मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अगले साल विधानसभा चुनावों से पहले राज्य के सभी परिवारों को स्वास्थ्य साथी मेडिकल बीमा योजना के तहत शामिल करने का एलान किया है। इसके तहत साढ़े सात करोड़ लोगों को स्मार्ट कार्ड दिए जाएँगे जिनकी सहायता से देश के क़रीब डेढ़ हज़ार निजी अस्पतालों में पाँच लाख रुपए तक की चिकित्सा सुविधा मिलेगी।
इस योजना के तहत स्मार्ट कार्ड, परिवार की सबसे बुजुर्ग महिला के नाम बनेगा। इस योजना के मद में सालाना दो हज़ार करोड़ अतिरिक्त रक़म ख़र्च होगी। परिवार के दायरे में माता-पिता और सास-ससुर भी शामिल हैं। पहली दिसंबर से हर दरवाजे पर सरकार अभियान के ज़रिए इन कार्डों को बनाने की कवायद शुरू हो जाएगी। राजनीतिक हलके में ममता के इस एलान को मास्टरस्ट्रोक माना जा रहा है। इससे पहले कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन के बाद मुख्यमंत्री ने साल भर तक सबको मुफ्त राशन देने का भी एलान किया था।
सरकारी अधिकारियों का कहना है कि यह स्वास्थ्य साथी कार्ड उसी परिवार को मिलेगा जो किसी स्वास्थ्य बीमा के दायरे में नहीं है। इस योजना के ज़रिए ममता ने एक तीर से दो शिकार किए हैं। पहली तो इसे केंद्र सरकार की आयुष्मान भारत योजना के मुक़ाबले खड़ा कर दिया है और दूसरे परिवार की सबसे बुजुर्ग महिला के नाम कार्ड जारी कर महिला सशक्तिकरण को भी बढ़ावा देने का श्रेय उनको मिलेगा।
ममता ने बंगाल में आयुष्मान भारत योजना लागू नहीं की है। उनकी दलील है कि जब पहले से ही स्वास्थ्य साथी जैसी योजना है तो यहाँ किसी केंद्रीय योजना की ज़रूरत नहीं है।
ममता कहती हैं स्मार्ट कार्ड महिलाओं के नाम जारी करने की कई वजहें हैं। पहली तो यह है कि घर-संसार की ज़मीनी हालत महिला से बेहतर कोई नहीं समझ सकता। वह अपने सास-ससुर के साथ ही माता-पिता के इलाज के लिए भी खुल कर इसका इस्तेमाल कर सकती है।
मुख्यमंत्री ने कहा है कि इस योजना का दायरा बढ़ाने की वजह से अब दिल और गुर्दे की बीमारियों के खर्चीले इलाज से जूझ रहे परिवारों को काफ़ी सहूलियत हो जाएगी।
लेकिन आख़िर राज्य सरकार ने आयुष्मान भारत की जगह स्वास्थ्य साथी का दायरा बढ़ाने का फ़ैसला क्यों किया है ममता कहती हैं कि आयुष्मान भारत के तहत केंद्र सरकार 60 फ़ीसदी अनुदान देती है। बाक़ी 40 फ़ीसदी कहाँ से आएगा स्वास्थ्य साथी के तहत पूरी रक़म राज्य सरकार ही देगी।
सरकारी सूत्रों ने बताया कि प्रस्तावित स्मार्ट कार्ड पर परिवार के सभी सदस्यों का ब्योरा रहेगा। राज्य के सरकारी अस्पतालों में तो चिकित्सा सेवाएँ पहले से ही मुफ्त हैं। अब इस कार्ड के ज़रिए क़रीब डेढ़ हज़ार निजी अस्पतालों में भी पाँच लाख तक के कैशलेस इलाज की सुविधा मिलेगी।
अगले चुनावों से पहले बीजेपी की ओर से मिल रही चुनौतियों की काट के लिए ममता ने अब सरकारी योजनाओं का बड़े पैमाने पर प्रचार शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि सरकार ने कन्याश्री, शिक्षाश्री और सबूज साथी जैसी जो परियोजनायें शुरू की हैं। उसे खासकर लड़कियों में शिक्षा के प्रसार को तो बढ़ावा मिला ही है, बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीतियों पर भी काफ़ी हद तक अंकुश लगा है।
ममता ने इस एलान के साथ ही यह कह बीजेपी पर हमला भी किया कि बंगाल गुजरात की तरह दंगों और उपद्रवों की धरती नहीं है। बीजेपी के नेता अगले साल जीत कर सत्ता में आने के बाद बंगाल को गुजरात बनाने का दावा करते रहे हैं। लेकिन ममता ने कहा है कि बंगाल की अपनी अलग संस्कृति है। गुजरात से इसका कोई मुक़ाबला नहीं हो सकता।
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि पश्चिम बंगाल से हर साल लाखों की तादाद में लोग इलाज के लिए दक्षिण भारत के अस्पतालों में जाते रहे हैं। राज्य के तमाम परिवारों को स्वास्थ्य साथी के दायरे में शामिल करना ममता का मास्टर स्ट्रोक साबित हो सकता है।
एक पर्यवेक्षक विश्वनाथ चक्रवर्ती कहते हैं,
‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर अमित शाह और बीजेपी के दूसरे नेता भी आयुष्मान भारत योजना लागू नहीं करने के लिए तृणमूल कांग्रेस सरकार की खिंचाई करते रहे हैं। ममता को इस योजना का कितना सियासी फ़ायदा मिलेगा, यह तो बाद में पता चलेगा। लेकिन फ़िलहाल उन्होंने बीजेपी के हथियार की धार तो कुछ कुंद कर ही दी है।’