यूं तो बीते साल जुलाई में शपथ लेने के साथ ही पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ और राज्य में सत्तारुढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के बीच छत्तीस का आंकड़ा बनने लगा था। लेकिन इस महीने हुए घटनाक्रमों के बाद तो अब इन दोनों के रिश्ते प्वाइंट ऑफ़ नो रिटर्न तक पहुंच गए हैं। ऐसा शायद ही कोई दिन हो जब राज्यपाल अपने ट्वीट्स और बयानों के जरिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, उनकी सरकार और टीएमसी के नेताओं पर करारे हमले नहीं करते हों।
अब यह खाई इतनी चौड़ी हो गई है कि टीएमसी के पांच सांसदों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर धनखड़ पर संविधान, मुख्यमंत्री और राज्य सरकार की अवमानना का आरोप लगाते हुए धारा 156 के प्रावधानों के तहत उन्हें वापस बुलाने की मांग की है।
इस पत्र के बाद राज्यपाल धनखड़ ने टीएमसी के आरोपों को निराधार बताते हुए कहा है कि राज्य में मुक्त और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करना उनकी जिम्मेदारी है और वे हर हाल में अपनी यह संवैधानिक जिम्मेदारी पूरी करेंगे।
इस बीच, जनवरी में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कोलकाता दौरे से राजनीति और गरमाने की संभावना है। प्रधानमंत्री मोदी नेताजी की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल हो सकते हैं।
सीमाओं के उल्लंघन का आरोप
टीएमसी ने अपने पत्र में आरोप लगाया है कि धनखड़ सार्वजनिक रूप से राज्य के प्रशासन और सरकार के खिलाफ टिप्पणी कर संवैधानिक सीमाओं का उल्लंघन कर रहे हैं। टीएमसी के राज्यसभा सदस्य सुखेंदु शेखर रॉय ने पत्रकारों से कहा कि राष्ट्रपति को भेजे पत्र में धनखड़ की ओर से हाल में संविधान के कथित उल्लंघनों की सूची देते हुए उनसे संविधान के अनुच्छेद-156 (1) के तहत कार्रवाई करने की मांग की गई है। पार्टी का आरोप है कि राज्यपाल राजभवन से राजनीति कर रहे हैं। वे मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ लगातार ग़लत भाषा का इस्तेमाल करते रहे हैं।
राय कहते हैं कि संविधान के अनुच्छेद-156 की धारा-1 के तहत राष्ट्रपति की इच्छा तक राज्यपाल पद पर आसीन होता है। हमने राष्ट्रपति से राज्यपाल को वापस बुलाने का अनुरोध किया है। वे शपथ ग्रहण के बाद से ही नियमित रूप से ट्वीट कर रहे हैं, पत्रकारों से बात कर रहे हैं और टीवी चैनलों पर इंटरव्यू दे रहे हैं।
टीएमसी का कहना है कि राज्यपाल रोजाना बिना नागा राज्य सरकार के कामकाज, अधिकारियों, मंत्रियों और मुख्यमंत्री पर टिप्पणी कर रहे हैं। वे विधानसभा अध्यक्ष के कामकाज पर भी उंगली उठा चुके हैं।
टीएमसी का आरोप है कि राज्य सरकार को असहज करने के लिए धनखड़ बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की ओर से बयान दे रहे हैं। पश्चिम बंगाल की राजनीति के इतिहास में पहले कभी ऐसा नहीं हुआ था। पार्टी ने अपने पत्र में धनखड़ की उन टिप्पणियों का भी जिक्र किया है जिसमें उन्होंने बंगाल व्यापार सम्मेलन पर हुए खर्च का हिसाब मांगा था और 25 आईपीएस अधिकारियों को कथित धमकी देने के लिए मुख्यमंत्री से माफी की मांग की थी।
दूसरी ओर, पत्र के बाद राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने एक बार फिर ममता बनर्जी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि राज्य में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव नहीं होते हैं। उनका कहना है कि राज्य के संवैधानिक प्रमुख होने होने के नाते यह सुनिश्चित करना उनका दायित्व है कि लोगों को बिना भय के अपने मताधिकार के इस्तेमाल का अवसर मिले।
राज्यपाल ने कहा है कि उन्हें इस बात से मतलब नहीं है कि लोग किसे वोट देते हैं। लेकिन यह सुनिश्चित करना उनकी जिम्मेदारी है कि लोग बिना डरे अपने मतदान के अधिकार का इस्तेमाल कर सकें।
दूसरी ओर, बीजेपी ने भी धनखड़ का समर्थन करते हुए टीएमसी के दावों को निराधार करार दिया है। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा है कि राज्यपाल अपने संवैधानिक जिम्मेदारी का पालन कर रहे हैं। इसमें कहीं से भी संविधान का उल्लंघन नहीं हुआ है। टीएमसी चुनावी नतीजो को लेकर डरी हुई है। इसी वजह से वह ऐसे निराधार आरोप लगा रही है।