें पश्चिम बंगाल भेजीं।

पश्चिम बंगाल सरकार ने इस पर गुस्सा जताया था और उस टीम से सहयोग करने से इनकार कर दिया था। बाद में उस टीम के लोगों ने राज्य के 7 ज़िलों का दौरा किया था। 

सरकार से 36 का आँकड़ा

जगदीप धनकड़ जब से राज्यपाल बन कर पश्चिम बंगाल गए हैं, सरकार के साथ उनका 36 का ही आँकड़ा रहा है। राज्य सरकार उन पर हस्तक्षेप करने का आरोप लगाती रही है, वह पलटवार कर राजभवन की उपेक्षा करने से लेकर नियम क़ानून नहीं मानने तक के आरोप लगाते रहे हैं।

पर इस बार राज्यपाल ने सरकार पर तुष्टीकरण का आरोप मढ़ कर एक नई मिशाल पेश कर दी है। ऐसा कभी नहीं हुआ था। 

इसी तरह राज्यपाल ने टेलीविज़न चैनल के लाइव प्रोग्राम में भाग ले लिया और उसमें राज्य सरकार की तीखी आलोचना कर दी। 

टीवी बहस में राज्यपाल!

राज्यपाल धनकड़ ने टीवी बहस में कह दिया कि राज्य सरकार केंद्र के दिशा निर्देशों का पालन नहीं करती है, वह उनकी सलाह को नहीं मानती है और ग़ैरक़ानूनी काम कर रही है। 

क्या राज्यपाल यह बताना चाहते हैं कि राज्य सरकार ने कोरोना रोकने के मामले में केंद्र का कहा नहीं माना, उनकी भी अनसुनी कर दी और रोकथाम में पूरी तरह नाकाम रही?

क्या राज्यपाल यह बताना चाहते हैं कि मुख्यमंत्री ने कोरोना जैसे गंभीर मामले में भी मुसलिम तुष्टीकरण की राजनीति की?

क्या चाहते हैं राज्यपाल?

पर्यवेक्षकों का कहना है कि ऐसा कर राज्यपाल बीजेपी की मदद कर रहे हैं क्योंकि वह भी ये आरोप ही राज्य सरकार पर लगाती रहती है। 

इसके साथ ही वह ऐसी स्थिति पैदा करना चाहते हैं कि चुनाव प्रचार के दौरान ममता बनर्जी को नाकाम मुख्यमंत्री के रूप में स्थापित किया जा सके। यह साबित किया जा सके कि वह प्रशासन में तो नाकाम रही ही, कोरोना रोकने में भी नाकाम रही और बार बार कहने पर भी किसी की नहीं सुनी, न केंद्र सरकार की और न ही राज्यपाल की। 

ज़ाहिर है, इससे तृणमूल कांग्रेस को नुक़सान होगा और बीजेपी इसका पूरा फ़ायदा उठाएगी। क्या राज्यपाल यही चाहते हैं?