हिन्दी फ़िल्मों के सुपर स्टार रहे मिथुन चक्रवर्ती बीजेपी में 

02:38 pm Mar 07, 2021 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

हिन्दी फ़िल्मों के सुपर स्टार रहे मिथुन चक्रवर्ती रविवार को भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। उनके बीजेपी में शामिल होने की अटकलें बीते कुछ समय से लगाई जा रही थीं। पश्चिम बंगाल बीजेपी के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने इसके संकेत भी दिए थे। लेकिन रविवार को इस अभिनेता ने औपाचारिक रूप से बीजेपी का हाथ थाम ही लिया। 

पश्चिम बंगाल बीजेपी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से यह जानकारी देते हुए कहा है, "अभिनेता महागुरू मिथुन चक्रवर्ती ब्रिगेड परेड ग्राउंड की सभा में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए।" 

'अल्ट्रा लेफ़्ट' से 'अल्ट्रा राइट' कैसे?

अपनी पहली ही फ़िल्म 'मृगया' से सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार जीतने वाले मिथुन चक्रवर्ती के बारे में शुरुआती दिनों में कहा जाता था कि वे नक्सली हैं। हालांकि इसका कोई सबूत कभी सामने नहीं आया, पर मिथुन 'अल्ट्रा लेफ़्ट' माने जाते थे। यह चौंकाने वाली बात है कि किसी जमाने में 'अल्ट्रा लेफ़्ट' माने जाने वाले मिथुन 'अल्ट्रा राइट' माने जाने वाली बीजेपी में कैसे और क्यों शामिल हो गए। 

टीएमसी के सांसद थे मिथुन

मिथुन चक्रवर्ती इसके पहले भी राजनीति की सक्रिय पारी खेल चुके हैं। वे तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए थे और पार्टी ने उन्हें राज्यसभा का सदस्य बनाया था। लेकिन जब सारदा चिटफंड घोटाले में उनका नाम उछला तो उन्होंने राज्यसभा से इस्तीफ़ा दे दिया था। 

मिथुन चक्रवर्ती सारदा समूह के एक टेलीविजन चैनल के लिए ब्रांड अम्बेसेडर बन गए थे, उसके लिए उन्हें 1.20 करोड़ रुपए दिए जाने के मामले में प्रवर्तन निदेशालय यानी एनफ़ोर्समेंट डाइरेक्टरेट ने उनसे पूछताछ की थी। उन्होंने वह रकम ईडी को दे दी और राज्यसभा से इस्तीफ़ा दे दिया।

अब यह सवाल उठने लगा है कि क्या मिथुन चक्रवर्ती पर किसी तरह का दबाव था? इसके पहले मुकुल राय भी तृणमूल कांग्रेस में थे, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बेहद क़रीबी थे। लेकिन सारदा चिटफ़ंड घोटाले में उनका भी नाम आया था, उनसे पूछताछ हुई थी, उन्हें हिरासत में भी रखा गया था। बाद में उन्होंने टीएमसी से इस्तीफ़ा दे दिया और बीजेपी में शामिल हो गए। 

ब्रिगेड की रैली में एलान

रविवार को कोलकाता के ब्रिगेड परेड ग्राउंड पर आयोजित रैली में मंच पर ही मिथुन के पार्टी में शामिल होने का एलान किया गया। मिथुन ने राज्य बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष, राज्य के पार्टी प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय की मौजूदगी में बीजेपी की सदस्यता ली। 

रविवार की सुबह तकरीबन 12 बजे मिथुन चक्रवर्ती जब काला चश्मा और काली टोपी पहने मंच पर पहुँचे तो बीजेपी कार्यकर्ताओं में जोश आ गया। मिथुन को मंच पर कैलाश विजयवर्गीय के बगल में बैठाया गया। बीजेपी नेताओं ने चक्रवर्ती को पार्टी का अंगवस्त्र पहनाकर उनका पार्टी में स्वागत किया। इसके बाद 70 वर्षीय अभिनेता ने पार्टी का झंडा हाथों में लेकर लहराया। भीड़ ने 'जय श्री राम' और 'भारत माता की जय' के नारों के साथ मिथुन का स्वागत किया। 

पश्चिम बंगाल बीजेपी प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने शनिवार को कोलकाता स्थित बेलगछिया इलाक़े स्थित मिथुन चक्रवर्ती के घर जाकर उनसे मुलाकात की थी। इसके बाद उन्होंने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी थी। विजयवर्गीय ने लिखा था, "अभी देर रात कोलकाता के बेलगछिया में सिनेमा जगत के मशहूर अभिनेता मिथुन दा के साथ लम्बी चर्चा हुई। उनकी राष्ट्र भक्ति और ग़रीबों के प्रति प्रेम की कहानियाँ सुनकर मन गद-गद हो गया।"

'मैं हूँ कोबरा'

मिथुन चक्रवर्ती ने मंच से भीड़ को संबोधित करते हुए अपनी एक फ़िल्म का डायलॉग सुनाया। उन्होंने बांग्ला फ़िल्म 'एमएलए फ़ाटाकेश्टो' का डायलॉग सुनाया, "मारबो एखाने, लाश पोड़बे शसाने" (मारूँगा यहां, लाश गिरेगी श्मसान में)। उसके बाद उन्होंने कहा,

"यह तो मेरा पुराना डायलॉग है। मेरा नया डायलॉग है, मैं पानी में रहने वाला साँप नहीं हूँ, मैं बेलेघोड़ा साँप नहीं हूँ, मैं एकदम कोबरा हूँ। मैं मारूँगा तो फ़ोटोग्राफ़ बन जाओगे।"


मिथुन चक्रवर्ती, सदस्य, बीजेपी

मिथुन चक्रवर्ती का बीजेपी में शामिल होना अहम इसलिए है कि मिथुन अभी भी लोकप्रिय हैं। वे हिन्दी ही नहीं, बांग्ला फ़िल्मों में भी काम कर चुके हैं। किसी समय उन्हें पश्चिम बंगाल की युवा पीढ़ी 'गन मास्टर जी-नाइन' के नाम से जानती थी। उनकी फ़िल्म 'डिस्को डांसर' सुपर हिट हुई थी और उनका वह गाना 'आई एम अ डिस्को डान्सर' आज भी ऑर्केस्ट्रा वगैरह में बजाया जाता है। 

आरएसएस प्रमुख से की थी मुलाक़ात

मिथुन चक्रवर्ती ने 16 फरवरी को मुंबई में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत से मुलाक़ात की थी। हालांकि उन्होंने उसे शिष्टाचार मुलाक़ात बताया था, लेकिन उनके बीजेपी में शामिल होने की बात उसी समय से कही जा रही है। 

क्या बीजेपी मिथुन चक्रवर्ती को मुख्यमंत्री उम्मीदवार के रूप में पेश कर सकती है, यह सवाल पूछा जा रहा है। इसकी वजह यह है कि केंद्रीय नेतृत्व ने अब तक किसी को मुख्यमंत्री उम्मीदवार के रूप में पेश नहीं किया है, जबकि तृणमूल कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री उम्मीदवार ममता बनर्जी पहले से ही हैं। 

पश्चिम बंगाल बीजेपी का कोई नेता तथागत राय, दिलीप घोष या मुकुल राय लोकप्रियता के मामले में मिथुन चक्रवर्ती के सामने नहीं टिकते, लेकिन मिथुन चक्रवर्ती राजनेता नहीं हैं। यही उनकी कमज़ोरी भी है और मजबूती भी।

मिथुन चक्रवर्ती तृणमूल कांग्रेस में रह चुके हैं, वे ममता बनर्जी के नज़दीक भी थे। उन्हें मुख्यमंत्री चेहरा बना कर पेश करने से पश्चिम बंगाल का सत्तारूढ़ दल एकबार तो ज़रूर फँस जाएगा। मिथुन किसी समय भारतीय मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के कुछ नेताओं के भी नज़दीक थे। उनके आने से पश्चिम बंगाल बीजेपी को निश्चित रूप से फ़ायदा होगा। पार्टी को कम से कम मनोवैज्ञानिक असर डालने, कार्यकर्ताओं को लुभाने और सभाओं में भीड़ खींचने में मिथुन से सुविधा ज़रूर होगी।